जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी : डा. साध्वी सुनीता
एसएस जैन सभा जैन बुढलाडा मंडी में खद्दरधारणी महान साध्वी मथुरा देवी जी महाराज की पावन गुणगान सभा रखी गई।
संसू, बुढलाडा : एसएस जैन सभा जैन बुढलाडा मंडी में खद्दरधारणी महान साध्वी मथुरा देवी जी महाराज की पावन गुणगान सभा रखी गई। सभा में डा. साध्वी सुनीता महाराज ने कहा कि गुरुनी जी महाराज अनुशासनप्रिय थे। उनका जीवन संयम से भरा हुआ था। उन्होंने जन-जन को ज्ञान का उपदेश दिया व जो भी उनकी शरण में आया उसकी आत्मा का कल्याण किया।
साध्वी शुभिता जी ने मथुरा देवी जी महाराज की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी है। जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं। जैसे रावण विद्वान होते हुए भी उसका कोई गुरु नहीं था व यही कारण था कि आज भी लोग उसका पुतला जलाते हैं। जीवन में एक गुरु जरूर होना चाहिए। चाहे वह मिट्टी का द्रोणाचार्य भी क्यों न हो। यह हमारा परम सौभाग्य है कि हमें महासाध्वी मथुरा देवी जी महाराज जैसे गुरुनी जी के संघ में संयम लेने का अवसर मिला। उन जैसे महान सयमी के अनुशासन को गाने का व सुनाने का अवसर मिला। गुरु का गुणगान जितना भी किया जाए वह कम ही होता है। पूज्य मथुरा देवी जी महाराज अपने संयमी जीवन की एक चमत्कारी साध्वी थी। जिनकी शरण में जो भी आता वही दुखों से मुक्त हो जाता था।
मथुरा देवी जी महाराज के जीवन का एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि उनकी आंखों में भयंकर पीड़ा थी। जब डाक्टरों ने उनकी आंख का ऑपरेशन किया तो उन्होंने ध्यानस्थ अवस्था में ही अपनी दोनों आंखों को निकलवा लिया था। लेकिन कोई भी बेहोशी का इंजेक्शन नहीं लगवाया। यह उनकी संयम की वह उज्जवल पराकाष्ठा थी। कठोरता थी, जिसको जिसने भी सुना और देखा वही हैरान हो गया था। ऐसे गुरुणि जी महाराज के जीवन को हम बार-बार नमस्कार करते हैं। उन्होंने बताया कि बुढलाडा क्षेत्र वह तीर्थ भूमि है जिस भूमि पर मथुरा देवी जी महाराज ने अपना साधना काल संपन्न किया था। 1946 में श्री गुरु जी महाराज का देवलोक इसी बुढलाडा क्षेत्र में हुआ था। आज भी उनकी अतिशयकारी समाधि यहीं पर बनी हुई है। जो सभी की मान्यताओं को आज भी पूरा करती हैं। इस अवसर पर सभा के अनेक श्रद्धालु गण मौजूद थे।