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जसप्रीत कौर ने घर की दीवार के बाहर रैक लगाकर बनाई लाइब्रेरी

जिदगी को जिदादिली के साथ जीने का हुनर सिखाने वाली मिस पंजाबन 2014 जसप्रीत कौर ढिल्लों ने अब अमृतसर की एक एनजीओ के साथ मिलकर अपने घर के बाहर विडो लाइब्रेरी का अनोखा कंसेप्ट शुरू किया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 10:47 PM (IST)
जसप्रीत कौर ने घर की दीवार के बाहर रैक लगाकर बनाई लाइब्रेरी
जसप्रीत कौर ने घर की दीवार के बाहर रैक लगाकर बनाई लाइब्रेरी

जागरण संवाददाता.मोगा

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जिदगी को जिदादिली के साथ जीने का हुनर सिखाने वाली मिस पंजाबन 2014 जसप्रीत कौर ढिल्लों ने अब अमृतसर की एक एनजीओ के साथ मिलकर अपने घर के बाहर विडो लाइब्रेरी का अनोखा कंसेप्ट शुरू किया है। इस लाइब्रेरी में करीब 150 पुस्तकें रखी हैं, दिन के समय कोई भी बच्चा या कोई भी पूरी तरह निश्शुल्क पुस्तक ले जाकर पढ़ सकता है। फिल्म अभिनेता मालविका सूद ने लाइब्रेरी को रील लाइफ से रीयल लाइफ के हीरो बने सोनू सूद द्वारा लिखी पुस्तक आइ एम नोट मसीह की प्रतियां भी लाइब्रेरी को भेंट की है। लाइब्रेरी का उद्घाटन विधायक डा.हरजोत कमल ने किया।

डा.हरजोत कमल ने इस मौके पर संबोधित करते हुए कहा कि आज के दौर में बच्चे जब मोबाइल फोन के गुलाम होते जा रहे हैं, इस दौर में विडो लाइब्रेरी का कंसेप्ट नई राह दिखाएगा। वे खुद भी पुस्तकें पढ़ने के शौकीन हैं। डा.हरजोत ने भी लाइब्रेरी को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की लिखी पुस्तक अंतिम लम्हे भेंट की, इस पुस्तक में पंजाब के इतिहास को समेटा गया है।

लाइब्रेरी की स्थापना करने वाली सन शाइन क्लब की वालिटियर जसप्रीत कौर का कहना है कि बालकों के मन में किताबें पढ़ने की रुचि पैदा हो इसी सोच के साथ लाइब्रेरी स्थापित की गई है। लाइब्रेरी में बच्चों की कहानियां तेनाली राम, अकबर बीरबल की कहानियां, सामान्य ज्ञान, डायनासोर क्या था, डीएनए क्या होता है, वायरल क्या है जैसी ज्ञानवर्धक पुस्तकों को स्थान दिया गया है। जसप्रीत कहती हैं कि उनके पिता गांव चूहड़चक्क निवासी सरदार रणधीर सिंह समाजसेवा के कामों में बहुत सक्रिय रहते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने लाइब्रेरी की स्थापना की है।

उद्घाटन के मौके पर विधायक डा. हरजोत कमल के साथ समाजसेवी एवं एनजीओ उड़ान के अध्यक्ष नवीन सिगला, सीनियर कांग्रेसी नेता दविदर सिंह रनियां, अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद सच्चर भी मौजूद थीं।

डा. हरजोत कमल ने कहा कि बेशक किताबों ने भी टेक्नोलाजी के दौर में अपनी दिशा बदली है, अब इंटरनेट व डिजिटल रूप में किताबें मुहैया हैं, फिर भी हाथों में लेकर किताबें पढ़ने का अलग ही आनंद होता है।


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