मन में सदा परमात्मा का स्मरण करें : शास्त्री
मन में सदा परमात्मा का स्मरण चलते रहना चाहिए।
संस, मानसा : मन में सदा परमात्मा का स्मरण चलते रहना चाहिए। हृदय गोकुल बनते ही जीवन आनंद स्वरूप कन्हैया अपने आप आ जाएंगे। अपने शरीर को मथुरा और हृदय को गोकुल बनाओ और फिर नंदोत्सव मनाओगे तभी हृदय गोकुल में परमात्मा प्रकट होंगे, जीवात्मा नंद है। ये बात रमन सिनेमा रोड स्थित जय मां मंदिर में आयोजित कार्तिक महात्म्य की पावन कथा सुनाते हुए पंडित नवराज शास्त्री जी ने अपनी मधुर आवाज में कही। शास्त्री जी ने कहा कि केवल मंदिर में नहीं, अपने घर में ही नंद महोत्सव मनाया करो। जीवात्मा का घर हमारा शरीर है। नंद जीवात्मा है। जिस दिन यह शरीर तीर्थ सा पवित्र हो जाए, मन संसार रूपी अशक्तियों से हट गया तो समझ लो परमात्मा रूपी आनंद हमारे जीवन में अपने आप प्रगट हो जाएगा। कार्तिक महात्म्य में तुलसी माता की महिमा का वर्णन करते शास्त्री जी ने जलंधर और वृंदा का जीवन चरित्र के साथ नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की सुंदर भजन गाते हुए सत्संग भवन को आनंदमय कर दिया। इस मौके महिला संकीर्तन मंडल की अध्यक्ष रेनु अरोड़ा व शक्ति संकीर्तन मंडल के अध्यक्ष विनोद कुमार, कृष्ण मदान, बिदरपाल गर्ग समेत समय महिला संकीर्तन मंडल निशा रानी, संतोष रानी व सत्या देवी आदि ने सुंदर भजन व आरती के साथ भक्तों को प्रसाद बांटा।
श्रद्धा से मनाया 39वां वार्षिक महोत्सव
संस, मानसा : स्थानीय डेरा रामसरा में श्रीश्री 108 महंत कृपाल मुनि जी महाराज व श्रीश्री 108 तपस्वी बलवंत मुनि जी महाराज की पावन याद में 39वां वार्षिक महोत्सव डेरे के मुखी संत सुखदेव मुनि जी की अगुआई में बहुत ही श्रद्धा से मनाया गया। इस मौके सुखदेव मुनि ने संगतों को प्रवचन करते हुए कहा कि गुरु की शरण में आकर नाम दान ही मांगना चाहिए क्योंकि नाम से ही सब सुखों की प्राप्ति होती है। नाम की महिमा सबसे बड़ी है और गुरु के बिना ज्ञान नहीं मिलता। गुरुओं की शिक्षा से ही मानव को शुद्ध, पवित्र व निरोग जीने की प्रेरणा मिलती है। नौजवानों का गुरु के लड़ लगना आज के समय की मुख्य जरूरत है। डेरे के प्रबंधक गुरअमनप्रीत मुनि ने बताया कि इस मौके 6376 वें श्री अखंड पाठ के भोग डाले गए तथा इस मौके बड़ी संख्या में दूर-दूर से पहुंचे महापुरुषों ने पहुंचकर अपने प्रवचनों के जरिये संगतों को निहाल किया।