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पीजीबी में ऋण के नाम पर हुए घोटाले की खुलने लगी परतें

मोगा गांव में जमीन ही नहीं थी लेकिन पंजाब ग्रामीण बैंक (पीजीबी) ने रिकार्ड में जमीन के डाक्यूमेंट लगाकर एक करोड़ से ज्यादा का ऋण दे दिया। फोटो किसी का लगाया नाम किसी का आधार कार्ड किसी और का तथा ऋण किसी और को दे दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 07:01 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 06:31 AM (IST)
पीजीबी में ऋण के नाम पर हुए घोटाले की खुलने लगी परतें
पीजीबी में ऋण के नाम पर हुए घोटाले की खुलने लगी परतें

जागरण संवाददाता, मोगा

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गांव में जमीन ही नहीं थी, लेकिन पंजाब ग्रामीण बैंक (पीजीबी) ने रिकार्ड में जमीन के डाक्यूमेंट लगाकर एक करोड़ से ज्यादा का ऋण दे दिया। फोटो किसी का लगाया, नाम किसी का, आधार कार्ड किसी और का तथा ऋण किसी और को दे दिया। बैंक की मुख्य खासा के आडिट इंस्पेक्टर ने लगभग एक करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का पर्दाफाश कर 5 नवंबर, 2018 को कार्रवाई के लिए पुलिस को शिकायत दी थी। पुलिस ने जांच के नाम पर इस बड़े घोटाले का दबा दिया। हाल ही में एक ही कार पर पिता-पुत्र द्वारा दो बैंकों से लिए गए ऋण में धोखाधड़ी का पर्दाफाश होने के मामले की जांच शुरू होते ही बैंक में ऋण के नाम पर पहले भी हो चुके कई करोड़ रुपये के घोटाले की परतें खुलने लगी हैं।

सूत्रों का कहना है कि इस मामले की अगर किसी बड़ी एजेंसी से जांच कराई जाए, तो बड़ा स्कैंडल सामने आ सकता है। इसमें सिर्फ बैंक नहीं बल्कि आरटीए, राजस्व विभाग के अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं। घोटाले में राजस्व विभाग के रिकार्ड में भी बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ का मामला सामने आया है।

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यह है मामला

हाल ही में थाना सिटी-1 में ऋण के नाम पर हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक की फील्ड आफिसर सहित पांच लोगों के खिलाफ दर्ज हुई एफआइआर की मामला जब पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के इंचार्ज इंस्पेक्टर बलराज मोहन के पास जांच के लिए पहुंचा, तो बैंक में लोन के नाम पर पर पिछले तीन सालों में हुए बड़ी अनियमितताओं की परतें खुलने लगी हैं। पुलिस ने पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर गुरशरन कौर, आरटीए फरीदकोट के क्लर्क संजीव कुमार, कर्जदार विकास भारती निवासी पिप्पल वाला चौक, उसके बेटे मनी टांगरी और जमानती गुरतेज सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किया है।

जांच शुरू करने पर सामने आया कि विकास भारती खिलाफ पहले भी धोखाधड़ी व कई अन्य संगीन मामलों में केस दर्ज हैं।

जांच शुरू होने पर पता चला कि बैंक में साल 2017 में फर्जी नाम और फर्जी जमीन दिखा कर एक करोड़ से अधिक का खेती कर्ज लिया गया था, जिसे बाद में चुकाया ही नहीं गया। इस मामले की जांच बैंक के हैड आफिस के आडिट इंस्पेक्टर भूषण चौधरी ने करते हुए 5 नवंबर, 2018 को जांच रिपोर्ट पुलिस को कार्रवाई के लिए सौंपी थी। जांच में हैरानीजनक बात यह थी कि बैंक से कर्जा लेते समय फोटो किसी का लगाया गया, आधार कार्ड व नाम किसी और था तथा कर्जा किसी और को दिया गया था। इस मामले में एक महिला सरपंच, नंबरदार सहित 30 से अधिक लोगों के नाम सामने आए थे। जमीन फिरोजपुर में कर्ज लेने के लिए जो जगह बैंक में गिरवी रखी गई थी, वह कस्बा जीरा से संबंधित थी। इस कारण पुलिस ने यह मामला जीरा पुलिस को सौंप दिया था, लेकिन जीरा पुलिस साल 2018 से यह मामला लटकाए हुए है।

जांच रिपोर्ट के अनुसार गांव वाड़ा सुलेमान जीरा (फिरोजपुर) में अमरिदर सिंह का फोटो लगाकर उसे 141 कनाल 8 मरले जमीन का मालिक दिखा कर कर्जा लिया गया था। जबकि कर्ज लेने वाले का असली नाम गुरप्रीत सिंह है। उसका आधार कार्ड व जमीन क दस्तावेज जाली थे। जिस गांव की जमीन बताई गई थी, उस गांव में गुरप्रीत सिंह के नाम जगह ही नहीं है। उस समय बैंक का यह घोटाला सामने आने के बाद तत्कालीन ब्रांच मैनेजर विराट गोदारा को बैंक से निलंबित कर दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में बैंक में हुए घोटाले की और भी कई परतें सामने आ सकती हैं।


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