31 साल पहले मोगा में हिदू-सिख एकता में नहीं पड़ने दिया था खलल
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल वाजपेयी से किसी का दुख-दर्द देखा नहीं जाता था। जहां कहीं भी लोगों पर कोई संकट आता था वह सबसे पहले वहां पहुंचते थे। मोगा में 25 जून 19
सत्येन ओझा, मोगा : पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल वाजपेयी से किसी का दुख-दर्द देखा नहीं जाता था। जहां कहीं भी लोगों पर कोई संकट आता था, वह सबसे पहले वहां पहुंचते थे। मोगा में 25 जून, 1989 को संघ की शाखा पर आतंकी हमला हुआ। उसमें बहुत सारे लोग मारे गए व कई घायल हुए। घटना के अगले दिन गाधी रोड श्मशानघाट पर जब एक साथ 25 चिताएं जलीं थीं, उस समय हिंदू-सिखों के बीच पनप रहे आक्रोश को भापकर अटल बिहारी वाजपेयी मोगा पहुंचे। श्मशानघाट में उन्होंने जो बातें कहीं थीं वह आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं। अटल जी जैसे-जैसे बोलते गए, लोगों के मनों में पनप रही कटुता कम होती गई। उनका महज दो घटे शहर में उनका रुकना हिंदू -सिख एकता की मिसाल बन गया। उन्होंने बड़े ही सौम्य अंदाज में पुलिस मुलाजिमों व आक्रोशित लोगों को शात किया था।
31 साल पुराने उन भावुक पलों को याद करते हुए मथुरादास सिविल अस्पताल में एसएमओ के पद से सेवानिवृत्त हुए एवं मोगा शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजेश पुरी बताते हैं कि वो बहुत ही भावुक माहौल था। उस दिन की यादों को किसी चित्र में तो समेट कर नहीं रख सका, क्योंकि माहौल ही ऐसा था। श्मशानघाट पर कही गई उनकी हर बात आज भी शहरवासियों के दिलों में समाई हुई हैं।
हमले में पिता शहीद लेखराज धवन को खोने वाले बलवंत राय धवन (अब स्वर्गीय) की ओर अटल जी बढ़े। बलवंत राय के कंधे पर हाथ रखते हुए अटल जी ने कहा था आतंकी ताकतें हिंदू-सिख भाईचारे को खत्म करना चाहती हैं। उन्हें लड़ाना चाहती हैं। उन्होंने गोलियों से कई शरीर को छलनी किया है लेकिन इस शहर के हिंदू-सिख अपने बीच के अटूट भाईचारे को कायम रखकर आतंकियों के दिलों को चीर सकते हैं। उनके मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं। इस मंसूबे को कभी पूरा नहीं होने देना है। अटल जी ने ये शब्द कहे तो बलवंत राय से थे, लेकिन उनके ये शब्द वहा मौजूद हर किसी के दिलों को स्पर्श कर रहे थे।
-----------
सौम्य व शालीन अंदाज से पुलिस व लोगों में टकराव को था टाला
मोगा आने के दौरान अटल जी जैसे ही गाधी रोड पर सफेद रंग की एंबेसडर कार से उतरे थे, तो प्रशासन व पुलिस के खिलाफ लोगों में आक्रोश था। अटल जी के आने पर पुलिस लोगों को पीछे हटाना चाह रही थी। पहले से ही गुस्से से भरे लोग पुलिस के खिलाफ भड़क उठे थे। ये माहौल देख अटल जी तेजी के साथ गाड़ी से उतरे। उन्होंने बड़े ही सौम्य व शालीन अंदाज में आक्रोशित लोगों के साथ पुलिस को भी समझाया। तो कुछ ही पलों में पूरा माहौल शात हो गया। पुलिस को किसी को हटाने की जरूरत नहीं पड़ी। लोग अनुशासित ढंग से एक साथ 25 चिताओं के साथ ही आतंकियों के आपस में लड़ाने के मंसूबों को चिता के साथ ही जलते हुए देखते रहे।
--------------
दो बार चुनाव रैलियों के लिए भी थे आए
हालाकि उसके बाद भी दो बार अटल बिहारी वाजपेयी दो बार मोगा चुनावी रैलियों में शामिल होने पहुंचे थे। वो यादें भले ही लोगों ने याद न रखी हों, लेकिन 31 साल पहले के अटल जी की यादें आज भी मोगा निवासियों को कल की बातें लगती हैं। उनकी नसीहत को आज भी मोगा के लोगों ने अपने दिलों में जिंदा रखा है।