सावन के पांचवें सोमवार को शुभ संयोग में भक्तों ने शिवलिंग का अभिषेक
मोगा सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले हर सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन में किए सोमवार के व्रत वर्ष भर के व्रतों का फल प्रदान करते हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है। इसी के मद्देनजर भक्त सावन के व्रत रखते हैं। वहीं सोमवार को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शुभ संयोग एवं सावन के पांचवें सोमवार को भक्तों ने शिवलिग का अभिषेक किया। भोग लगाकर व्रत की पूर्णाहुति की।
तरलोक नरूला, मोगा
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले हर सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन में किए सोमवार के व्रत वर्ष भर के व्रतों का फल प्रदान करते हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है। इसी के मद्देनजर भक्त सावन के व्रत रखते हैं। वहीं सोमवार को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शुभ संयोग एवं सावन के पांचवें सोमवार को भक्तों ने शिवलिग का अभिषेक किया। भोग लगाकर व्रत की पूर्णाहुति की। सोमवार की कथा की।
बता दें सावन के महीने में भक्त चारों सोमवार को शिवलिग का अभिषेक कर व्रत रखते हैं और पांचवें सोमवार को व्रत की पूर्णाहुति करते हैं। इसके तहत सावन के सोमवार को शिवालयों में भक्तों का मेला लगा रहता है। मगर, इस बार सावन के शुक्ल पक्ष के पांचवें सोमवार को कोविड-19 के चलते कोरोना महामारी के भय से ऐसा माहौल नजर नहीं आया। इस दौरान भक्तों ने सरकारी आदेशों का पालन करते हुए शिवलिग की पूजा कर अभिषेक किया।
वहीं मंदिर के पुजारियों ने भी लोगों को महामारी से बचाव हेतु भक्तों को मास्क लगाने व हाथों को सैनिटाइज करने को प्रेरित किया। साथ ही उन्हें मंदिर में कम से कम समय लगाने को कहा, ताकि इस प्रकोप से बचा जा सके। सोमवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में भक्तों ने शिवलिग पर दूध जल से अभिषेक कर महामारी को जल्द खत्म करने की प्रार्थना की। घर से बनाए प्रसाद का भोग लगाकर व्रत की पूर्णाहुति की। इस दौरान भक्तों ने गीता भवन, प्राचीन शिवाला मंदिर, प्राचीन सनातन धर्म शिव मंदिर, श्री कृष्णा मंदिर, चितपूर्णी मंदिर व अन्य मंदिरों में शिवलिग पर दूध जल से अभिषेक किया।
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शिव साकार और निराकार
गीता भवन में भक्तों ने स्वामी सहज प्रकाश की अध्यक्षता में शिव भगवान के दर्शन कर अभिषेक किया। स्वामी सहज प्रकाश ने कहा कि धर्म के अनुसार पूजा का तीसरा क्रम भी भगवान शिव है। शिव ही अकेले ऐसे देव हैं, जो साकार और निराकार दोनों हैं। श्रीविग्रह साकार और शिवलिग निराकार। भगवान शिव रुद्र हैं। हम जिस अखिल ब्रह्मांड की बात करते हैं और एक ही सत्ता को आत्मसात करते हैं, वह कोई और नहीं भगवान शिव अर्थात रुद्र हैं। उन्होंने कहा कि दिन-प्रतिदिन कोरोना महामारी बढ़ रही है। इसके लिए हमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ सतर्कता भी बरतनी होगी, ताकि हम इसकी रोकथाम कर सके।
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कम भक्त आए
प्राचीन सनातन धर्म शिव मंदिर के पुजारी पवन गौतम ने कहा कि सावन के महीने को भगवान शिव की पूजा और मनोकामनाओं की पूर्ति का महीना माना जाता है। वहीं देखा जाए तो भगवान शिव को समर्पित सावन मास का हर सोमवार बहुत खास होता है। जिसके तहत भक्त हर सोमवार को पूजन करते है। पांचवें सोमवार को भक्तो ने व्रत की पूर्णाहुति की। उन्होंने कहा कि सावन के पांचवें सोमवार को भक्तों ने सरकारी आदेशों का पालन करते भगवान के दर्शन किए हैं। इसे नियमित रूप से अपनी जिम्मेदारी समझते बनाए रखें। मास्क लगाकर मंदिर में प्रवेश करें, ताकि हम महामारी की रोकथाम कर सके। इस बार महामारी के कारण 25-30 फीसद लोग ही मंदिर आए।
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महामारी के खात्मे की प्रार्थना
प्राचीन शिवाला मंदिर में पुजारी अक्षय शर्मा की अगुआई में भक्तों ने सावन के अंतिम सोमवार पूर्णमासी पर शिवलिग का अभिषेक कर कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की। अक्षय शर्मा ने कहा कि पुराणों के अनुसार सावन मास में भगवान शिव अपने परिवार समेत पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं। वहीं सावन की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी भ्रमण पर निकलते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए सावन के अंतिम दिन का विशेष महत्व होता है।
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मास्क पहन कर करें पूजा
श्री चितापूर्णी दुर्गा माता मंदिर में कृष्ण गौड़ की अगुआई में भक्तों ने शिवलिग का अभिषेक किया। पंडित कृष्ण गौड़ ने कहा कि हमारी संस्कृति में धार्मिक पर्व बड़ी महत्ता रखते हैं। जिसके तहत सावन का महीना शिव भोले का प्रिय महीना है। हमें प्रभु की पूजा का अवसर मिलता है। प्रभु की पूजा ही हमें कोरोना जैसे कष्टों से छुटकारा दिलाती है। पूजा-अर्चना के साथ जरूरी है सरकार के आदेशों का पालन करना। इसे अपनी जिम्मेदारी से निभाएं। शिवलिग की पूजा करते समय मास्क लगाकर ही पूजन करें। मंदिर में प्रवेश करते ही सैनिटाइजर से हाथों को साफ करें।