इन गांवों में किसान खूब जलवा रहे पराली, पर इससे प्रदूषण के बजाय ऐसे जगमगा रहे गांव
कॉटन बेल्ट का हब माने जाने वाले मानसा जिले में किसान हजारों मीट्रिक टन पराली जलवाते हैं लेकिन उनसे कोई प्रदूषण नहीं होता।
मानसा [नानक सिंह खुरमी]। कॉटन बेल्ट का हब माने जाने वाले मानसा में किसान हजारों मीट्रिक टन पराली जलवाते हैं, लेकिन उनसे कोई प्रदूषण नहीं होता। ऊपर से ऐसा करने पर न केवल किसानों को पैसे मिलते हैं, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी मिला है। दरअसल, यहां के गांव खोखर खुर्द मेंं वायटन एनर्जी प्लांट लगा है। इस प्लांट में हर साल 35 हजार एकड़ में से पराली एकत्र कर बिजली पैदा की जा रही है।
दस मेगावाट बिजली पैदा करने वाला यह जिले का पहला बायोमास प्लांट है। इससे न केवल आठ हजार लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बच गया है। पौने दो किलो पराली जलाने से एक यूनिट बिजली पैदा हो रही है। यहां पैदा बिजली करीब तीस गांवों में सप्लाई हो रही है। पराली जलाकर जो राख पैदा होती है, उसका इस्तेमाल भवन निर्माण करने में किया जा रहा है। कुल मिलाकर पराली का स्थायी प्रबंधन भी हो रहा है और हर किसी को मुनाफा भी।
आठ हजार लोगों को मिला रोजगार
वायटन एनर्जी लिमिटेड के जनरल मैनेजर तेजपाल सिंह और मैनेजर (ईधन) बलजीत सिंह ने बताया कि प्लांट 13 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसके अलावा प्लांट द्वारा 60 से 70 एकड़ जमीन किराये पर ली जाती है, जहां ईंधन का भंडारण किया जाता है। 2013 में शुरू किए गए इस प्लांट में पहले सिर्फ नरमे के अवशेष से बिजली बनाने की सुविधा थी। अब प्लांट में धान की पराली को भी बिजली बनाने के लिए ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि प्लांट में हर साल करीब 85 हजार मीट्रिक टन पराली का इस्तेमाल होता है। किसानों को प्रति क्विटंल पराली के 130 रुपये मिलते हैं।प्लांट मे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब आठ हजार लोगों को रोजगार दिया गया है। प्लांट के लिए इस समय 43 बेलर काम कर रहे हैं। एक बेलर से प्रतिदिन करीब 25 एकड़ क्षेत्रफल में पराली एकत्र की जाती है। प्रति बेलर लगभग 25 से 30 ट्रैक्टर-ट्रालियों का प्रयोग पराली को खेतों में से प्लांट तक लाने के लिए किया जाता है। प्रति बेलर करीब 200 लोगों को रोजगार मिलता है।
अन्य फसलों के अवशेष भी किए जाते हैं इस्तेमाल
प्लांट में धान की पराली के साथ अन्य फसलों के अवशेष भी काम में लाए जाते हैं। जैसे कि सरसों, मूंगफली का छिलका, नरमे की छटियां व उपले आदि। यहां पंजाब के अलावा,हरियाणा और राजस्थान में से भी पराली एकत्र कर लाई जा रही है।
पराली से मिल रहा दोहरा फायदा : किसान
मानसा के किसान कर्मजीत सिंह बताते हैं कि पराली बेचने से जहां पैसे मिल जा रहे हैं। वहीं, प्लांट से पैदा बिजली से कई गांव भी रोशन हो रहे हैं।
किसानों को मिला सही रास्ता : डीसी
डीसी मानसा अपनीत रियात कहती हैं कि इस प्लांट से पराली के सही इस्तेमाल का रास्ता किसानों को मिला है। खेतों में से बेलरों द्वारा पराली एकत्र कर ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर प्लांट लाई जाती है और उससे बिजली पैदा की जाती है।
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