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कोरोना संकट ने खोली आंखें, फार्मेसी शिक्षा में बदलाव की तैयारी

मोगा कोरोना के वैश्विक संकट ने दवा निर्माण के क्षेत्र में पिछले तीन दशक में आए तकनीक बदलाव के बीच पुराने ढर्रे पर तैयार हो रही फार्मेसी क्षेत्र की मेन पावर के बारे में सरकार की आंखें खोल दी हैं। फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआइ) ने इंडस्ट्रीज की जरूरत व एकेडमिक क्षेत्र में तैयार रही इस मेन पावर के गैप को दूर करने के लिए देश भर के फार्मेसी क्षेत्र के वैज्ञानिकों की टीम का गठन किया है। मोगा के आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी के डायरेक्टर डा. जीडी गुप्ता इस कमेटी में पंजाब से एकमात्र सदस्य बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 02:27 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 06:28 AM (IST)
कोरोना संकट ने खोली आंखें, फार्मेसी शिक्षा में बदलाव की तैयारी
कोरोना संकट ने खोली आंखें, फार्मेसी शिक्षा में बदलाव की तैयारी

सत्येन ओझा, मोगा

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कोरोना के वैश्विक संकट ने दवा निर्माण के क्षेत्र में पिछले तीन दशक में आए तकनीक बदलाव के बीच पुराने ढर्रे पर तैयार हो रही फार्मेसी क्षेत्र की मेन पावर के बारे में सरकार की आंखें खोल दी हैं। फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआइ) ने इंडस्ट्रीज की जरूरत व एकेडमिक क्षेत्र में तैयार रही इस मेन पावर के गैप को दूर करने के लिए देश भर के फार्मेसी क्षेत्र के वैज्ञानिकों की टीम का गठन किया है। मोगा के आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी के डायरेक्टर डा. जीडी गुप्ता इस कमेटी में पंजाब से एकमात्र सदस्य बने हैं।

देश की दवा निर्माता कंपनियों ने मशीनरी तो विश्व स्तरीय लगा ली हैं, लेकिन उसके अनुरूप उन्हें अपेक्षित मेन पावर नहीं मिल पा रही है। इसी गैप को भरने के लिए सदस्य बनने के बाद अब आइएसएफ ने एकेडमिया गैप एनालीसिस पर डायलाग सीरीज शुरू की है।

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यह है जमीनी हकीकत

कोरोना संक्रमण शुरू होने पर जब देश ने वेक्सीन बनाने की कवायद शुरू की, तो दवा इंडस्ट्रीज व एकेडमी के मध्य एक बड़ा गैप सामने आया। कंपनियों के पास मशीनरी विश्वस्तरीय है, लेकिन उतनी स्मार्ट मेन पावर देश में तैयार ही नहीं हो रही है, जो उन मशीनों की तरह दवा निर्माण में स्मार्ट परिणाम दे सकें। खुद डा. जीडी गुप्ता मानते हैं कि फार्मेसी में जो सिलेबस है, उसमें भी इंडस्ट्रीज की डिमांड के अनुरूप बदलाव की जरूरत है। साथ ही देश के फार्मेसी संस्थानों में पुरानी मशीनरी पर ही फार्मेसी के विद्यार्थी प्रैक्टिकल कर रहे हैं। यही वजह है कि प्लेसमेंट कैंप में इंडस्ट्रीज विद्यार्थियों को रिजेक्ट कर देती हैं, क्योंकि नई तकनीक के अनुसार उन्हें काम करने का अनुभव नहीं है।

डा. जीडी गुप्ता मानते हैं कि थोड़े से बजट से फार्मेसी शिक्षण संस्थाओं की मशीनरी को अपग्रेड करके देश की फार्मेसी इंडस्ट्रीज के लिए वर्तमान जरूरत के अनुसार मेन पावर तैयार कर सकती है।

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गैप एनालीसिस सीरीज शुरू

आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी ने विजन 2030 के तहत इंडस्ट्रीज एकेडमिया गैप एनालिसिस सीरीज शुरू की है। डा. जीडी गुप्ता ने बताया कि 100 दिन चलने वाली सीरीज में हर दिन फार्मेसी इंडस्ट्रीज से संबंधित एक विशेषज्ञ का एकेडमी क्षेत्र के विशेषज्ञ के साथ गंभीर मंथन होगा कि इंडस्ट्रीज को किस प्रकार की मेन पॉवर चाहिए और वर्तमान में उपलब्ध मेन पावर में क्या कमजोरियां हैं। उन्हें कैसे दूर करके इंडस्ट्रीज के अनुरूप तैयार किया जा सकता है। इस पर गंभीर विचार मंथन के बाद रिपोर्ट फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया को भेजी जाएगी, ताकि फार्मेसी के सिलेबस व फार्मेसी के बड़े सरकारी संस्थानों की लैबोरेटरियों में बदलाव कर आज की जरूरत के अनुसार मेन पावर तैयार करने पर फार्मेसी काउंसिल अंतिम रूप से फैसला ले सके। डा. गुप्ता मानते हैं कि अगर यह बदलाव होता है तो इसका सीधा असर फार्मेसी के विद्यार्थियों पर पड़ेगा और अच्छे प्लेसमेंट हो सकेंगे। कालेज के चेयरमैन प्रवीन गर्ग ने इस योजना को सफल बनाने के लिए हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया है।


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