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ऑनलाइन शिक्षा में अनंत संभावनाएं

मोगा एकेडमिक एजुकेशन के लिए ऑनलाइन शिक्षा अनंत संभावनाएं लिए हुए है। जब ऑनलाइन कक्षा लगती है तो अध्यापक को भी तैयार होना पड़ता है उसमें कहीं भी गलती की गुंजाइश नहीं रहती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 10:30 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 10:30 PM (IST)
ऑनलाइन शिक्षा में अनंत संभावनाएं
ऑनलाइन शिक्षा में अनंत संभावनाएं

संवाद सहयोगी, मोगा

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एकेडमिक एजुकेशन के लिए ऑनलाइन शिक्षा अनंत संभावनाएं लिए हुए है। जब ऑनलाइन कक्षा लगती है, तो अध्यापक को भी तैयार होना पड़ता है, उसमें कहीं भी गलती की गुंजाइश नहीं रहती है। अध्यापक के कामकाज का पूरा रिकार्ड बनता है। उसकी कक्षा का वीडियो बन सकता है। जिसका उपयोग बाद में किया जा सकता है। या किन्हीं कारणों से बच्चे कक्षा में उपस्थित न हो पाए हों, तो वे बाद में भी सीख सकते हैं। उसका सुधार और विस्तार भी संभव है। ये बिंदु द लर्निग फील्ड (टीएलएफ) ए ग्लोबल स्कूल के तत्वावधान में आयोजित नई पहल साप्ताहिक पैनल डिस्कशन में विभिन्न वक्ताओं के साथ चर्चा में सामने आए हैं।

उक्त पैनल डिस्कशन में अभिभावकों के प्रतिनिधि के रूप में मोटीवेटर मालविका सूद सच्चर, सचिन गोयल, स्टूडेंट प्रतिनिधि के रूप में गुरुनूर कौर व माधव सिगल तथा टीचर्स फैकल्टी के रूप में प्रीति सूद शामिल थीं। एजुकेटर के रूप में प्रिंसिपल सुनीता बाबू व एंकर के रूप में ज्योतिष नारायण थे।

मालविका सूद सच्चर ने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन की सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि एक बच्चा किसी कारणवश स्कूल से कई सौ किलोमीटर दूर किसी दूसरे शहर में बैठा है या गांव में बैठा है, तो वह भी अपनी कक्षा अटेंड कर सकता है। ऑनलाइन शिक्षा का बड़ा सकारात्मक पहलू यह भी है कि यहां पर अध्यापक के लिए भी कोई गलती का मौका नहीं है, क्योंकि सब कुछ यहां पारदर्शी होता है। ऑनलाइन शिक्षा वैकल्पिक और पूरक दोनों ही भूमिकाओं में है। इसमें अध्यापक के कुछ कठिनाइयां भी हैं, वह अनुपस्थित नहीं हो सकता है। सिलेबस को ठीक तरह से अध्यापक को तैयार करना ही पड़ेगा। निर्धारित समय पर आना पड़ेगा। बच्चों के साथ अनुचित व्यवहार की भी कोई गुंजाइश नहीं है।

इस दौरान बच्चों ने भी ऑनलाइन शिक्षा को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर कदम बताया। आम तौर पर बच्चों को कई-कई विषय के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागना पड़ा था। ऑनलाइन शिक्षा ने इससे छुटकारा दिलाने की उम्मीद जगाई है।

स्कूल प्रिंसिपल सुनीता बाबू ने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन ही वर्तमान परिस्थिति में अध्ययन को निरंतर रख सकती है। पारंपरिक शिक्षण पद्धति ही श्रेष्ठ है, क्योंकि इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों के मध्य आवश्यक संबंध स्थापित होता है। पैनल डिस्कशन का अध्यापक ज्योतिष नारायण ने बखूबी संचालन किया। स्कूल के चेयरमैन इंजी. जनेश गर्ग, प्रिसिपल सुनीता बाबू ने इस सफल पैनल डिस्कशन के लिए अभिभावकों, स्टाफ व बच्चों का धन्यवाद किया।


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