निहालसिंह वाला विस क्षेत्र : पहले दो नेताओं की जंग थी, अब पूरी पार्टी 'झुलसी'
। निहालसिंह वाला विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से कांग्रेस पार्टी में कलह विधानसभा चुनाव 2022 में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
सत्येन ओझा.मोगा
निहालसिंह वाला विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से कांग्रेस पार्टी में कलह विधानसभा चुनाव 2022 में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। नगर पंचायत बधनीकलां व नगर पंचायत निहालसिंह वाला में 17 फरवरी 2021 को आए चुनावी नतीजे में भी कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी दोनों ही स्थानों पर बहुमत में थे, लेकिन पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के चलते आज तक वहां कांग्रेस नगर पंचायतों में अपने अध्यक्ष नहीं बनवा सकी है।
निर्वाचित पार्षद एक साल बाद भी शपथ नहीं ले पाए हैं, इन हालातों के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने शिअद से कांग्रेस में शामिल हुए भूपिदर सिंह साहोके को विधानसभा की टिकट देकर पार्टी की कलह की आग में घी डालने का काम किया है। महेश व दर्शन में छत्तीस का आंकड़ा
जिला कांग्रेस के दो बड़े नेता मूल रूप से निहालसिंह वाला विधानसभा क्षेत्र से संबंधित हैं, जिनमें पूर्व विधायक महेशइंदर सिंह व वर्तमान में बाघापुराना से विधायक दर्शन सिंह बराड़ शामिल हैं। दोनों सियासी पारी बाघापुराना में खेल रहे हैं, लेकिन पार्टी के इन दोनों नेताओं के बीच 36 का आंकड़ा निहालसिंह वाला में भी पार्टी में आग में घी डालने का काम कर रहा है। खास बात ये कि निहालसिंह वाला में दोनों नेता खुलकर सामने नहीं आते हैं, लेकिन दोनों ही राहें एक दूसरे के खिलाफ ही हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने निहालसिंह वाला क्षेत्र में पार्टी की अंदरूनी कलह शांत कराने के बजाय भूपिदर सिंह साहोके के टिकट देकर अपने ही ही राहें और मुश्किल में कर ली हैं। क्योंकि अभी तक तो दर्शन सिंह बराड़ व महेशइंदर सिंह निहालसिंह वाला गुट वहां आपस में टकराता था, अब साहोके को टिकट मिलने के बाद सबस पहले पूर्व विधायक अजीत सिंह शांत ने बगावत करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। साहोके के आते ही बगावत शुरू
पूर्व जिलाध्यक्ष कर्नल बाबू सिंह, निहालसिंह वाला मार्केट कमेटी के चेयरमैन परमिदर डिपल ने साहोके के पार्टी में शामिल होने से पहले ही बगावत शुरू कर दी थी, वे मांग करते रहे थे कि निहालसिंह वाला से पार्टी के नेता को ही टिकट दी जाए, बाहर से आने वाले को नहीं लेकिन ऐसा हुआ है। डिपल खुद भी निहालसिंह वाला क्षेत्र से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। यही वजह है कि मूल रूप से धर्मकोट के रहने वाले डिपल ने अपना कार्यस्थल निहालसिंह वाला को बनाया था, वही से मार्केट कमेटी के चेयरमैन भी बने, लेकिन टिकट की रेस में वे अकाली दल को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल हुए साहोके के हाथों हार गए। शांत करवाने वाला कोई नहीं
निहालसिंह वाला ने शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी के रूप में जत्थेदार बलदेव सिंह मानूके सबसे पहले प्रत्याशी घोषित हुए थे, वे लगातार सक्रिय हैं। उनके प्रत्याशी घोषित होने के बाद ही साहोके ने पार्टी छोड़ी थी। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विधायक मंजीत सिंह के संबंध में पहले ही तय कर चुकी है कि इस बार उन्हीं को फिर से चुनाव लड़ाएंगे। कांग्रेस ने दो दिन पहले ही साहोके को प्रत्याशी घोषित किया है। घोषणा के साथ ही बगावत भी शुरू हो चुकी है, यही बगावत पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है, क्योंकि पहले कलह दो नेताओं में थी, अब विद्रोही तेवर पार्टी के सभी नेताओं के बीच में है। जिले में कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा न होने के कारण इस कलह को शांत करने वाला भी फिलहाल वहां कोई नहीं दिख रहा है।