गांधी रोड फाटक की लड़ाई लड़ रही संस्थाओं ने रणनीति बदली, कानूनी धार देने की तैयारी
गांधी रोड को 16 दिन बाद हैवी ट्रैफिक के लिए खोलने की मंजूरी मिलने के बाद अब गांधी रोड फाटक की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जंग लड़ रही संस्था जस्टिस फार गरिमा एवं एनजीओ प्रयास ने संयुक्त रूप से अपनी लड़ाई को कानूनी आधार पर लड़ने की तैयारी की है।
जागरण संवाददाता, मोगा : गांधी रोड को 16 दिन बाद हैवी ट्रैफिक के लिए खोलने की मंजूरी मिलने के बाद अब गांधी रोड फाटक की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जंग लड़ रही संस्था जस्टिस फार गरिमा एवं एनजीओ प्रयास ने संयुक्त रूप से अपनी लड़ाई को कानूनी आधार पर लड़ने की तैयारी की है। संस्था पहले सूचना का अधिकार नियम के तहत गांधी रोड फाटक की डगरू अथवा अजितवाल रेलवे स्टेशन पर शिफ्टिग की रेलवे की योजनाओं, जगह आदि की जानकारी जुटाएगी ताकि रेलमंत्री के साथ बैठक के दौरान सभी तथ्यों को पेश किया जा सके।
इस बीच वीरवार को दिन भर डीसी के तबादले की अफवाह उड़ती रही। तबादले का आधार बताया जा रहा था कि रेलवे अधिकारियों ने केंद्र को रिपोर्ट दी है कि 16 दिन गांधी रोड को हैवी ट्रैफिक के लिए दिन में बंद कर देने से रेलवे को 31 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद डीसी संदीप हंस का तबादला कर दिया गया है। देर शाम तक ये अफवाह निराधार साबित हुई लेकिन इस अफवाह के बाद गांधी रोड फाटक के लिए लड़ाई लड़ रही दोनों संस्थाओं व स्थानीय के प्रतिनिधियों व गांधी रोड क्षेत्र के लोगों में आक्रोश फैल गया। जस्टिस फार गरिमा के एडवोकेट वरिदर अरोड़ा, एनजीओ प्रयास डा. सीमांत गर्ग का कहना है कि रेलवे की इस दलील पर अगर डीसी का तबादला होता है तो क्षेत्र के लोग गांधी रोड फाटक को पूरी तरह बंद कर देंगे, समस्या के स्थानीय समाधान होने तक नहीं खोलने देंगे, रेलवे लोगों की जिदगी के साथ खेलकर अपने नफा नुकसान की बात कर रहा है, वे बेहद असंवेदनशील रवैया है। तबादले की अफवाह के बाद दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने ही नहीं बल्कि गांधी रोड के लोगों ने चेतावनी दी है कि रेलवे की दलीलों के आधार पर अगर डीसी का तबादला किसी कीमत पर नहीं होने देंगे, गांधी रोड की समस्या के लिए सही मायने में डीसी संदीप हंस ने ही सही प्रयास किया है, इससे पहले किसी अधिकारी ने समस्या के समाधान के लिए प्रयास ही नहीं किया। रेलवे के अधिकारी बढ़ती आबादी को लेकर सही स्थिति अगर वरिष्ठ अधिकारियों को भेजते तो गांधी रोड फाटक आज हादसों का फाटक नहीं बनता। बैठक में अमन सिगला, सिद्धार्थ महाजन, समीर जैन, प्रवीन जिदल, गगन गर्ग आदि मौजूद थे। संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मांगा पुराना ब्यौरा
जस्टिस फार गरिमा के एडवोकेट वरिदर अरोड़ा एवं एनजीओ प्रयास के डा. सीमांत गर्ग ने लोगों से अपील की कि जिनके पास भी गांधी रोड पर हुए हादसों का कोई पुराना ब्यौरा है तो वह उन्हें उपलब्ध करा दें, ताकि इस समस्या के समाधान के लिए पूरे आंकड़ों के साथ रेलवे के साथ ही अदालती लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ सकें।