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मानसा में श्री नव दुर्गा कमेटी ने जागरण करवाया

श्री नव दुर्गा जागरण कमेटी द्वारा नौवां विशाल भगवती जागरण पुरानी गोशाला के बैक साइड करवाया गया। इसमें पूजन की रस्म अकाशदीप सिगला ध्रुव सिगला खुशी सिगला द्वारा अदा की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 10:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 10:06 PM (IST)
मानसा में श्री नव दुर्गा कमेटी ने जागरण करवाया
मानसा में श्री नव दुर्गा कमेटी ने जागरण करवाया

संसू, मानसा : श्री नव दुर्गा जागरण कमेटी द्वारा नौवां विशाल भगवती जागरण पुरानी गोशाला के बैक साइड करवाया गया। इसमें पूजन की रस्म अकाशदीप सिगला, ध्रुव सिगला, खुशी सिगला द्वारा अदा की गई। जबकि ज्योति प्रचंड पंडित नरेंद्र कुमार शर्मा द्वारा करवाई गई। इस अवसर पर भजन गायिका स्नेहा सोनी सिरसा द्वारा अपनी पार्टी सहित पहुंच कर माता का गुणगान किया गया। इस अवसर पर भक्तों के लिए लंगर का विशेष प्रबंध किया गया व मंच संचालन बिदरपाल गर्ग ने किया। महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलने से दुखों का होता है अंत : साध्वी

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मौड़ मंडी के जैन भारती सुशील कुमारी जी महाराज के सान्निध्य में तपस्या संयम साधना के प्रतिरूप संयम सुमेरु मायाराम जी के पुण्य स्मरण दिवस पर जैन गुणगान सभा का आयोजन किया गया। पर्व का आयोजन श्रद्धापूर्वक किया गया। साध्वी डा. सुनीता ने कहा कि महापुरुषों के गुणों का स्मरण करने से जीव सौभाग्य की अभिवृद्धि करता है। जीवात्मा के अनंत पुण्यों का योग बनता है। तब जाकर ऐसे दुर्लभ अवसर प्राप्त होते हैं। साध्वी ने कहा कि महापुरुषों के बताए हुए मार्ग पर चलने से समस्याओं एवं दुखों का अंत किया जा सकता है।

साध्वी डा. सुनीता ने कहा भारतीय संस्कृति पर्व प्रधान संस्कृति है जिसमें समय-समय पर कोई ना कोई पर्व अपना संदेश लेकर आ जाता है। विजयदशमी पर्व भी सत्य की विजय, अधर्म के नाश का संदेश देता है, जिसमें व्यक्ति प्रेम, प्यार, भाईचारा, परस्पर सहयोग के साथ समाज में बनी जाति आदि की कुरीतियों का भेदभाव मिटाकर परस्पर सौहार्द का वातावरण बनाता है। भजन के माध्यम से गुरुदेव मायाराम जी का स्मरण किया। साध्वी शुभिता महाराज ने कहा कि गुरु जीवन के निर्माता हैं। गुरुदेव मायाराम के आदर्श आज भी समाज को प्रेम, सौहार्द, मानवीय गुणों की प्रेरणा देते हैं। गुरु तत्व की प्रशंसा तो सभी शास्त्रों ने की है। ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है, किंतु गुरु के लिए कोई मतभेद आज तक उत्पन्न नहीं हो सका। गुरु को सभी ने माना है। भारत के बहुत से संप्रदाय तो केवल गुरबाणी के आधार पर ही कायम हैं। गुरु ने जो नियम बताए हैं उन नियमों पर श्रद्धा से चलना उस संप्रदाय के शिष्य का परम कर्तव्य है।

गुरु का कार्य नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को हल करना भी है। साध्वी शुभिता जी ने कहा कि भगवान से पहले गुरु का नाम लिया जाता है। क्योंकि भगवान से बड़ा दर्जा गुरु को मिलता है। उसका कारण है भगवान से मिलाने वाले गुरु ही तो होते हैं। अगर गुरु ना होते तो भगवान के दर्शन कैसे होते हैं। गुरु की महिमा को जुबान से गाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी प्रतीत होता है। इसलिए इंसान को गुरु के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। क्योंकि गुरु के उपकारों को भुलाया नहीं जा सकता। गुरु के उपकार को भुलाने वाले शिष्य को नरक में भी जगह नहीं मिलती। महापुरुषों ने तो यह भी कहा है कि गुरु के बिना गति नहीं होती। जीवन में एक गुरु अवश्य होना चाहिए। चाहे वह मिट्टी का द्रोणाचार्य भी क्यों ना हो। समिति के सचिव राजिदर जैन कहा कि महाराज जी के आगमन को लेकर शहर में श्रद्धा, भक्ति एवं उत्साह का वातावरण बना हुआ है।


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