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उमस व मानसून ने बढ़ाई मछली पालकों की परेशानी

मोगा जिले में बीते दिनों से मौसम परिर्वतन के चलते मछलीपालकों को बेहद सतर्कता बरतनी पड़ रही है। वर्तमान में मौसम का असर भी मछली पालन पर पड़ रहा है। उमस और टॉक्सिन की बढ़ोतरी के चलते मछलियों को सांस लेने के लिए पानी की ऊपरी सतह का सहारा लेना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 10:51 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 10:51 PM (IST)
उमस व मानसून ने बढ़ाई मछली पालकों की परेशानी
उमस व मानसून ने बढ़ाई मछली पालकों की परेशानी

अश्विनी शर्मा, मोगा

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जिले में बीते दिनों से मौसम परिर्वतन के चलते मछलीपालकों को बेहद सतर्कता बरतनी पड़ रही है। वर्तमान में मौसम का असर भी मछली पालन पर पड़ रहा है। उमस और टॉक्सिन की बढ़ोतरी के चलते मछलियों को सांस लेने के लिए पानी की ऊपरी सतह का सहारा लेना पड़ रहा है। हालांकि अभी तक किसी मछली पालन ने बड़े नुकसान की कोई पुष्टि नहीं की है। मगर, इस समय सभी मछली पालकों को दिन-रात मछलियों की सतर्कता के साथ देखभाल करनी पड़ रही है, ताकि उन्हें किसी बड़े नुकसान को न भुगतना पड़े।

वहीं जिला प्रशासन भी मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए है, ताकि मछली पालकों को हरसंभव सहयोग दिया जा सके और किसानों को मौसम परिवर्तन से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।

भीषण गर्मी के चलते पानी के तापमान में दिनभर परिर्वतन चल रहा है और मानसून के चलते बादलों की उपस्थिति से भी पानी में मौजूद ऑक्सीजन पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके कारण मछलियों को इस मौसम में सांस लेने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि मछलियों को पानी की ऊपरी सतह का सहारा लेना पड़ रहा है। अक्सर इस स्थिति में मछलियां तालाब के ऊपर मुंह निकालती हुई नजर आती हैं और छांव ढूंढने का प्रयास करती हैं। इस स्थिति में उमस और टॉक्सिन मछलियों की परेशानी का कारण बनते हैं, जोकि पानी में ऑक्सीजन को कम करने में मुख्य भूमिका अदा करते हैं।

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- दो वर्ष पहले मरी थीं हजारों मछलियां

बता दें कि गांव घलकलां में मानसून के दौरान ही दो वर्ष पहले हजारों मछलियों की मौत हुई थी। जिसके चलते किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में इस बार मछली पालकों सहित विभागीय अधिकारी भी सतर्क हैं।

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2200 एकड़ में हो रहा मछली पालन

बता दें कि जिले 2200 एकड़ में मछली पालन किया जा रहा है। जिले में वर्तमान में 85 किसानों द्वारा 230 पौंड में मछलियों का रखरखाव किया जा रहा है। गांव ठठी भाई, मोड नौबहार, इंदरगढ़, जाफर वाला व कोट सदरखां में किसान हर वर्ष मछली पालन को बढ़ावा दे रहे है।

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- हर स्थिति पर रखी जा रही निगरानी : एपीओ

असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (एपीओ)सुखविदर सिंह ने बताया कि फिलहाल अभी किसी किसान ने मछली पालन के दौरान किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं दी है। फिर भी उनकी टीम मौसम परिवर्तन को लेकर बेहद सक्रिय है।


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