विदेश में शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी, इमीग्रेशन सेंटर सील व लाइसेंस रद
मोगा पुलिस के एक एएसआइ के साथ मिलकर मोगा सहित कई जिलों में इमीग्रेशन सेंटर चला रही युवती ने डीसी ऑफिस के रेवेन्यू विभाग में तैनात सुपरिंटेंडेंट से 12 लाख रुपये उसके बेटे को विदेश में उच शिक्षा के लिए भेजने के नाम पर ठग लिए। इस बारे में डीसी संदीप हंस शिकायत मिलने पर इमीग्रेशन सेंटर संचालिका को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया।
जागरण संवाददाता, मोगा
पुलिस के एक एएसआइ के साथ मिलकर मोगा सहित कई जिलों में इमीग्रेशन सेंटर चला रही युवती ने डीसी ऑफिस के रेवेन्यू विभाग में तैनात सुपरिंटेंडेंट से 12 लाख रुपये उसके बेटे को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजने के नाम पर ठग लिए। इस बारे में डीसी संदीप हंस शिकायत मिलने पर इमीग्रेशन सेंटर संचालिका को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया। मगर, जब वह डीसी के समक्ष जांच में पेश नहीं हुई और जांच में आरोप सही पाए गए, तो डीसी ने संबंधित इमीग्रेशन सेंटर का लाइसेंस रद करने के साथ ही तहसीलदार को मौके पर भेजकर मोगा स्थित उक्त सेंटर कार्यालय सील करा दिया। साथ ही मोहाली व अन्य जिलों में स्थित सेंटर की शाखाओं को देखते हुए संबंधित जिलों के डीसी को भी पत्र लिखकर सेंटर बंद करने के लिए कहा है। इसके साथ ही डीसी ने एसएसपी को इमीग्रेशन सेंटर संचालिका के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा है।
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यह है मामला
जिला प्रशासन के रेवूेन्य विभाग में तैनात सुपरिंटेंडेंट जसकरन सिंह ने अपने बेटे जगनदीप सिंह को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने के लिए एक एएसआइ के माध्यम से चक्कीवाली गली स्थित इमीग्रेशन सेंटर एडवांस आइलेट्स इंस्टीट्यूट की संचालिका किरनदीप कौर और उसके पार्टनर एएसआइ जसविंदर सिंह से करीब पौने दो साल पहले बातचीत की थी। डीसी को सौंपी शिकायत में सुपरिंटेंडेंट जसकरण सिंह ने बताया था कि उसने बेटे की उच्च शिक्षा के लिए आठ लाख रुपये की राशि अपने जीपीएफ फंड से निकालीे साथ ही चार लाख रुपये का ट्रैक्टर बेच कर कुल 12 लाख रुपये उक्त इमीग्रेशन सेंटर संचालिका किरणदीप कौर के बैंक खाते में जमा कराए थे।
इसके कुछ दिन बाद ही सुपरिंटेंडेंट कैंसर की की चपेट में आ गया। इस दौरान वह पहले डीएमसी में और बाद में पीजीआइ में दाखिल रहा। इस दौरान इमीग्रेशन संचालिका के पास जसकरण का बेटा जगनदीप सिंह जब भी जाता, तो इमीग्रेशन संचालिका व एएसआइ बहाना बनाकर उसे टाल देते थे। बीमारी से ठीक होने पर सुपरिंटेंडेंट जब इमीग्रेशन संचालिका के पास पहुंचा, तो फिर वह टालमटोल करने लगी और न तो उसे पैसे वापस दिए तथा न ही बेटे को विदेश भेज रही थी। सुपरिंटेंडेंट ने इस मामले की शिकायत डीसी से लिखित में कर दी।
डीसी ने मामले की जांच शुरू की, तो इमीग्रेशन सेंटर संचालिका के खिलाफ शिकायत में लगे आरोप सही साबित हुए। सेंटर में तैनात ट्रेनर्स ने भी डीसी को अलग से शिकायत देकर आरोप लगाए थे कि सेंटर संचालिका उनका चार-चार माह का वेतन नहीं दे रही है।
इस पर डीसी ने सेंटर संचालिका को अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया था। मगर, वह डीसी के समक्ष में जांच में शामिल ही नहीं हुई। आखिरकार डीसी ने इमीग्रेशन सेंटर का लाइसेंस रद कर तहसीलदार भूपिंदर सिंह और नायब तहसीलदार दीपक शर्मा को भेजकर एक दिन पहले उक्त इमीग्रेशन सेंटर सील कर दिया।