हमें दूसरों के मंगल की कामना भी करनी चाहिए : प्रभास मुनि
भास्कर प्रभास मुनि महाराज ने धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
संवाद सूत्र, रामा मंडी: जैन स्थानक रामा में विराजमान उपाध्याय भगवन हिमाचल केसरी जितेंद्र मुनि महाराज आदि ठाणे उप प्रवर्तनी डा. रवि रश्मि महाराज ठाणे जिन शासन ज्योति महासाध्वी मंजुल ज्योति महाराज की उपस्थिति में उपाध्याय भगवन जितेंद्र मुनि महाराज के सुशिष्य प्रवचन भास्कर प्रभास मुनि महाराज ने धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि कोमल हृदय वाला मनुष्य कभी दूसरों का बुरा नहीं चाहता। उन्होंने कहा की जिस तरह हम अपने लिए मंगल कामना करते हैं ठीक वैसी ही कामना अगर दुसरो के लिये करे तो वही मूल रूप मे धर्म की परिभाषा हैं। उन्होंने बताया की भगवान महावीर स्वामी से उनके शिष्य ने प्रश्न किया हे प्रभु धर्म क्या है? तो भगवान महावीर ने अपने शिष्य को उत्तर देते हुए कहा कि जीवन मे छोटों के प्रति वातस्लय व बड़ों के प्रति आदर होना जीवन विनय से परिपूर्ण होना यही धर्म हैं। उन्होने कहा की कहा कि क्या बोलना है? कहां चुप रहना है? यह व्यवहारिकता है। जिसने व्यवहारिकता को अपना लिया उसके जीवन मे विनय का आना लाजमी है। उन्होने कहा की भगवान महावीर स्वामी ने विनय के तीन अर्थ बताए। नम्रता अनुशासन और आचरण। उन्होंने कहा की जब मनुष्य के विचार अच्छे बनते हैं तो उसके चेहरे पर तेज झलकता है। व्यवाहर में विनय भाव आने से कर्मो का श्रय होता है और जीव आत्मा ऊपर की ओर उठती हुई मोक्ष मार्ग की और बढ़ती है। इस दौरान प्रधान जिनेन्द्र जैन सरपरस्त हेमराज जैन अनिल जैन बाबेल, रविद्र निर्मल जैन, निर्मल ओसवाल, गुरदास जैन, डा. रमेश जैन आदि मौजूद थे।