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200 चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना से किया खुद को अलग

। प्रदेश भर के 200 चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना में आ रही परेशानियों के चलते योजना से अलग होने का सामूहिक रूप से फैसला लिया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 11:03 PM (IST)
200 चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना 
से किया खुद को अलग
200 चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना से किया खुद को अलग

जागरण संवाददाता.मोगा

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आयुष्मान बीमा योजना को लेकर प्रदेश भर के चिकित्सकों की चेतावनी के बाद आखिरकार प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ओपी सोनी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पंजाब चैप्टर को इस मुद्दे पर चंडीगढ़ में 12 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे आमंत्रित किया है। लुधियाना के आइएमए हाल में रविवार को हुई बैठक में प्रदेश भर के 200 चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना में आ रही परेशानियों के चलते योजना से अलग होने का सामूहिक रूप से फैसला लिया है, लिखित पत्र आइएमए को सौंप दिया है। प्रदेश में इस योजना का करीब 300 अस्पताल लाभ दे रहे हैं। बैठक में पंजाब सरकार को दस दिन की चेतावनी दी गई कि अगर दस दिन के अंदर पंजाब सरकार चिकित्सकों की समस्याएं हल नहीं करती है तो वे इस योजना से अलग हट जाएंगे।

योजना का तीसरा चरण शुरु हुआ 40 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक क्लेम नहीं मिला है। दूसरे चरण का भी चिकित्सकों का करोड़ों रुपये का बकाया है।चिकित्सकों की सबसे बड़ी आपत्ति है कि आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए सरकार ने जिस एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ अनुबंध किया है, वह टेंडर की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है। नेशनल हेल्थ एजेंसी की गाइडलाइन के अनुसार केवल एमबीबीएस या उससे ज्यादा उच्च शिक्षित चिकित्सक ही मेडिकल आडिट कर सकते हैं, जबकि इंश्योरेंस कंपनी बीएएमएस, बीडीएस, बीएचएमस डिग्री डाक्टरी चिकित्सकों से इंस्पेक्शन करा रही है, जो योजना को चला रहे अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों का प्रताड़ित करते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह को खारिज करते हुए बीएएमएस चिकित्सक क्लेम की राशि में से मोटी रकम काट लेते हैं, ये भी नहीं बताते हैं कि क्लेम की राशि जो काटी गई है, उसकी वजह क्या है।

आईएमए मोगा के अध्यक्ष डा.एचएस संधु ने बताया कि मरीज के अस्पताल में दाखिल होने के बाद आथेंटीकेशन में दो से तीन दिन लग जाते हैं। बाद में क्लेम सैटलमेंट में देरी की जाती है। मोगा में अकेले जीरा रोड स्थित गर्ग हास्पिटल के ही 50 लाख रुपये से ज्यादा के दूसरे चरण के बिल बकाया हैं।दूसरे चरण के बाद वे आयुष्मान योजना का काम दस प्रतिशत भी नहीं कर रहे हैं। जिले के करीब 12 चिकित्सकों का सात करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है, 40 दिन से किसी प्रकार की पेमेंट अस्पतालों को नहीं मिली है। इंस्पेक्शन टीम विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ अपमानजनक ढंग से पेश आती है।

चिकित्सकों के अल्टीमेटम के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने आइएमए से बैठक का समय दे दिया है। अगर पंजाब भर के चिकित्सक आयुष्मान योजना से कदम पीछे खींचते हैं तो आर्थिक रूप से कमजोर जो लोग शहर के अच्छे अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक का इलाज करा रहे हैं, ये सुविधा उनसे छिन जाएगी।


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