राजिदर एस्टेट के लोग विरोध में आए तो डैमेज कंट्रोल में जुटा कोलोनाइजर
। कोलोनाइजर के मैनेजर गुरविदर सिंह ने कालोनी निवासियों से 80 लाख रुपये की लागत से कालोनी की सड़कें बनाने व नया ट्यूबवेल लगवाने का वादा कर उन्हें दीवार ध्वस्त करने के लिए तैयार कर लिया
जागरण संवाददाता.मोगा
राजिदर एस्टेट के बराबर दो एकड़ से ज्यादा कृषि क्षेत्र में कालोनी विकसित कर वहां अंदर से सीवरेज कनेक्शन लेने का प्रयास विफल होने के बाद कोलोनाइजर के मैनेजर गुरविदर सिंह ने कालोनी निवासियों से 80 लाख रुपये की लागत से कालोनी की सड़कें बनाने व नया ट्यूबवेल लगवाने का वादा कर उन्हें दीवार ध्वस्त करने के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद सीवरेज कनेक्शन का विरोध कर रहे कालोनी वासियों के तेवर भी ठंडे पड़ गए थे लेकिन मामला निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने मौके पर जांच के लिए बिल्डिंग ब्रांच की टीम भेजी है। निगम के सक्रिय होने के बाद कोलोनाइजर के मंसूबों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है। क्या है मामला
करीब 20 साल पहले 29 एकड़ क्षेत्र में विकसित की गई राजिदर एस्टेट में पुडा में मंजूरी के लिए आवेदन करने के साथ ही प्लाट की बिक्री अवैध रूप से कर दी गई थी, लेकिन कालोनी आज तक एप्रूव्ड नहीं हो सकी है, लेकिन निगम की मिलीभगत व सत्ता के दबाव में धीरे-धीरे कोलोनाइजर ने राजिदर एस्टेट के आसपास नई कृषि योग्य जमीन सस्ते दामों में खरीद 29 एकड़ क्षेत्र में बनी कालोनी की दीवार ध्वस्त कर धीरे-धीरे कालोनी का क्षेत्रफल लगातार बढ़ाता रहा। वर्तमान में कालोनी का क्षेत्रफल 48 एकड़ हो चुका है, हाल ही में दो एक एकड़ से ज्यादा और कृषि योग्य जमीन में कालोनी विकसित कर वहां सीवरेज लाइन दी है, सड़कें बनाने का काम चल रहा है। कालोनी अवैध होने के कारण निगम उसे सीवरेज कनेक्शन नहीं दे रहा है। नियमानुसार कोलोनाइजर का कोलोनी के अंदर ही एसटीपी प्लांट लगाकर कालोनी के सीवेज का प्रबंधन करना होता है, लेकिन शुरू से ही इस नियम का उल्लंघन किया गया है। कालोनी के एक कनेक्शन को ही वहां रहने वाले 400 परिवारों का लोड डाल दिया गया है, जिससे राजिदर एस्टेट में सीवरेज की समस्या गंभीर बन चुकी है। निगम ने अपने अधीन न लेने के कारण कालोनी की सड़कें भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं।
सूत्रों का कहना है कि कोलोनाइजर की तरफ से मिले आश्वासन के बाद कुछ लोग जो विरोध में आ गए थे, वे शांत हो गए। मीडिया से पहले संपर्क कर रहे थे, बाद में दूरी बनाते दिखे। क्षेत्रीय वासियों के शांत होने के बाद शनिवार की शाम को राजिदर एस्टेट की दीवार ध्वस्त कर नई विकसित कालोनी में मिलाने की योजना तैयार हो चुकी थी। निगम की टीम के पहुंचने के बाद फिलहाल मामला टल गया। कार्रवाई हुई तो निगम के गल्ले में आ सकती है मोटी राशि
राजिदर एस्टेट के लगातार बढ़ते आकार को देखते हुए निगम कमिश्नर कोलोनाइजर द्वारा नई विकसित जगह को निगम के कब्जे में ले सकते हैं। नियमानुसार नई विकसित जमीन को निगम तब तक अपने कब्जे में रख सकता है, जब तक कोलोनाइजर कालोनी को मंजूर कराकर निगम के टैक्स का भुगतान नहीं कर देता है। निगम सूत्रों का कहना है कि राजिदर एस्टेट के मामले में अगर निगम कार्रवाई करता है तो निगम को एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खजाने में आ सकती है।