गाधी रोड रेल फाटक: रोजाना 45 मिनट जाम में फंसे रहते हैं लोग
। गाधी रोड फाटक को लेकर रेलवे अभी भी अपने अड़ियल रवैये पर कायम है।
जागरण संवाददाता, मोगा :
गाधी रोड फाटक को लेकर रेलवे अभी भी अपने अड़ियल रवैये पर कायम है। एक इंजन गुजारने के लिए गाधी रोड व नेस्ले इंडिया रेलवे फाटक 40-45 मिनट तक बंद रखा जाता है। इससे आधे शहर की गति पूरी तरह थम जाती है। खासकर रात को नौ बजे के बाद 11 बजे तक तो अक्सर रेलवे फाटक बंद रहता है। ऐसी स्थिति में कड़ाके की सर्दी में लंबे समय तक फाटक पर खड़े रहना काफी मुश्किल भरा रहता है।
हादसे में अध्यापिका को गंवानी पड़ी थी जान
गाधी रोड पर रेलवे की स्पेशल ट्रेन लोडिंग के दौरान गाधी रोड से तेज गति से दौड़ते ट्रक अक्सर हादसे की वजह बनते थे। 28 नवंबर को ऐसे ही एक हादसे में फिजिक्स अध्यापिका गरिमा की मौत के बाद जब आक्रोशित लोगों ने गाधी रोड बंद कर दिया था, तब डीसी संदीप हंस ने रेलवे रोड पर
16 दिन तक हैवी व्हीकल रोक दिए थे, बाद में हैवी व्हीकल को गाधी रोड के लिए अनुमति तो दे दी थी, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के नाके लग जाने से लोगों को बड़ी राहत मिली है। क्या है जमीनी हकीकत दो जनवरी की रात को गाधी रोड एवं नेस्ले रेलवे फाटक शाम को 7.35 बजे बंद हुआ था, बाद में रात को 8. 19 बजे फिरोजपुर रोड की ओर से एक इंजन गुजरने के बाद खुला। रेलवे सुपरिंटेडेंट निशार्न ंसह से पूछा कि क्या फाटक बंद होने का कोई तय समय है। जवाब मिला, 24-25 मिनट के लिए बंद होता है। जब उन्हें बताया गया कि फाटक 44 मिनट बंद रहा तो उन्होंने कहा कि धुंध ज्यादा है। तीन व चार जनवरी को धुंध नहीं थी, तभी भी दिन में ही दोनों फाटक 30-40 मिनट तक बंद रखे गए। गोदाम का शिफ्ट होना जरूरी साल 1906 में जब रेलवे स्टेशन बना था, ये शहर के बाहरी क्षेत्र में आबादी से अलग था। तब आबादी 20 से 25 हजार थी। अब शहर की आबादी दो लाख हो चुकी है। स्टेशन घनी आबादी के बीच में आ चुका है। गाधी रोड शहर के व्यस्ततम मार्गो में से एक है। हर दिन से यहा से 40-50 हजार लोगों को आना जाना होता है। कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान, दो स्कूल, अस्पताल हैं। जारी है लोगों का संघर्ष डीआरएम राजेश अग्रवाल ने अपनी फिरोजपुर पोस्टिंग के बाद एक बार भी मोगा स्टेशन का दौरा नहीं किया है। बिना सच्चाई जाने उन्होंने कह दिया कि हादसे में किसी एक व्यक्ति के मरने से माल गोदाम शिफ्ट नहीं करेगा। इससे नाराज जस्टिस फार गरिमा की ओर से संघर्ष कर रहे एडवोकेट र्वंरदर अरोड़ा, एनजीओ प्रयास के संस्थापक डा.सीमात गर्ग ने अब फाटक की पूर्व योजनाओं की जानकारी आइटीआइ के माध्यम से मागी है ताकि रेलमंत्री के सामने सच्चाई लाई जा सके।