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पंजाब की रणसींह कलां पंचायत की सराहनीय पहल, पराली न जलाने वाले किसानों को देगी मुआवजा

पंजाब में पराली दहन को लेकर एक ग्राम पंचायत ने बड़ी और सराहनीय पहल की है। पंजाब की रणसींह कलां पंचायत ने किसानों को पराली जलाने से राेकने के लिए खुद के स्‍तर पर मुआवजा देने का कदम उठाया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:06 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 08:30 AM (IST)
पंजाब की रणसींह कलां पंचायत की सराहनीय पहल, पराली न जलाने वाले किसानों को देगी मुआवजा
णसींह कलां की पंचायत के युवा सरपंच प्रीतिंदर पाल सिंह पंचायत के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए।

मोगा, [सत्येन ओझा]। पंजाब में पराली से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए भले ही सरकारी प्रयास सिरे न चढ़े हों लेकिन जिले की रणसींह कलां की पंचायत ने सराहनीय पहल करते हुए बडा़ कदम उठाया है। इसी साल दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी रणसींह कलां ग्राम पंचायत ने गांव की आमसभा में दो एकड़ या उससे कम जमीन के मालिक किसानों को पराली न जलाने पर प्रति एकड़ 500 रुपये का मुआवजा देने का एलान किया है।

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गांव के युवा सरपंच प्रीतिंदर पाल सिंह के अनुसार पिछले साल गांव के एक भी किसान ने खेतों में पराली को आग नहीं लगाई थी। प्रदेश सरकार ने पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये सहायता राशि देने का एलान किया लेकिन वादा पूरा नहीं किया।

500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देगी, गांव के गरीब बुजुर्गों को 750 रुपये मासिक पेंशन

उन्होंने कहा कि गांव में पराली को आग न लगाने का जो फैसला लिया गया है उससे किसान पीछे नहीं हटेंगे। गांव की पंचायत उनके साथ खड़ी है और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ही पंचायत ने किसानों को राहत देने का फैसला लिया है।

ये फैसले भी सराहनीय  

- गांव के बुजुर्ग महिला या पुरुष, जिनके परिवार में आय का कोई साधन नहीं है, उन्हें पंचायत 750 रुपये प्रति महीना पेंशन देगी।

- गांव के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का एक लाख रुपये तक का इलाज भी पंचायत अपने खर्चे पर करवाएगी। किसी बीमा कंपनी से अनुबंध नहीं किया गया है।

इससे पहले ऐसे हुआ गांव का विकास

- गांव के विशाल छप्पड़ को तीन हिस्सों में बांटकर एक हिस्से में पार्क, दूसरे हिस्से में कृत्रिम झील और तीसरे हिस्से में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए तीन टैंक बनाए गए। यहां ट्रीट होने वाले पानी से 100 एकड़ खेतों की सिंचाई की जा रही है।

- पूरे गांव में सीवरेज लाइन बिछाई गई। 2715 की आबादी वाले गांव में कहीं भी खुली नाली नहीं है।

- गांव की हर गली में इंटरलाक टाइल्स लगाई गईं, इन्हें खरीदा नहीं गया बल्कि गांव में फैक्ट्री लगाकर तैयार किया गया। गांव में एक भी सड़क और गली कच्ची नहीं है।  

 दो बार मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

अप्रैल 2020 में पंचायत को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार और जून 2020 में दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

गांव की मिट्टी खींच लाई कनाडा से

रणसींह कलां के पूर्व सरपंच बूटा सिंह के बड़े बेटे प्रीतिंदर पाल सिंह बठिंडा के डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद वर्ष 2010 में कनाडा चले गए। परंतु गांव के लिए कुछ करने की ललक के कारण जल्द ही वापस लौट आए। 31 वर्षीय प्रीतिंदर सिंह वर्ष 2013 में वह गांव के सरपंच बने और अपनी ही उम्र के पचास युवाओं को साथ जोड़कर गांव की बेहतरी के लिए काम करना शुरू कर दिया।

एनआरआइ देंगे पंचायत को फंड

सरपंच प्रीतिंदर पाल सिंह ने कहा कि गांव में अब तक पांच करोड़ के विकाय कार्य करवाए जा चुके हैैं। कनाडा और अमेरिका में बसे गांव के लोग (एनआरआइ) ग्राम पंचायत की खुलकर आर्थिक मदद कर रहे हैैं। पराली न जलाने पर मुआवजा देने, मासिक पेंशन और सेहत संभाल के लिए भी एनआरआइज ने सहयोग देने का भरोसा दिया है।

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