मेयर पद को लेकर कांग्रेस के दो गुटों में घमासान
। निगम चुनाव में निर्वाचित प्रत्याशियों का नोटीफिकेशन अभी तक नहीं हुआ है लेकिन मेयर पद को लेकर कांग्रेस पार्षदों के बीच घमासान शुरू हो गया है।
सत्येन ओझा.मोगा
निगम चुनाव में निर्वाचित प्रत्याशियों का नोटीफिकेशन अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन मेयर पद को लेकर कांग्रेस पार्षदों के बीच घमासान शुरू हो गया है। अपने पक्ष में 29 निर्वाचित पार्षदों का समर्थन जुटा चुके विधायक डा.हरजोत कमल के पास डा.राजिदर कौर के पक्ष में अब तक पांच महिला प्रत्याशियों जिसमें दो आजाद प्रत्याशी हैं अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर चुकी हैं, लेकिन डा.हरजोत का कहना है कि वे फैसला पार्टी हित में लेंगे। अभी तक उन्होंने किसी भी प्रत्याशी की पेशकश को स्वीकार नहीं किया है।
विधायक के करीबी सूत्रों का कहना है कि अगर एमएलए अपनी पत्नी को मेयर पद के लिए नहीं उतारते हैं तो उनके खेमे से तीसरी बार पार्षद बने अशोक धमीजा व प्रवीन कुमार पीना के नाम पर मेयर पद के लिए सहमति बन सकती है। उधर, जिलाध्यक्ष महेशइंदर सिंह गुट पूर्व पार्षद मंजीत सिंह की पत्नी अमनप्रीत कौर के पक्ष में लामबंदी करने में जुट गए हैं।
हालांकि अमनजोत कौर पहली बार निगम के लिए पार्षद निर्वाचित हुई हैं, इससे पहले उनके पति युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके मंजीत सिंह मान दो बार पार्षद रह चुके हैं। अमनप्रीत कौर मान साल 2008 में भी नगर कौंसिल चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार थीं, लेकिन उस समय कांग्रेस ने अकाली दल पर धक्केशाही का आरोप लगाते हुए नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद चुनाव का बहिष्कार कर दिया था। क्या है सियासी गणित
नगर निगम में बहुमत हासिल करने के लिए 26 निर्वाचित पार्षद चाहिए। कांग्रेस के 20 प्रत्याशी चुनाव जीते थे, 10 आजाद प्रत्याशियों में से नौ ने चुनाव जीतने के 24 घंटे के अंदर ही डा.हरजोत कमल के पक्ष में कांग्रेस को समर्थन दे दिया था। ये वे प्रत्याशी थे जो विधायक डा.हरजोत की प्रत्याशी की सूची में शामिल थे, लेकिन पार्टी की गुटबाजी के चलते वे उन्हें टिकट नहीं दिलवा सके थे। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की गुटबाजी के हिसाब से देखें तो निर्वाचित 20 में से 19 पार्षद डा.हरजोत कमल खेमे के हैं। नौ आजाद पार्षदों ने उन्हें समर्थन दे दिया, ऐसे में अकेले हरजोत के समर्थकों की संख्या ही 28 हो गई। सूत्रों की मानें तो पांच ऐसे प्रत्याशी जो अकाली दल या दूसरे दलों से जीतकर आए हैं, वे भी वोटिग वाले दिन डा.हरजोत कमल के प्रत्याशी को वोट दे सकते हैं। अंदर खाते कई दौर की बातचीत के बाद ये तय हो चुका है। उधर, कांग्रेस के दूसरे गुट के पास पार्टी का सिर्फ एक पार्षद है। इस गुट के कई प्रत्याशी तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। यही बात महेशइंदर सिंह गुट के खिलाफ जाती है। दूसरी ओर हरजोत 50 सीटों वाले निगम से 28 पार्षदों का समर्थन हासिल कर चुके हैं। ये गणित उनके पक्ष में जाता है। महेशइंदर सिंह गुट ये दावा कर रहा है कि मेयर पद का प्रत्याशी तो हाईकमान तय करेगीख् प्रत्याशी संगठन की मर्जी का होगा। अगर ऐसा हो भी गया तो उनके पक्ष का मेयर जीतेगा कैसे, ये बड़ा सवाल है। प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में अगर बहुमत का आंकड़ा जुटा लेने के बाद भी हरजोत खेमे के प्रत्याशी को मेयर पद की टिकट नहीं मिलती है तो इस बात की क्या गारंटी है कि उनके समर्थक पार्षद दूसरे खेमे के प्रत्याशी को वोट देंगे।