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सैकड़ों महिलाओं ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की छठी मैया की उपासना

मोगा छठ पर्व के अंतिम दिन मोगा में भोजपुरी समाज के लोगों ने धल्लेके में बने राम सखी देवीघाट पंजपीर पर डूबते सूर्य को शुक्रवार को अ‌र्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। कचे घाट को पक्का करने की मांग एक साल पहले रखी गई थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 05:59 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 05:59 AM (IST)
सैकड़ों महिलाओं ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की छठी मैया की उपासना
सैकड़ों महिलाओं ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की छठी मैया की उपासना

जागरण संवाददाता, मोगा

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छठ पर्व के अंतिम दिन मोगा में भोजपुरी समाज के लोगों ने धल्लेके में बने राम सखी देवीघाट पंजपीर पर डूबते सूर्य को शुक्रवार को अ‌र्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। कच्चे घाट को पक्का करने की मांग एक साल पहले रखी गई थी। वहीं घाट पर सैंकड़ों महिलाएं छठी मैया की आराधना करने पहुंची थीं। मगर, प्रशासनिक स्तर पर यहां किसी प्रकार के सरकारी इंतजाम नहीं थे और न ही पुलिस व प्रशासन का कोई अधिकारी उपस्थित था। भोजपुरी समाज के लोगों ने छठ पर्व की सभी तैयारियां निजी स्तर पर की थीं।

उधर, शुक्रवार शाम भोजपुरी समाज की महिलाओं द्वारा गन्ने के मंडप सजाकर उसमें विभिन्न प्रकार के फलों और पकवानों को रखकर पूजा-अर्चना की गई। बाद में सूर्य देव के डूबने से पहले महिलाओं ने जल से भगवान सूर्य देव को अ‌र्घ्य दिया। इस मौके पर व्रतियों ने सूर्य की उपासना की कहानी सुनी।

इस दौरान महिलाओं ने तालाब में दीपदान भी किया। इससे दीपों की रोशनी से तालाब का पानी जगमगा उठा। सरस्वती संघठन क्लब एवं प्रवासी मजदूर सोसायटी के प्रधान नानक साहनी ने बताया कि मोगा जिले में छठ पूजा के लिए राम सखी देवीघाट पंजपीर धल्लेके में बना है। पिछले साल उनसे प्रशासन ने वादा किया था कि घाट को पक्का बनबा देंगे, लेकिन इस बार भी पर्व कच्चे घाट पर ही मनाया गया। कोरोना को देखते हुए थाना सदर पुलिस को लिखित में सूचना दे दी थी। समाज के लोगों को मोटीवेट किया गया था कि कोरोना को देखते हुए नियमों का पालन करें। पिछले चार दिन से चल रहे इस त्योहार का उत्साह शुक्रवार को धल्लेके के घाट पर देखने को मिला।

धल्लेके स्थित घाट के निकट समाज के लोगों ने डीजे आदि की व्यवस्था की थी। जहां भजन-कीर्तन के साथ नाचते-गाते श्रद्धालुओं की टोलियां छठी मैया की उपासना के इस महापर्व की उमंग व उत्साह की कहानी बयां कर रहे थे।


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