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घर परिवार की जिम्मेदारी, रक्तदान में बढ़ाकर भागीदारी, साबित कर रहीं शक्ति का नाम नारी

अब पुरुषों की ही भांति महिलाएं भी रक्तदान के लिए आगे आने लगी हैं। कोरोना के संकट के दौरान भी कई महिलाएं अस्पताल रक्तदान करने पहुंची।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 08:41 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 09:47 PM (IST)
घर परिवार की जिम्मेदारी, रक्तदान में बढ़ाकर भागीदारी, साबित कर रहीं शक्ति का नाम नारी
घर परिवार की जिम्मेदारी, रक्तदान में बढ़ाकर भागीदारी, साबित कर रहीं शक्ति का नाम नारी

जागरण संवाददाता, लुधियाना : समाज में अब भी यह धारणा बनी हुई है कि रक्तदान केवल पुरुष ही कर सकते हैं। अब यह मिथक टूट रहा है, क्योंकि पुरुषों की ही भांति महिलाएं भी रक्तदान के लिए आगे आने लगी हैं। कुछ महिलाएं घर परिवार को बताएं बिना ही मरीजों की जिदगी बचाने के लिए रक्तदान कर रही हैं। यहीं नहीं कोरोना के संकट में जब मरीजों को ब्लड की जरूरत पड़ी तो कई महिलाएं लॉकडाउन और क‌र्फ्यू के दौरान अस्पतालों में पहुंची। विश्व रक्तदाता दिवस पर रक्तदान करने वाली महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए।

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कोई भी स्वस्थ महिला कर सकती है रक्तदान : डॉ. ग्रेवाल

सिविल अस्पताल के बीटीओ डॉ. जीएस ग्रेवाल ने कहा कि पिछले कुछ सालों में रक्तदान करने वाली महिलाओं व लड़कियों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि, अभी और जागरूकता की जरूरत है। सिविल अस्पताल में कई महिलाएं व लड़कियां हर तीन माह बाद ब्लड डोनेट करने के लिए आती हैं। कोई भी स्वस्थ महिला, जिसकी उम्र 18 से से अधिक हो, जिसका हीमोग्लोबिन 12.5 प्रतिशत से अधिक हो और वजन कम से कम 45 किलोग्राम से अधिक हो तो वह रक्तदान कर सकती है। जिन महिलाओं को हाइपर थायराइड या थायरड की शिकायत हो, जो शिशु को ब्रेस्ट फीडिग करवा रही हो, लो या हाई बीपी की समस्या हो, हृदय रोग हों उन्हें रक्तदान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मासिक धर्म आने पर भी रक्तदान नहीं करना चाहिए। डायबिटिज रोगी जो इंसुलिन लेती हैं और गर्भवती महिलाओं को रक्तदान करने की अनुमित नहीं दी जाती। पहली बार कैंसर के मरीज के लिए रक्तदान किया

ब्लड सेवा फैमिली मेंबर, दोराहा की 26 साल की मनवीर कौर ने बताया कि पहली बार उन्होंने 2018 में मोहनदेई ओसवाल अस्पताल में कैंसर के मरीज के लिए सिगल डोनर प्लाज्मा (एसडीपी) डोनेट किया था। इस मरीज को छह बार एसडीपी दिए। यहीं नहीं शादी के चार दिन बाद जब इस मरीज को एसडीपी की जरूरत पड़ी, तो ससुराल से अस्पताल जाकर एसडीपी दिया। वह अब तक एक बार ब्लड व उन्नीस बार एसडीपी डोनेट कर चुकी हैं।

19 साल की उम्र में डेंगू के मरीज को दिया रक्त

फोकल प्वाइंट की बीस साल की मुस्कान बहल ने बताया कि पहली बार 19 साल की उम्र में रक्तदान किया। पिछले साल कृष्णा अस्पताल में डेंगू के मरीज को ब्लड व प्लेटलेट्स की जरूरत थी। ब्लड सेवा फैमिली के जरिए उन्हें जब मालूम चला तो वह तुरंत अस्पताल पहुंची और ब्लड व प्लेटलेटस डोनेट किए, जिससे मरीज की जिदगी बची। उनके ब्लड देने पर मरीज के परिजनों के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी।

लॉकडाउन में इमरजेंसी केस में किया था रक्तदान

फूलांवाल की रहने वाली 25 वर्षीय संध्या पासी कहती हैं कि एक महीने पहले लॉकडाउन के दौरान उन्होंने गुरु नानक चेरिटेबिल अस्तपाल में जाकर इमरजेंसी केस के लिए रक्तदान किया था। उनके पति को ब्लड सेवा फैमिली से फोन आया था कि अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को ब्लड की जरूरत है, जिसे बाद उन्होंने अपने पति के साथ अस्पताल जाकर रक्तदान किया। अब आगे भी अगर किसी को ब्लड की जरूरत होगी, तो वह जरूर जाएंगी। इन्होंने अब तक दो बार रक्तदान किया है।

अप्रैल में लॉकडाउन में डिलीवरी केस में किया था रक्त

टिब्बा रोड की रहने वाली 23 वर्षीय गुरपिदर कौर ने अप्रैल में कोरोना व लॉकडाउन के दौरान मोहनदेई ओसवाल अस्तपाल में जाकर डिलीवरी केस के लिए रक्तदान किया। गुरपिदर बताती हैं कि वह ब्लड के अलावा एसडीपी भी डोनेट कर चुकी है। ब्लड डोनेट करके उन्हें बहुत खुशी मिलती है। उनके द्वारा रक्तदान करने के बाद परिवार के सदस्य भी अब रक्तदान करने लगे हैं। गुरपिंदर कौर ने अब तक दो बार रक्तदान किया।

25 बार ब्लड डोनेट कर चुकी है

नूरवाला रोड की रहने वाली 39 वर्षीय एडवोकेट पूजा अग्रवाल कहती हैं कि अब तक वह 25 बार ब्लड व एसडीपी डोनेट कर चुकी हैं। पहली बार 18 साल की उम्र में रक्तदान किया था। तबसे जब भी किसी जरूरतमंद को रक्त की जरूरत होती है, तो वह अस्पताल पहुंच जाती है। रक्तदान करने से किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती। बल्कि कई तरह की बीमारियां दूर होती है। महिलाओं से अपील है कि वह भी घर परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए रक्तदान करें।


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