पूरे पंजाब में स्कूली वाहनों के काटे चालान, मोगा में एक भी नहीं
संगरूर जिले के लोंगोवाल में हुई स्कूल वैन में आगजनी की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने सभी जिले में स्कूली वाहनों की जांच के आदेश दिए हैं।
अश्विनी शर्मा/तरलोक नरूला, मोगा
संगरूर जिले के लोंगोवाल में हुई स्कूल वैन में आगजनी की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने सभी जिले में स्कूली वाहनों की जांच के आदेश दिए हैं। बावजूद इसके मोगा में स्थानीय प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है। सोमवार को मोगा शहर में खटारा स्कूली वाहन में बच्चों को घर से स्कूल लाते और लेजाते देखा गया। जबकि पूरे पंजाब में कंडम स्कूली वाहनों पर कार्रवाई की गई। चालान किए गए और सैकड़ों वाहनों को इंपाउंड भी किया गया। मौत के साए में घूम रहे अधिकतर खटारा स्कूली वाहन निजी तौर पर या ठेके पर चलाई जा रही है। इनमें पिछले पंद्रह वर्ष तक पुरानी बसें भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि पंद्रह वर्ष से पुराना कोई भी वाहन सड़कों पर नहीं घूम सकता। स्कूलों से लाने व ले जाने वाले स्कूल वैन, बस, टैंपो या फिर ऑटो की हालात बेहद खराब है। ये स्कूल के वाहन रोज शहर के मुख्य मार्गों व चौक से प्रशासन की नजरों के सामने से निकलते हैं। जिला प्रशासन की नजर इस और नहीं पड़ रही है।
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ठेके देते हैं बसें
शहर के मुख्य बाजार में स्थित एक निजी स्कूल में जब दैनिक जागरण टीम पहुंची तो वहां सामने ही एक बस की हालत कंडम मिली। वह चलने लायक है कि नहीं। जहां बस का मॉडल भी 2005 बताया गया। वहीं उसके टॉयरों की हालत पर बेहद खराब थी। वहीं इसी स्कूल में निजी तौर पर वाहन चालक बस खरीदकर ठेके पर रोजाना पंद्रह साल पुराने वाहनों में बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर छोड़ने का काम करते है। लेकिन इन वाहनों के हालातों पर न तो अभिभावकों को ध्यान नहीं है तथा न स्कूल संचालक इस ओर ध्यान दें रहे हैं।
ऑटो में ठूस-ठूस कर भरे जा रहे बच्चें
एक निजि स्कूल में ठेके पर लगाए गए ऑटो चालक का गजब कारनामा देखने को मिला। छोटे से ऑटो में मिनी बस जितनी संख्या के बच्चे ठूस-ठूस कर भर रखे थे। उक्त ऑटो चालक 24 बच्चों को रोजाना स्कूल से पुराना मोगा छोड़ने का काम करता है। दो नन्हीं बच्चियां जिनमें से एक चालक की गोद में बैठती थी, जबकि दूसरी बिलकुल सीट के किनारे पर अपनी जान को जोखिम डालकर रोजाना सफर करती है। बच्चे भी ऑटो एक दूसरे की गोद में बैठकर ही सफर करते है। लेकिन इस ओर भी न प्रशासन संज्ञान ले रहा है और न ही अभिभावक व न ही स्कूल संचालक। इन हालातों नन्हें बच्चों का जीवन जरूर संकट में नजर आ रहा है।
पुलिस मुख्य चौक पर नहीं करती जांच
पिछले पंद्रह साल पुराने स्कूल वाहन बच्चों को रोजाना शहर के प्रमुख मार्गों एवं चौक से होकर गुजरते है। पुलिस प्रशासन को शायद अभी तक नजर नही आ रहे है। जागरण टीम ने शहर के सबसे व्यस्ततम चौक पर करीब एक घंटे तक दोपहर के समय स्कूल वाहनों का आवागमन देखा। चौक पर सिपाही भी मौजूद था। लेकिन आंखों के सामने से स्कूली बच्चे वैन, ऑटो व बस में किस तरह जा रहे है इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। उक्त पुलिस कर्मी ने कहा कि स्कूल वाहनों की वे चेकिग नहीं करते। यह बड़े अफसरों का काम है, मेरा काम नहीं। शहर में दो दर्जन से अधिक है निजी स्कूल
शहर में दो दर्जन से अधिक निजी स्कूल है जहां औसतन दस से बाहर स्कूल के वाहन है। ज्यादातर स्कूलों में निजी तौर पर ठेके पर ही वाहन चल रहे है। जांच किस स्तर पर प्रशासन कर रहा है। इसकी रिपोर्ट अभी उजागर नहीं की गई है।
रोजाना कर रहे स्कूल वाहनों की जांच : ट्रैफिक इंचार्ज
जिला ट्रैफिक इंचार्ज कश्मीर सिंह ने बताया कि उन्होंने सभी स्कूलों वाहन जांच करने का अभियान चलाया हुआ है। विशेष टीम कंडम बसों की मार्किंग के लिए तैयार की है। जल्द ही रिपोर्ट तैयार होने पर उक्त बसों को इंपाउंड कर लिया जाएगा। वहीं जब उन्होनें चालान के बारे बताया कि रोजाना बसों के चालान भी किए जा रहे है तथा रोजाना औसतन सभी वाहनों के मिलाकर 40 से 45 चालान किए जा रहे है, लेकिन स्कूल वाहनों की जांच जारी है।