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पराली प्रबंधन के प्रयासों को जानने पहुंचा विश्व बैंक का शिष्टमंडल

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री डॉ. मधुर गौतम की अगुवाई में विश्व बैंक के शिष्टमंडल ने दौरा किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 05:30 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 06:23 AM (IST)
पराली प्रबंधन के प्रयासों को जानने पहुंचा विश्व बैंक का शिष्टमंडल
पराली प्रबंधन के प्रयासों को जानने पहुंचा विश्व बैंक का शिष्टमंडल

जासं, लुधियाना: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री डॉ. मधुर गौतम की अगुवाई में विश्व बैंक के शिष्टमंडल ने दौरा किया। इस शिष्टमंडल ने पीएयू के माहिरों व किसानों के साथ मीटिग कर उत्तर पश्चिमी भारत, खासकर पंजाब में धान की पराली व गेहूं की नाड़ को आग लगाए जाने के कारणों को जाना और इसके समाधान की बात की। डॉ. गौतम ने फसलों के अवशेषों को जलाए जाने से पिछले कुछ सालों में सामने आए खतरनाक परिणामों का जिक्र किया। एयर क्वालिटी पर पड़े दुष्प्रभावों पर भी चर्चा की। डॉ. गौतम ने पीएयू के वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों व वैज्ञानिकों से फसलों के अवशेषों को संभालने के तरीकों की जानकारी मांगी। उन्होंने इस मसले पर आर्थिक और व्यापारिक पक्षों की भी बात की। डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एनएस बैंस ने फसल अवशेषों के प्रबंधन के विकल्पों की जानकारी दी। इसके अलावा पराली न जलाने संबंधी आने वाली समस्याओं से भी अवगत करवाया। डॉ. बैंस ने बताया कि किसानों में अब जागरुकता आ रही है। वे फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय मिट्टी में मिला रहे हैं। पीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जसकरण सिंह माहल ने यूनिवर्सिटी की ओर से पराली की संभाल के लिए जलाई जा रही गतिविधियों के बारे में बताया। पराली प्रबंधन पर कर रहे कार्य: डॉ. ढिल्लों

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पीएयू के वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा कि पीएयू पराली प्रबंधन पर बड़ी गंभीरता से कार्य कर रहा है। प्रयासों का परिणाम ही है कि पंजाब में पिछले साल पराली कम जली। उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन को लेकर कई शोध चल रही हैं। उन्होंने विश्व बैंक की टीम को पंजाब के खेती मुद्दों के बारे में पूरी तकनीकी सहायता देने का भरोसा दिलाया।


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