सिविल अस्पताल में छह हजार लीटर क्षमता वाला लिक्विड आक्सीजन प्लांट स्थापित
। सिविल अस्पताल में 500 व एक हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन आक्सीजन पैदा करने वाले दो प्लांट अस्पताल में पहले ही लग चुके हैं।
राजकुमार राजू.मोगा
कोरोना की पहली लहर में संक्रमित मरीज आक्सीजन के लिए तरसते रहे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब तो मोगा का मथुरादास सिविल अस्पताल जिले के निजी अस्पतालों को भी आक्सीजन सप्लाई कर सकेगा। अस्पताल में 500 व एक हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन आक्सीजन पैदा करने वाले दो प्लांट अस्पताल में पहले ही लग चुके हैं, अब 6000 लीटर क्षमता वाला एक और लिक्विड आक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है। इसके साथ ही अस्पताल के सभी 170 बेडो को आक्सीजन सप्लाई के साथ जोड़ दिया गया है।
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा.सुखप्रीत बराड़ ने बताया कि एक मरीज को दस लीटर प्रति मिनट आक्सीजन दी जाती है। इस हिसाब से लिक्विड आक्सीजन प्लांट से 150 मरीजों को तीन दिन तक लगातार आक्सीजन दी जा सकेगी। बाहर से आने वाली आक्सीजन को यहां स्टोर किया जाएगा, यहीं से अस्पताल की सप्लाई जाने के साथ ही सरप्लस आक्सीजन निजी अस्पतालों को भी सप्लाई की जाएगी, ये आक्सीजन तुलनात्मक रूप से ज्यादा शुद्ध होती है। प्लांट स्थापित हो चुका है। ट्रायल के रूप में इसे चालू भी कर दिया गया है, जिसके बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
कोरोना की पहली लहर में आक्सीजन का संकट गहराने के बाद से ही सिविल अस्पताल में प्लांट लगाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई थी। सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला लिया था। जिसके तहत नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ सिविल अस्पताल में जगह का चयन कर प्लांट लगाने की कार्रवाई उसी समय शुरू कर दी थी। ये आक्सीजन प्लांट हाईवे अथारिटी आफ इंडिया की वित्तीय मदद से स्थापित किया गया है।
प्रतिदिन डेढ़ से दो मीट्रिक टन आक्सीजन की खपत
एसएमओ डा.सुखप्रीत सिंह बराड़ के अनुसार मथुरादास सिविल अस्पताल में इस समय प्रतिदिन डेढ़ से दो मीट्रिक टन आक्सीजन की खपत होती है, ऐसे में तीनों प्लांट पूरी क्षमता के साथ चलने पर काफी मात्रा में आक्सीजन सरप्लस रहेगी, जो आसपास के निजी व सरकारी अस्पतालों को सप्लाई की जा सकेगी।