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भाजपा ने डा. हरजोत के हाथ में थमाया 'कमल' निशान

आखिरकार एक सप्ताह चली रस्साकसी के बाद डा. हरजोत कमल को भाजपा ने मोगा विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 10:30 PM (IST)
भाजपा ने डा. हरजोत के हाथ में थमाया 'कमल' निशान
भाजपा ने डा. हरजोत के हाथ में थमाया 'कमल' निशान

सत्येन ओझा, मोगा : आखिरकार एक सप्ताह चली रस्साकसी के बाद डा. हरजोत कमल को भाजपा ने मोगा विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। दैनिक जागरण ने डा. हरजोत कमल के भाजपा में शामिल होने के साथ ही स्पष्ट कर दिया था कि टिकट डा. हरजोत को मिलेगी। दैनिक जागरण की खबर एक बार फिर सटीक साबित हुई। एक दिन पहले ही डा. हरजोत कमल ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की थी।

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केंद्रीय नेतृत्व ने बनाई प्रतिष्ठा

मोगा सीट से फिल्म अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद के चुनाव प्रचार में उतरने के बाद से ही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व में मोगा सीट को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था। यही वजह है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा मोगा सीट को लेकर खुद काफी गंभीर बताए जा रहे हैं। इसी के चलते दो चरणों में सर्वेक्षण के बाद कांग्रेस से विद्रोह करने वाले विधायक डा. हरजोत कमल को मोगा से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उतारने का फैसला लिया था। फंस गया था पेंच

भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में डा. हरजोत कमल का नाम शामिल न होने पर मामले में पेच फंसता नजर आया था। राजनीति में खास प्रभाव रखने वाली एक धार्मिक शख्सियत चाहती थी कि भाजपा से टिकट पूर्व डीजीपी पीसी गिल को मिले, लेकिन गिल के लिए भाजपा ने पहले ही मेघालय के राज्यपाल बनाने के रास्ते खोल दिए थे। खुद पूर्व डीजीपी गिल चुनाव लड़ने के बजाय राज्यपाल बनने के ज्यादा इच्छुक थे। इसके बावजूद मोगा सीट को लेकर अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाने वाले भाजपा नेतृत्व प्रत्याशी की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे, न ही किसी को भी नाराज करना चाहते थे। यही वजह है कि डा. हरजोत कमल को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनाने के बाद उनके चुनाव प्रबंधन की कमान भी पूर्व डीजीपी गिल को सौंपी है। पार्टी नेताओं पर नजर

भाजपा के बाहर मजबूत किलेबंदी करने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के उन नेताओं पर तीसरी आंख से नजर गढ़ा दी है, जो व्यक्तिगत रूप से डा. हरजोत कमल को पसंद नहीं करते हैं, उनकी आस्था डोलती हुई नजर आ रही है। इनमें से कुछ ही शिकायतें भी केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंची है, जिसके अनुसार कुछ नेताओं ने अंदर खाते कांग्रेस के साथ अपनी बातचीत कर शुरू कर दी थी। पार्टी के ऐसे नेताओं के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में भी पार्टी नेतृत्व कोई हिचक नहीं करेगी, ताकि जो नेता डा. हरजोत कमल के साथ अपना तालमेल बिठाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं, या दूसरे क्षेत्रों में प्रचार करने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें पार्टी का सख्त संदेश चला जाए। डा. हरजोत कमल का प्रोफाइल

छात्र राजनीति से 21 साल पहले यूथ कांग्रेस में पदार्पण करने वाले डा. हरजोत कमल मूल रूप से होशियारपुर जिले से संबंधित हैं। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई (बीएएमएस) मोगा के श्री सत्यसांई आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज से की थी। यहां से बीएएमएस करने के बाद उन्होंने पंजाब यूनीवर्सिटी चंडीगढ़ से एमबीएस करने के बाद मोगा में ही बस गए थे। यहीं पर रहते हुए उन्होंने कई तकनीकी शिक्षण संस्थाएं अपने सहयोगियों के साथ स्थापित कीं। वर्तमान में वे प्रदेश भर में स्थापित करीब 41 शिक्षण संस्थाओं के पार्टनर हैं। अपने राजनीतिक गुरु कांग्रेस नेता डा. कुलदीप नागरा का साथ मिलने पर पहली बार कांग्रेस की सीट पर साल 2017 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और अकाली दल से सीट छीनकर कांग्रेस की झोली में डाल दी थी। यही नहीं पूर्व विधायक जोगिदर पाल जैन के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी में जो रिक्तता आई थी, उसे पूरा करने का ही प्रयास नहीं किया, बल्कि पार्टी में तमाम धुरंधरों की चुनौतियों का सामना करते हुए एक नई कांग्रेस खड़ी की थी।


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