सड़क निर्माण व घटिया एलईडी लाइटों के लिए डीसी ने गठित की जांच कमेटी
मोगा शिकायत निवारण कमेटी में उठे शहर में घटिया किस्म की एलईडी लाइटों व अजीतनगर क्षेत्र में 90 लाख रुपये से सड़क निर्माण में बेहद घटिया किस्म की सामग्री का प्रयोग करने के मामले में डीसी संदीप हंस ने एडीसी विकास सुभाष चंद्र की अध्यक्षता में चार-चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। दोनों ही कमेटियों में तीन-तीन टेक्निकल सदस्यों को शामिल किया गया है ताकि गुणवत्ता के आधार पर दोनों ही मामलों में सही ढंग से जांच हो सके।
जागरण संवाददाता, मोगा
शिकायत निवारण कमेटी में उठे शहर में घटिया किस्म की एलईडी लाइटों व अजीतनगर क्षेत्र में 90 लाख रुपये से सड़क निर्माण में बेहद घटिया किस्म की सामग्री का प्रयोग करने के मामले में डीसी संदीप हंस ने एडीसी विकास सुभाष चंद्र की अध्यक्षता में चार-चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। दोनों ही कमेटियों में तीन-तीन टेक्निकल सदस्यों को शामिल किया गया है, ताकि गुणवत्ता के आधार पर दोनों ही मामलों में सही ढंग से जांच हो सके।
डीसी संदीप हंस ने बताया कि दोनों ही कमेटियों का अध्यक्ष एडीसी (विकास) सुभाष चंद्र को बनाया गया है, जबकि कमेटी के तीन सदस्यों में एक्सईएन पीडब्ल्यूडी बीएंडआर, एक्सईएन पंचाश्ती राज आदि को सदस्य बनाया गया है। इसी प्रकार एलईडी की कमेटी में एसडीओ पीडब्ल्यूडी (इलेक्ट्रीशियन) को रखा गया है, ताकि इस बात की जांच की जा सके कि टेंडर की शर्तो के अनुसार जिस स्टैंडर्ड की एलईडी लगनी थीं, वह लगी हैं या नहीं।
बता दें कि जिला शिकायत निवारण कमेटी की बैठक 18 दिसंबर को मोगा में कैबिनेट मंत्री सुखजिदर सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में हुई थी। बैठक में गैर सरकारी सदस्यों के रूप में भाजपा से इस्तीफा दे चुके सरदार त्रिलोचन सिंह गिल व पूर्व पार्षद एवं जिला बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष नसीब बावा एडवोकेट ने शहर में लग रहीं सब स्टैंडर्ड एलईडी लाइटों का मुद्दा उठाया था। दलील दी थी कि सरकार के साथ जो एग्रीमेंट हुआ था, उसके अनुसार आइएसआइ मार्का लाइटें लगनी थीं, परंतु लग सब स्टैंडर्ड लाइटें रही हैं। सरदार त्रिलोचन सिंह गिल ने बताया कि अजीतनगर क्षेत्र में 90 लाख से सड़क निर्माण में बेहद घटिया किस्म की सामग्री का प्रयोग किया गया था। निगम के एक्सईएन को मौके पर बुलाकर दिखाया भी गया था और एक्सईएन ने माना था कि निर्माण सामग्री घटिया किस्म की है। इसके बावजूद ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय ठेकेदार को पेमेंट कर मामला खत्म कर दिया, सड़क बनने के दो महीने बाद ही टूटने लगी है। दोनों ही मामलों में मंत्री ने जांच के निर्देश डीसी को दिए थे।