समाज से नशा खत्म करने में 'पियर्स' का सहारा लेगी सरकार
। राज्य भर में मोगा एक ऐसा जिला है जो अपराध व नशे को लेकर सबसे ज्यादा बदनाम है।
रोहित शर्मा, मोगा
राज्य भर में मोगा एक ऐसा जिला है जो अपराध व नशे को लेकर सबसे ज्यादा बदनाम है। इसी वजह से तत्कालीन सेहत मंत्री ब्रह्म मोहिदरा ने मोगा के गांव जनेर से पंजाब के पहले नशा मुक्ति केंद्र की शुरूआत की थी। पंजाब सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर समाज से नशा खत्म करने के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित किए, लेकिन ये योजना कारगार साबित नहीं हो पाई। अब पंजाब एड्स कंट्रोल सोसायटी ने पियर्स नामक प्रोजेक्ट की शुरूआत की है। इसके तहत नशा मुक्ति केंद्र के स्टाफ द्वारा कुछ नशेड़ियों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें पियर्स का नाम दिया जाएगा। इन पियर्स का काम होगा कि वह अपनी सोसायटी से अपने साथी नशे के आदी लोगों को नशा मुक्ति केंद्र तक लाएंगे और वहां पर उनका रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद उन्हें रोजाना नशा रोधी गोली मुहैया करवाई जाएगी। बदले में सरकारी फंड से प्रति पियर्स को तीन हजार रुपये भत्ता और साढे़ चार सौ रुपये आने-जाने का खर्च (टीए) कुल 3,450 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मकसद नशेड़ियों को दवा के जरिए नशे की दलदल से बाहर निकालना है। हर महीने टारगेट दिया जाएगा
बता दें कि नशा मुक्ति केंद्र द्वारा भर्ती किए गए पियर्स को मासिक भत्ते के एवज में प्रति माह टारगेट दिया जाएगा। एक पियर्स को हर महीने 30 नए नशे के आदी व्यक्तियों की नशा मुक्ति केंद्र में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हर पियर्स को केंद्र से एक डायरी दी गई है, जिसमें वह 50 से 60 लोगों के नाम व जानकारी दर्ज करेगी और उसी के आधार पर हर रोज एक नशे के आदी व्यक्ति को केंद्र पर लाकर उसका रजिस्ट्रेशन करवा फाइल बनवाएगा। फाइल बनने के अगले दिन से केंद्र से उक्त व्यक्ति को बिलकुल मुफ्त में नशा रोधी गोली मिलने लगेगी। यही नहीं फाइल बनाने से पहले नशा मुक्ति केंद्र द्वारा उक्त व्यक्ति का एड्स, काला पीलिया, टीबी, कैंसर इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियों के टेस्ट भी करवाए जाएंगे और इसका पूरा खर्च नशा मुक्ति केंद्र द्वारा किया जाएगा। जिले में चल रहे 34 नशा मुक्ति केंद्र
अधिकारिक जानकारी के अनुसार करीब 18 लाख की आबादी वाले मोगा जिले में इस समय 34 के करीब नशा मुक्ति केंद्र चल रहें है। इन नशा मुक्ति केंद्रो को री-हैबिट सेंटर का नाम दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत के अनुसार इनमें से 80 फीसद नशा मुक्ति केंद्र तय मानकों पर खरा नही उतरते और कईयों में तो मनोवैज्ञानिक डाक्टर तक नहीं है। महज एक या दो काउंसलिग करने वाले काउंसलर की बदौलत ही उक्त नशा मुक्ति केंद्र चल रहें है। अधिकतर केंद्रों में नशा छोड़ने के लिए भर्ती हुए मरीजों को विभिन्न प्रकार की दवाएं देकर उन्हें सुलाया जा रहा है। ऐसे में नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को नशा छोड़ने के लिए उन्हें सही उपचार नहीं मिल पा रहा है। चूंकि सात से दस हजार रुपये महीने का उपचार किसी भी नशे के आदी व्यक्ति को ज्यादा नहीं लगता, क्योंकि इससे कहीं अधिक राशि वह हर माह नशे पर बर्बाद कर देता है। भर्ती की प्रक्रिया जारी है
कच्चा दोसांझ रोड स्थित डोन बोस्को एनजीओ की ओर से चलाए जा रहे नशा मुक्ति के इंचार्ज प्रितपाल सिंह का कहना है कि उनके पास अब तक आठ पियर्स का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। वहीं उनके स्टाफ द्वारा और पियर्स की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। पंजाब एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट काफी कारगार साबित होने वाला है। क्योंकि नशा रोधी गोली किसी भी तरह के नशे की लत खत्म करने में सक्षम है। इस गोली को एक बार शुरू करने वाला नशे का आदी व्यक्ति अपनी सेहत व जिदगी में सुधार देख नशे की दलदल से बाहर आ सकता है।