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दो कांग्रेसियों की लड़ाई, प्रधान की कुर्सी आजाद के हाथ आई

नगर परिषद चुनाव के नतीजे आने के 65 दिन बाद शुक्रवार को नगर परिषद बुढलाडा के अध्यक्ष पद की दौड़ समाप्त हो गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 12:36 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 12:36 AM (IST)
दो कांग्रेसियों की लड़ाई, प्रधान की कुर्सी आजाद के हाथ आई
दो कांग्रेसियों की लड़ाई, प्रधान की कुर्सी आजाद के हाथ आई

संसू, बुढलाडा : नगर परिषद चुनाव के नतीजे आने के 65 दिन बाद शुक्रवार को नगर परिषद बुढलाडा के अध्यक्ष पद की दौड़ समाप्त हो गई। वार्ड 17 के विजेता आजाद सुखपाल सिंह दो कांग्रेसियों की लड़ाई के बीच प्रधान पद का ताज पहनने में कामयाब हो गए। उन्होंने बुढलाडा में पहली बार आजाद उम्मीदवार के प्रधान बनने का इतिहास रच दिया। चुनाव से लगभग एक घंटे पहले अकाली नेता गुरपाल सिंह ठेकेदार, विधायक बुधराम और युवा कांग्रेस पार्षद हरविदर सिंह स्वीटी ने परामर्श के बाद सुखपाल सिंह को संयुक्त उम्मीदवार बनाकर प्रधान की दावेदारी ठोक दी। पर पिछले 65 दिनों से दो कांग्रेस पार्षद प्रधान पद के लिए दौड़ में थे। सूत्रों के मुताबिक, दोनों उम्मीदवारों जोड़तोड़ और धनबल के प्रयोग से कांग्रेस हाईकमान को अपनी अपनी ठोस दावेदारी पेश करते रहे। दूसरी तरफ अकाली दल के दो और चार आजाद उम्मीदवार अकाली नेता गुरपाल सिंह ठेकेदार के हाथों में थे। उन्होंने गंदी राजनीति से ऊपर उठकर शहर के विकास में योगदान देने का फैसला किया। अंत में फाइनल मैच में जब कांग्रेस के पार्षद हरविदर सिंह स्वीटी ने अपनी गेम न बनती देखी क्योंकि यह लगभग तय हो गया था कि कांग्रेस आलाकमान के आशीर्वाद से नरिदर कौर विर्क शहर की अगली अध्यक्ष होंगी। इस घटनाक्रम को देखते हुए हरविदर सिंह स्वीटी और विधायक बुधराम सहित कांग्रेस के दो पार्षद ठेकेदार के उम्मीदवार के पक्ष में जा बैठे और इससे आजाद उम्मीदवार सुखपाल सिंह ने बहुमत से प्रधान पद हासिल कर लिया। जब इस संबंधी ठेकेदार गुरपाल सिंह ने कहा शहर में, आम जनता को आसानी से सुविधाएं मिल सकें और कार्यालय में बाबूशाही की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सके, इन सब को देखते हुए पार्षदों ने बिना किसी शर्त सुखपाल सिंह को प्रधान चुना है। इस अवसर पर नव नियुक्त अध्यक्ष सुखपाल सिंह और वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविदर सिंह और उपाध्यक्ष सुभाष वर्मा ने कहा कि वे सभी पार्षदों की राय के अनुसार बिना किसी भेदभाव के पूरे शहर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुखपाल सिंह के पक्ष में सभी दलों के पार्षदों के तात्कालिक समर्थन ने साबित कर दिया कि राजनीति में कभी भी कुछ भी संभव है।

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