गुरु के ज्ञान एवं स्नेह का स्वरूप है गुरु पूर्णिमा पर्व
हिदु परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी आगे का स्थान प्राप्त है।
संस, मोगा : हिदु परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी आगे का स्थान प्राप्त है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी होता है। वेद व्यास जी प्रकांड विद्वान थे उन्होंने वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उन्हें वेद व्यास के नाम से पुकारा जाने लगा। यह विचार रविवार को गीता भवन में गुरु पूर्णिमा पर्व पर स्वामी सहज प्रकाश ने व्यक्त किए। स्वामी सहज प्रकाश ने कहा की इस मौजूदा कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए हमें अधिक से अधिक गुरु की भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा ज्ञान का मार्ग है शास्त्रों में गुरु के अर्थ को अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश देने वाला कहा गया है। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले होते हैं। गुरु की भक्ति में कई श्लोक रचे गए हैं जो गुरु की सार्थकता को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार संभव हो पाता है और गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं हो पाता। स्वामी सहज प्रकाश ने कहा कि वास्तव में हम जिस भी व्यक्ति से कुछ भी सीखते हैं वह हमारा गुरु हो जाता है और हमें उसका सम्मान अवश्य करना चाहिए।