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सीएम की मुआवजा नीति पर वकील राजेश शर्मा ने उठाए सवाल

मोगा जहरीली शराब से मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने के मामले में कानूनी सेवा अथॉरिटी मोगा के पैनलिस्ट एडवोकेट राजेश शर्मा ने सवाल उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह से पूछा है कि सरकार का यह कदम क्या अवैध शराब पीने वालों व पिलाने वालों को बढ़ावा देना नहीं है। गरीब लोगों की मदद होनी चाहिए। मगर जिन हालात में मौत हुई है इसके लिए यह राशि सरकारी खजाने के बजाय उन लोगों की जेब से जानी चाहिए जिनकी वजह से लोगों की मौतें हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 11:36 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:15 AM (IST)
सीएम की मुआवजा नीति पर वकील राजेश शर्मा ने उठाए सवाल
सीएम की मुआवजा नीति पर वकील राजेश शर्मा ने उठाए सवाल

जागरण संवाददाता, मोगा

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जहरीली शराब से मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने के मामले में कानूनी सेवा अथॉरिटी मोगा के पैनलिस्ट एडवोकेट राजेश शर्मा ने सवाल उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह से पूछा है कि सरकार का यह कदम क्या अवैध शराब पीने वालों व पिलाने वालों को बढ़ावा देना नहीं है। गरीब लोगों की मदद होनी चाहिए। मगर, जिन हालात में मौत हुई है, इसके लिए यह राशि सरकारी खजाने के बजाय उन लोगों की जेब से जानी चाहिए, जिनकी वजह से लोगों की मौतें हुई हैं। बता दें कि राजेश शर्मा को दो साल पहले बेहतर कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली में नेशनल बेस्ट पैनलिस्ट का अवॉर्ड केंद्र सरकार ने दिया था। ड्यूटी के दौरान पिता के निधन के एवज में तरस के आधार पर मिली सरकारी नौकरी भी उन्होंने ठुकरा दी थी।

एडवोकेट राजेश शर्मा ने सवाल उठाया है कि जो लोग अपनी जेब से काउसेस देकर सड़कों पर बेसहारा घूमते जानवरों के कारण जान खो रहे हैं, तो क्या उनके परिजनों की क्या सहायता नहीं होनी चाहिए। सहायता तो दूर कानून में प्रावधान के बावजूद इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर तक नहीं होती। उनके परिजनों का दर्द मुख्यमंत्री को क्यों नहीं सुनाई देता।

एडवोकेट शर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री ही नहीं किसी भी जनप्रतिनिधि को कानून इस बात की इजाजत नहीं देता है कि जनता के खून पसीने की कमाई निजी हितों के लिए लुटा दी जाए।

एडवोकेट राजेश शर्मा ने कहा है कि हैरानी की बात है कि सत्ताधारी पार्टी ही नहीं, दूसरे राजनीतिक दल भी पीड़ित परिवारों को मुआवजा, उन्हें नौकरी देने की मांग कर रहे हैं, इसी सियासत ने देश को खोखला किया है।

पुलिस इंस्पेक्टर से शराब बिकवाने के लिए महीनेदारी मांगने वालों के खिलाफ राजनेताओं की आवाज क्यों नहीं बुलंद होती है। अवैध शराब का कारोबार रोकना है तो अवैध शराब के कारोबार को सरंक्षण देने वाले सफेदपोशों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।


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