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रोजाना 40 लाख लीटर पानी की हो रही बर्बादी

जागरण संवाददाता, मोगा :धरती पर बिना पानी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन पढ़

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 03:39 PM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 03:39 PM (IST)
रोजाना 40 लाख लीटर पानी की हो रही बर्बादी
रोजाना 40 लाख लीटर पानी की हो रही बर्बादी

जागरण संवाददाता, मोगा :धरती पर बिना पानी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन पढ़े लोग भी पानी की कीमत को समझने के लिए तैयार नहीं है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर विभाग पहले ही मोगा को डर्क जोन वाले जिलों की सूची में शामिल कर चुका है, लेकिन इसके बाद भी न तो आम लोगों ने पानी की कीमत को समझने का प्रयास किया और न ही निगम ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए कोई कड़ा कदम उठाया।

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इस समय निगम द्वारा रोजाना सप्लाई किए जा रहे दो करोड़ लीटर पानी की सप्लाई में से करीब 20 फीसद किसी न किसी रूप में बर्बाद किया जा रहा है। बीते तीन सालों में पीने के पानी की बर्बादी को लेकर एक भी चालान निगम की ओर से नहीं किया गया है। सेंट्रल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़े आदेश दे रखे हैं कि जिन इलाकों में निगम वाटर सप्लाई दे रहा है, उन इलाकों में कोई भी शहरी अपनी इच्छा अनुसार समर्सीबल मोटर तक नहीं लगा सकता। मेगा के लिए सबसे बड़े घाटे की बात ये है कि इसके आसपास कहीं भी कोई साफ पानी की नहर नहीं है, जहां से उम्मीद की जा सके कि वाटर कैनाल सिस्टम द्वारा भविष्य में पीने के पानी की समस्या को दूर कर लिया जाएगा। आज यदि पीने के पानी की संभाल को लेकर लोग गंभीर नहीं हुए तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम आना तय है। व्यवसायिक कामों के लिए हो रहा पीने के पानी का प्रयोग

भू-जल को बचाने या वाटर रीचार्जिंग सिस्टम के लिए निगम की ओर से अभी तक कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जा सका है। शहर में निगम को 52 ट्यूबवेल रोजाना करीब दो लाख लीटर से अधिक पानी धरती के नीचे से निकाल कर लोगों को पीने के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन उसी पानी से लोग अपनी भैंसों को नहला रहे हैं, कारें और अन्य वाहनों की धुलाई कर रहे हैं, घरों में सफाई के नाम पर दर्जनों लीटर पानी बहाया जा रहा है, इमारती काम के लिए भी पीने के पानी का प्रयोग हो रहा और पब्लिक टायलेट में पीने के पानी का ही प्रयोग हो रहा है। वाटर मीटर खराब, एवरेज बिल के कारण हो रही पानी की बर्बादी

निगम की पानी व सीवरेज शाखा के प्रभारी विपन हांडा ने बताया कि इस समय उनकी शाखा में तीन मीटर रीडर, दो क्लर्क और दो इंस्पेक्टर हैं। करीब 23 हजार पानी कनेक्शनों के मीटरों की री¨डग नोटकर बिल तैयार करना आसान काम नहीं है। इसी कारण अधिकर वाटर कनेक्शन एवरेज बिल के आधार पर चलाए जा रहे हैं। मीटर री¨डग अधिक होने के कारण लोग बिल को लेकर लापरवाह हैं और इसी कारण से वह पानी का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। अवैध कनेक्शनों पर की जाएगी कार्रवाई : मेयर

मेयर अक्षित जैन का कहना है कि 35 हजार घरेलू और 9 हजार व्यवसायिक यूनिट में से 22 हजार 829 लोग पानी व सीवरेज के बिल का भुगतान करते हैं। निगम रिकार्ड के अनुसार करीब 12 हजार से अधिक लोगों को पानी व सीवरेज का बिल 125 गज का मकान होने के कारण माफ है। पानी व सीवरेज के सैकड़ों कनेक्शन अवैध तरीके से शहर में चल रहे हैं, जिनकी पहचान कर कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।


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