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रेत का अवैध खनन : क्लीन चिट देने के बाद डीसी बोले, मशीनरी की मौजूदगी की खुद करेंगे जांच

। धर्मकोट में अवैध खनन के मामले में निवर्तमान एसएसपी ध्रुमन एच निबले के निर्देशन में जिस रेत ठेकेदार के खिलाफ पुलिस ने तीन केस दर्ज किए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 10:31 PM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 10:31 PM (IST)
रेत का अवैध खनन : क्लीन चिट देने के बाद डीसी बोले,  मशीनरी की मौजूदगी की खुद करेंगे जांच
रेत का अवैध खनन : क्लीन चिट देने के बाद डीसी बोले, मशीनरी की मौजूदगी की खुद करेंगे जांच

जागरण संवाददाता.मोगा

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धर्मकोट में अवैध खनन के मामले में निवर्तमान एसएसपी ध्रुमन एच निबले के निर्देशन में जिस रेत ठेकेदार के खिलाफ पुलिस ने तीन केस दर्ज किए थे, डिप्टी कमिश्नर हरीश नैयर ने सभी केसों में ठेकेदार को क्लीन चिट देकर रिपोर्ट सरकार को भेज दी थी, उसी के आधार पर पुलिस ने केस खारिज कर दिया। तत्कालीन एसएसपी ने धर्मकोट के जिस डीएसपी सुबेग सिंह की अवैध खनन में भूमिका संदिग्ध पाई थी, उसका सरकार ने तबादला तो कर दिया लेकिन ठेकेदार को भी क्लीन चिट दे दी। डीसी से जब पूछा गया कि खनन का स्पाट व डंप साइड लीगल थी, लेकिन क्या वहां पर पकड़ी गई पोरलेन मशीन, जेसीबी मशीन भी एनजीटी की गाइड लाइन के अनुसार थीं, इस पर डीसी ने कहा कि वे इस मामले को चेक कराएंगे किया मशीनें गाइडलाइन के अनुरूप ही मौजूद थीं।

यह है मामला

निवर्तमान एसएसपी ध्रुमन एच निबले ने एसपी (डी) जगतप्रीत सिंह को नोडल अधिकारी बनाकर रेत माफिया पर शिकंजा कसा था। टीम बनाकर 19 सितंबर को बड़ी कार्रवाई की थी। आठ लोगों को रेत के साथ गिरफ्तार किया था। मौके से दो पोपलेन मशीन सहित करीब दो करोड़ रुपये की मशीनरी बरामद की गई, एक लैपटाप भी पुलिस ने जब्त किया। 15 दिन में पुलिस ने लगातार तीन बार कार्रवाई करते हुए मौके से कुल पांच पोपलेन मशीनें, जेसीबी मशीनें बरामद की थीं।

इस मामले में पुलिस ने तत्कालीन डीएसपी धर्मकोट सुबेग सिंह व माइनिग अफसर को सम्मन जारी किए थे। माइनिग अफसर से पूछा गया था कि एक जुलाई को जब खनन चार महीने के लिए बंद किया गया था, तब अधिकृत डंप साइट पर कितनी रेत थी। माइनिग अफसर ने इसका जबाव देने के बजाय सिर्फ इतना जबाव दिया था कि पुलिस ने जिस साइट पर जाकर लोगों को पकड़ा है वह वैध है। माइनिग अफसर की ये दलील सही थी कि डंप साइट वैध थी लेकिन कुल रेत का रिकार्ड खनन बंद होने के सात ही माइनिग विभाग के पास आ जाता है लेकिन जब तक एसएसपी निबले का तबादला नहीं हुआ तब तक माइनिग अफसर ये रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं करा सके।

इस बीच माइनिग ठेकेदार इस मामले में हाई कोर्ट चला गया था। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को जांच के आदेश दिए थे। मुख्य सचिव के आदेश पर डीसी हरीश नैयर ने मामले की जांच की थी। उन्होंने माइनिग अधिकारी की इस दलील को सही मानते हुए कि डंपिग साइड वैध है, माइनिग ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी। इस बात की जिक्र नहीं किया गया कि आखिरकार मौके पर चार-चार पोपलेन मशीनें क्यों मौजूद थीं, भले ही पुलिस ने मशीनें डंप साइट से पकड़ी थीं, जो माइनिग साइड उससे कुछ दूरी पर ही है, लेकिन क्या एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार मौके पर पोपलेन मशीनों की मौजूदगी ठीक थी। क्या सीसीटीवी कैमरे मौके पर ठेकेदार ने लगाए थे, ये तमाम बातें अभी तक साफ नहीं हुई हैं। सोमवार को इस संबंध में जब डीसी हरीश नैयर से पूछा गया तो उन्होंने ये कहते हुए बात को टाल दिया कि वे इस मामले की जांच करेंगे कि क्या मशीनरी की मौजूदगी एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार ही थी। बड़ा सवाल है कि अगर एनजीटी की गाइडलाइन की जांच में अनदेखी हुई है तो ठेकेदार को क्लीन चिट किस आधार पर दी गई। डीसी की क्लीन चिट के बाद ही पुलिस ने भी केस खारिज कर दिया। हालांकि अदालत से अभी केस खारिज नहीं हुआ है, इससे पहले ही पुलिस ने रेत ठेकेदार के आगे आत्मसमर्पण करते हुए ठेकेदार का लैपटाप वापस कर दिया, जबकि कोर्ट से केस खारिज न होने तक लैपटाप केस प्रापर्टी है।


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