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नए स्कूल में एडमिशन दिलाने का बेटे से किया वादा अधूरा ही रह गया

अपने अधीनस्थ ड्राईवर के अचानक छुट्टी पर चले जाने पर खुद बटालियन की बस ड्राइव करने का फैसला ही मोगा के कस्बा कोट ईसे खां निवासी जैमल ¨सह को शहीदी की ओर खींच ले गया। 27 जनवरी को ही वह अपनी पत्नी व इकलौते बेटे के साथ

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 07:28 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 07:28 PM (IST)
नए स्कूल में एडमिशन दिलाने का बेटे से किया वादा अधूरा ही रह गया
नए स्कूल में एडमिशन दिलाने का बेटे से किया वादा अधूरा ही रह गया

सत्येन ओझा, मोगा

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अपने अधीनस्थ ड्राइवर के अचानक छुट्टी पर चले जाने पर खुद बटालियन की बस ड्राइव करने का फैसला ही मोगा के कस्बा कोटईसे खां निवासी जैमल ¨सह को शहीदी की ओर खींच ले गया।

27 जनवरी को ही जैमल सिंह अपनी पत्नी व इकलौते बेटे के साथ छुट्टियां बिताकर इस वादे के साथ वापस बटालियन लौटा था कि वह 28 फरवरी को वापस आकर उसका एडमिशन शहर के नए स्कूल में कराएगा। इसके लिए जैमल ¨सह ने जालंधर से पंचकूला घर शिफ्ट करने का भी फैसला ले लिया था। मगर, 28 फरवरी से पहले ही जैमल शहीद होकर लौटेंगे, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।

कोटईसे खां की दाना मंडी के पिछले हिस्से में एक छोटा मकान है। इसी में जैमल ¨सह के पाठी पिता जसवंत ¨सह अपनी पत्नी सुख¨वदर कौर के साथ रहते हैं। बड़ा बेटा नसीब ¨सह मलेशिया चला गया था। छोटा बेटा जैमल ¨सह सीआरपीएफ में साल 1993 में भर्ती हो गया था। कई साल से उसकी ड्यूटी जालंधर स्थित सीआरपीएफ कैंप में थी।

सेना के जवान जैमल ¨सह के साढ़ू बूटा ¨सह ने बताया कि आठ माह पहले ही जैमल ¨सह बटालियन के साथ जम्मू में शिफ्ट हुआ था। वहां से श्रीनगर जाने के लिए रास्ता खुलते ही 14 फरवरी की सुबह बटालियन की बस खुद ड्राइव करके रवाना हुआ था।

जैमल ¨सह अपने ¨वग का इंचार्ज था और वह अधिकारियों की कार ड्राइव करता था। मगर, वीरवार को अचानक बस का ड्राइवर छुट्टी पर चला गया, जिसके चलते जैमल ¨सह ने खुद ही बटालियन की बस ड्राइव करने का फैसला लिया था। जैमल ¨सह के इसी फैसले ने उसके इकलौते बेटे से किया वादा पूरा करने का हक भी छीन लिया।

वहीं, जैमल ¨सह की पत्नी सुखजीत कौर को वीरवार शाम सात बजे ही बटालियन से आए एक फोन कॉल से पति की शहादत की खबर मिल गई थी, तभी से सुखजीत अपनी सुधबुध खो बैठी थी। जैमल ¨सह के पिता जसवंत ¨सह को सूचना एक घंटे बाद मिली थी। इसके बाद वह वीरवार रात को ही जालंधर रवाना हो गए थे और वहां से सुखजीत कौर व पांच साल के पोते गुरप्रकाश ¨सह को साथ लेकर शुक्रवार तड़के कोटइसे खां पहुंचे थे।

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शादी के 18 साल बाद मिला था संतान सुख

साल 1974 में जन्मे जैमल ¨सह कोटईसे खां के सरकारी स्कूल में मैट्रिक करने के बाद ही सीआरपीएफ में बतौर ड्राइवर 1993 में भर्ती हुआ था। पिता जसवंत ¨सह ने बताया कि बेटे जैमल ¨सह को संतान सुख शादी के 18 साल बाद मिला था। मिन्नतों के बाद मिले बैटे को वह अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता था। यही वजह है कि उसने सेना में तैनात अपने साढ़ू बूटा ¨सह से कहकर पंचकूला के विवेकानंद स्कूल का पहली कक्षा का एडमिशन फार्म मंगा लिया था। उसे 28 फरवरी को दोबारा बेटे के एडमिशन के लिए वापस आना था।


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