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IT professional ने Mouse व Key board छोड़ खेती अपनाई, तकनीक से ऐसे की दुगनी की कमाई

आइटी शिक्षक गुरकृपाल की जिन्होंने लेक्चररशिप छोड़ खेतों की ओर रुख किया। खेती में नई तकनीक को अपनाया जिससे न केवल अपनी कमाई दुगनी कर डाली।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 02:06 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 06:33 PM (IST)
IT professional ने Mouse व Key board छोड़ खेती अपनाई, तकनीक से ऐसे की दुगनी की कमाई
IT professional ने Mouse व Key board छोड़ खेती अपनाई, तकनीक से ऐसे की दुगनी की कमाई

मोगा [सत्येन ओझा]। रिस्क लेकर लीक से हटकर काम किया और अपनी शिक्षा व काबिलियत से सफलता की नई कहानी लिख डाली। यह कहानी है आइटी शिक्षक गुरकृपाल की, जिन्होंने लेक्चररशिप छोड़ खेतों की ओर रुख किया। खेती में नई तकनीक को अपनाया, जिससे न केवल अपनी कमाई दुगनी कर डाली, बल्कि पानी की कमी से जूझते क्षेत्रों के लिए किसानों के लिए एक नजीर भी पेश कर डाली।

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वर्ष 2017 तक देश भगत ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के आइटी सेल में लेक्चरर रहे गुरकृपाल ने महज 800 वर्ग मीटर जगह में हाइड्रोपोनिक तकनीक से ब्राह्मी की खेती शुरू की। उन्होंने महज तीन साल में लेक्चररशिप की तुलना में लगभग ढाई गुना ज्यादा कमाना शुरू कर दी है। धर्मकोट कस्बे के गांव कैला के मूल निवासी गुरकृपाल सिंह कहते हैं कि खेती तो मैंने 2012 से शुरू कर दी थी। जिस तरह पंजाब में पानी का संकट बढ़ रहा है, किसान आर्थिक संकट में जा रहे हैं, उसको लेकर मन के अंदर से यह आवाज आती थी कि क्यों न कुछ ऐसा काम शुरू किया जाए कि पंजाब की इन दो बड़ी समस्याओं का हल निकल जाए। बस इसी सोच के साथ मैंने हाइड्रोपोनिक विधि से खेती पर अध्ययन शुरू किया।

पहले साल हुआ मुनाफा तो नौकरी छोड़ खेती पर किया फोकस

गुरकृपाल सिंह बताते हैं कि मैंने हाइड्रोपोनिक खेती के लिए पॉली हाउस तैयार कराया। उसमें सबसे पहले ब्राह्मी की खेती शुरू की। इसके पहले साल में ही बेहतर परिणाम सामने आए। इस विधि में सामान्य फसल के मुकाबले 10 फीसद पानी की ही जरूरत होती है, यानि 90 फीसद पानी की बचत होती है। ब्राह्मी का पौधा आमतौर पर पहाड़ों पर ही पाया जाता है, लेकिन पॉली हाउस में पहाड़ों का तापमान दिया तो यहां भी ब्राह्मी पैदा ही नहीं हुई, बल्कि आय का बड़ा साधन बन गई।

बाद में, उन्होंने खुद प्रोसेसिंग का काम करना शुरू कर दिया। ब्राह्मी का प्रयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में होता है। अच्छी आय होने लगी तो उन्होंने 2017 में लेक्चररशिप छोड़ी और खेती पर फोकस कर लिया। वह जब लेक्चरर थे तो साल में दो लाख की भी आय नहीं थी। अब वे एग्री-बायोटेक्नोलॉजी कंपनी के मालिक बन चुके हैं। सभी खर्च निकालकर पांच लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं। ब्राह्मी की फसल से अच्छे परिणाम सामने आए तो अब उन्होंने हाइड्रोपोनिक विधि से ही टमाटर, खीरा, लहसुन, प्यास, मूंगफली और स्ट्रॉबेरी के साथ ही धनिया, पुदीना आदि की पैदावार शुरू कर दी। खाद भी ऑर्गेनिक प्रयोग करते हैं। टमाटर आदि के लिए धर्मकोट में अपनी सेलिंग प्वाइंट बना दिया है।

यह है हाइड्रोपोनिक विधि

कृषि विशेषज्ञ डॉ. जसविंदर सिंह बराड़ के अनुसार हाइड्रोपोनिक तकनीक से फसल मिट्टी में नहीं, बल्कि पानी व पोषक तत्वों के मिश्रण में उगाई जाती है। जैसे कि जूट के बुरा में। ड्रिप सिस्टम से सिंचाई के कारण 90 फीसद पानी की बचत होती है। पॉली हाउस में होने कारण किसी भी मौसम में फसल खराब नहीं होती है।

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