90.50 लाख में दिया आउटडोर विज्ञापन का ठेका
फोटो-50 एडवांस खबर -आउटडोर विज्ञापन बनेगा निगम की आय का बड़ा साधन विज्ञापन नीति सख्ती से लागू करने का फैसला -अब नहीं करा सकेगा कोई व्यक्ति वॉल राइटिग न विज्ञापन लगे वाहनों के साथ शहर में घूम सकेगा
सत्येन ओझा, मोगा : आउटडोर विज्ञापन को निगम की आय का आने वाले सालों में बड़ा साधन बनाते हुए पंजाब सरकार की विज्ञापन नीति को अब सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है। विज्ञापन नीति के अनुसार अब शहर में कोई भी व्यक्ति वॉल पेटिग नहीं करा सकेगा, न ही अपनी दुकानों व घरों के ऊपर किसी भी दूसरी फर्म आदि के विज्ञापन के बोर्ड लगा सकेगा, ऐसा करने पर संबंधित बिल्डिग मालिक को भारी भरकम राशि का जुर्माना पड़ सकता है। अपनी दुकानों व फर्मों के बाहर भी कोई भी व्यक्ति अधिकतम तीन फीट लंबाई व ढाई फीट ऊंचाई वाला बोर्ड ही लगा सकेगा, इससे ज्यादा बड़े साइज का बोर्ड नगर निगम की विज्ञापन नीति के खिलाफ है, इसके एवज में निगम उस पर जुर्माना लगा सकती है।
लगभग आठ माह के सियासी दंगल के बाद आखिरकार नगर निगम आउट डोर विज्ञापन का ठेका 90.50 लाख रुपये में निजी फर्म ग्रेट पंजाब प्रिटर्स को देने में सफल रहा। हालांकि सियासी दंगल के चलते निगम को इस पूरी कसरत में 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ, क्योंकि इसी फर्म ने पहले ये ठेका 1.057 करोड़ रुपये में लिया था, तब एफएंडसीसी के सदस्यों की आपत्ति के बाद आखिरकार ठेकेदार ने खुद ही ठेका सरेंडर कर दिया था। इससे पहले विरोध करने वाले ये ठेका 1.20 करोड़ रुपये का ठेकेदार होने का दावा करते रहे, लेकिन चार बार के प्रयास में भी जब कोई ठेकेदार नहीं आया तो फिर पांचवीं बार ठेका ग्रेट पंजाब प्रिटर्स को ही देना पड़ा था। ठेका सात साल के लिए दिया गया है। ठेके की राशि में हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। ठेका 31 दिसंबर 2026 तक के लिए दिया गया है।
वसूली का भी बचेगा खर्च
67 करोड़ रुपये के सालाना बजट वाली मोगा नगर निगम पिछले सालों तक आउटडोर विज्ञापन से पूरी ताकत लगाकर 30 लाख रुपये सालाना की ही वसूल कर पा रही थी। उसमें भी निगम का लगभग 12-14 लाख रुपये वसूली पर मुलाजिमों पर खर्च होता था। प्राइवेट कंपनी को ठेका देने के बाद अब निगम को वसूली के लिए अपना स्टाफ भी नहीं लगाना पड़ेगा, वसूली में खर्च होने वाली राशि भी बचेगी। तलाशने होंगे नए स्त्रोत
अभी तक हर साल लगभग 40 करोड़ रुपये जीएसटी से मिलने के बाद मोगा नगर निगम सबसे अमीर निगमों से एक माना जाता है, जीएसटी से निगम को ये भारी भरकम आय पांच साल तक ही होगी, पांच साल बाद नई नीति अमल में आ सकती है, ऐसे में निगम ने अभी से आय के नए स्त्रोतों की तलाश नहीं की तो आने वाले सालों में निगम को बड़े आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जीएसटी से आय के लगभग तीन साल पूरे होने वाले हैं। पांच साल पूरे होने पर केंद्र की क्या नई नीति आएगी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। यहां पर निगम विफल
शहर में लुधियाना की एक फर्म ने रेलवे लाइन के किनारे अवैध रूप से पांच बोर्ड कई महीनों से लगा रखे हैं, निगम आधिकारिक रूप से उन बोर्डों को विज्ञापन नीति के खिलाफ मान चुका है, लेकिन उसे उतरवा नहीं सकी है। नई नीति के अनुसार रेलवे अथवा बस स्टैंड का विज्ञापन ठेकेदार विज्ञापन बोर्ड रेलवे अथवा बस स्टैंड की हद में बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन की ओर दिखने वाले बोर्ड ही लगा सकेंगे, अगर बोर्ड का चेहरा निगम सीमा की ओर किया गया तो निगम उसकी वसूली के लिए अधिकृत होगी। शहर में विज्ञापन लगाकर घूमते वाहन भी नहीं चल सकेंगे। कोट्स
निगम को हर क्षेत्र में आय के स्त्रोत बढ़ाने होंगे, इसी उद्देश्य के साथ पंजाब सरकार की विज्ञापन नीति को सख्ती से शहर में लागू किया जाएगा, ताकि आने वाले समय में आउटडोर विज्ञापन से निगम की आय दोगुने तक और बढ़ सकती है।
अनीता दर्शी, निगम कमिश्नर -----
सत्येन ओझा