डीटीएफ पंजाब ने किया अध्यापकों के संघर्ष का समर्थन
। केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर शिक्षा क्षेत्र को बाकी क्षेत्रों की तरह कार्पोरेट के हवाले किया जा रहा है तथा पंजाब सरकार भी उसी नीति पर चल रही है।
संवाद सहयोगी,मोगा
केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर शिक्षा क्षेत्र को बाकी क्षेत्रों की तरह कार्पोरेट के हवाले किया जा रहा है तथा पंजाब सरकार भी उसी नीति पर चल रही है। यह शब्द डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट पंजाब की जिला इकाई के अध्यक्ष अमनदीप मटवानी और सचिव जगवीरन कौर ने कहे।
उन्होंने विभाग की तबादला नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस नीति से तो अपने घरों से दूर दराज स्टेशनों पर बैठे अपने जिलों में वापसी की प्रतीक्षा कर रहे अध्यापकों की समस्याओं में और बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा विभाग की सैकड़ों आसामियां खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार निजीकरण व आउटसोर्सिंग की नीतियां लागू करने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपना रही है। अध्यापकों की सेवाओं को अनियमित करके आर्थिक लाभ में कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि डीटीएफ अध्यापक मोर्चा पंजाब के तीन मार्च के तय संघर्ष को समर्थन देगा।
जिला उपाध्यक्ष सुखपालजीत मोगा, वित्त सचिव गुरमीत, सहायक सचिव सुखविदर घोलियां ने कहा कि सरकार की ओर से आहलूवालिया कमेटी की सिफारिशें लागू करके विभिन्न विभागों का आकार कम किया जा रहा है। पंजाब में विभिन्न विभागों की लगभग 60 हजार आसामियों को खत्म किया जा चुका है। शिक्षा विभाग की बेलगाम अफसरशाही द्वारा स्कूलों में अलग ही माहौल बनाया जा रहा है। सारा वर्ष अध्यापकों को टेस्टों में व्यस्त कर दिया जाता है। इस मौके पर जिला कमेटी की सदस्य मधु बाला, अमनदीप माछीके, अमरदीप बुट्टर, स्वर्णदास धर्मकोट, प्रेम सिंह, जगदेव मैहना, हरपिदर ढिल्लों, दीपक मित्तल, सुखमिंदर निहाल सिंह वाला सहित काफी संख्या में यूनियन के सदस्य मौजूद थे।