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बदतर हुए मंडी के हालात, फसल की रखवाली में कट रही किसानों की रात

जिले की अनाज मंडी में धान की फसल लेकर आए किसानों ने मंडी बोर्ड के घटिया प्रबंधों की पोल खोली है। कई किसानों में मंडी में धान लेकर आए तीन दिन का समय बीत चुका है लेकिन धान की खरीद नहीं हो रही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 10:19 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:23 AM (IST)
बदतर हुए मंडी के हालात, फसल की रखवाली में कट रही किसानों की रात
बदतर हुए मंडी के हालात, फसल की रखवाली में कट रही किसानों की रात

राज कुमार राजू, तरलोक नरूला, मोगा : जिले की अनाज मंडी में धान की फसल लेकर आए किसानों ने मंडी बोर्ड के घटिया प्रबंधों की पोल खोली है। कई किसानों में मंडी में धान लेकर आए तीन दिन का समय बीत चुका है, लेकिन धान की खरीद नहीं हो रही। खरीद न होने से किसानों को मंडी में दिन में धान सुखानी पड़ रही है और रात को फसल की रखवाली करनी पड़ रही है। खरीद न होने से मडी में धान के अंबार लगे हुए हैं। किसानों का कहना है कि रात को मंडी में बोरियों पर चारपाई डालकर सोना पड़ा रहा है जाते हैं। मंडी में धान रखने की जगह न होने के कारण सड़क पर धान बिछाना पड़ रहा है।

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अनाज मंडी में धान की फसल लेकर आए किसान बूटा सिंह ने बताया कि पिछले तीन दिन से फसल बेचने के लिए लेकर आ रहा है, परंतु अभी तक कोई भी सरकारी खरीद एजेंसी का अधिकारी उसकी सुध लेने नहीं आया है। मंडी के दो कर्मी आए थे और फसल देखकर बिना कुछ बताए वापस चले गए। उन्होंने कहा कि आढ़ती उन्हें फसल सुखाकर लाने को कहते हैं।

नमी का स्तर बन रहा परेशानी

सुरजीत सिंह गांव झंडेआना ने कहा कि वह शनिवार को फसल लेकर मंडी आए हैं। सरकार द्वारा धान का नमी का स्तर 17 प्रतिशत तय किया हुआ है। मंडी में नमी का स्तर जांचने वाले यंत्र द्वारा नमी ज्यादा बताकर मंडियों में धान को फैलाकर सुखाने के लिए कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वह दिन तो धान सुखा लेते है। लेकिन रात को पड़ने वाली ओस से फिर धान की नमी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि आढ़ती उनसे नमी वाले धान लेने के एवज में प्रति सौ गट्टे के पीछे तीन गट्टे की मांग करते है। उन्होंने मंडी बोर्ड के कार्यालय में लगी मशीन पर नमी की जांच करवाई तो 18 प्रतिशत नमी आई है। पहले से कम हुआ फसल का झाड़

गांव मटवानी के निवासी सरदूल सिंह ने कहा कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष धान का झाड़ कम हुआ है, जिसका मुख्य कारण फसल की बिजाई देरी से होना व नमी स्तर ज्यादा होना व फसल को पकने से पहले काटना है। उन्होंने कहा कि जब धान की बिजाई करते हैं तो प्रति एकड़ 3500 रुपये होता है बाद में कटाई का खर्चा प्रति एकड़ 13 सौ रुपये पड़ता है। ऐसे में उपर से झाड कम होने से किसान को आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ता है। बारिश हुई तो बढ़ेगी परेशानी

मंडी में फसल लेकर आए अलग गांवों के किसान दर्शन सिंह ,बलजीत सिंह व हाकम सिंह ने कहा कि उन्हें मंडी में धान की फसल लेकर आए हुए कई दिन हो गए है। रात को मंडी में बोरियों पर चारपाई डालकर सौ जाते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी के शड और फड़ में जगह न होने के कारण उन्हें मंडी की सड़क पर धान डालना पड़ा। मंडी के लगभग सभी शेडों में धान की बोरियां पड़ी हैं। फड़ में भी धान रखने की जगह नहीं है। ऐसे में यदि आगामी दिनों में बारिश आ जाती है तो बोरियों में भरे धान समेत ढेरों में पड़ा धान खराब हो जाएगा। धान में नमी का अधिक स्तर बन रहा परेशानी : मंडी अफसर

मंडी अफसर वजीर सिंह ने कहा कि मंडी बोर्ड की ओर से किसानों को सभी सुविधाएं दी जा रही है। लेकिन धान नमी स्तर ज्यादा होने से किसानों को थोड़ी समस्या पेश आ रही है। इसके अलावा अगर कोई आढ़ती धान की ज्यादा बोरियों की मांग करता है तो वह इसकी जांच करवाएंगे।


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