किसान संगठनों ने धरना दे किया यातायात बाधित
संस, निहाल ¨सह वाला (मोगा) सात किसान जत्थेबंदियों द्वारा किसानों की मांगों को लेकर बुधवार
संस, निहाल ¨सह वाला (मोगा)
सात किसान जत्थेबंदियों द्वारा किसानों की मांगों को लेकर बुधवार को मोगा-बरनाला राष्ट्रीय मार्ग पर गांव माछीके में दोपहर 12 से 2 बजे तक जाम लगाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के जिलाध्यक्ष अमरजीत ¨सह सैदोके, त्रिलोक ¨सह हिम्मतपुरा ने कैप्टन सरकार द्वारा किसानों की मांगों के प्रति धारण किए अड़ियल रवैये की सख्त शब्दों में ¨नदा की। उन्होंने कहा कि कैप्टन अम¨रदर ¨सह द्वारा चुनाव वादे से पीछे हटने का गंभीर नोटिस लेते खेती मोटरों पर मीटर लगाने के फैसले की तीव्र शब्दों में ¨नदा करते इस फैसले के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आज का संकेतिक जाम सरकार के कान खोलने के लिए शहीद भगत ¨सह व साथियों द्वारा अंग्रेज सरकार के खिलाफ उस समय असेंबली चलाए गए बम्ब की तरह है। हमारा यह विरोध किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि अपने दुख की ओर ध्यान दिलाना है। किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने अभी भी किसानी मांगों की अनदेखी की तो आने वाले दिनों में संघर्ष को और तेज किया जाएगा। इस अवसर ब्लाक अध्यक्ष गुरचरण ¨सह रामा, सौदागर ¨सह खाई, बूटा ¨सह भागीके व अन्य हाजिर थे।
ये हैं यूनियन की मांगें :
-सरकार द्वारा घोषित दो लाख तक की फसली कर्जे माफ करने के नोटीफिकेशन की
धारा 5.2 हटाकर 5 एकड़ तक के सारे किसानों के लिए बिना शर्त धारा 5.1 तहत ही लागू किया जाए।
-खेती विरोधी नीतियों कारण सहकारी, व्यापारिक बैंकों के सूदखोर आढ़तियों
-शाहूकारों समेत निजी वित्तीय कंपनियों से मजबूर लिए कर्जे वापस करने से
-असमर्थ किसानों, मजदूरों के समूचे कर्जे को खत्म किया जाए।
-कर्जा लेते समय किसानों, मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाकर हासिल किए
-हस्ताक्षर, अंगूठे वाले खाली चेक, परनोट, अष्टाम बैंक व आढ़तियों से तुरंत वापस करवाए जाएं।
-कर्जा वसूली खातिर कुर्कियां, नीलामी, गिरफ्तारी, पुलिस दखल व फोटो समेत डिफाल्टर लिस्टों जैसे हथकंड़ों पर पाबंदी, ब्याज पर ब्याज तथा मूलधन से अधिक ब्याज वसूलने पर पाबंदी लगाई जाए।
-खेती फसलों के लाभकारी समर्थन मूल्य डॉ. स्वामीनाथन की सिफारिश अनुसार निश्चित करके दिए जाए।
-घटिया बीजों, दवाइयों, खादों इत्यादि के अलावा बिजली के घटिया प्रबंधों या कुदरती आपदा द्वारा बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा ओस्त झाड़ के पूरे मूल्य के बराबर दिया जाए।
-कर्ज व आर्थिक तंगी से पीड़ित खुदकशियों का शिकार हुए किसानों,
मजदूरों के परिजनों को 10-10 लाख मुआवजा, 1-1- सरकारी नौकरी तथा समूचे कर्जे खत्म करके राहत दी जाए।
-धान की पराली व गेहूं की नाड़ को बिना जलाए संभालने के लिए धान पर 200 रुपये तथा गेहूं पर 150 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जाए।