Move to Jagran APP

Punjab Kisan Andolan: अदाणी का साइलाे बंद हाेने से बेराेजगार युवकाें का Kisan संगठनाें से सवाल, हम भी तो किसान हैं; कहां जाएं

अदाणी समूह का साइलाे प्लांट बंद हाेने से युवा आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें घर का खर्च चलाने में समस्या आ रही है। हालांकि कंपनी उनको दूसरे राज्यों में बुला रही है लेकिन वह अपना गांव नहीं छोड़ना चाहते।

By Vipin KumarEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 09:45 PM (IST)
Punjab Kisan Andolan: अदाणी का साइलाे बंद हाेने से बेराेजगार युवकाें का Kisan संगठनाें से सवाल, हम भी तो किसान हैं; कहां जाएं
अदाणी ग्रुप के साइलो प्लांट के मुलाजिम काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। (सांकेतिक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर। Punjab Adani Silo Closure: गांव वां में बंद हुए अदाणी ग्रुप के साइलो प्लांट के मुलाजिम काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। कोई परिवार के लिए कर्ज ले रहा है तो कोई हर दिन नौकरी की तलाश में दूसरी कंपनियों का दरवाजा खटखटा रहा है, लेकिन सभी के हाथ मायूसी ही आ रही है। किसानों के विरोध के कारण अदाणी ग्रुप के मुलाजिमों को कोई नौकरी देने को तैयार नहीं।

loksabha election banner

नौकरी की मांग को लेकर सभी मुलाजिम एक बार फिर फिरोजपुर के डीसी के पास जाएंगे। गांव माना सिंह वाला के राजविंदर सिंह खुद छह एकड़ जमीन के मालिक हैं और पिछले तीन साल से गांव वां के साइलो प्लांट में काम कर रहे थे। राजविंदर ने कहा वह भी किसान हैं। दूसरे राज्यों में भी किसान आंदोलन चल रहा है लेकिन किसी कंपनी के प्लांट बंद नहीं कराए गए। कंपनी उनको दूसरे राज्यों में बुला रही है लेकिन वह अपना गांव छोड़ना नहीं चाहते। वह किसान आंदोलन के साथ हैं लेकिन किसानों को भी गरीब परिवारों के बारे में सोचना होगा।

गांव वां से 70 फीसदी लोग करते थे साइलाे में काम

गांव वां से 70 फीसदी लोग साइलो प्लांट में काम करते थे। इसके अलावा सप्पांवाली, तूत, झाड़ीवाला, स्कूर, भांगर, भाईका वाड़ा, वजीदपुर साहिब, मल्लवाल, प्यारेआणा, गोलेवाला, फिरोजपुर और फरीदकोट से मुलाजिम यहां काम के लिए आते थे। प्लांट बंद होने से अब वे नौकरी की तलाश में मारे-मारे फिर रहे हैं। गांव मल्लवाल में बलजीत सिंह की साढे़ तीन एकड़ जमीन है। कम जमीन से घर का गुजारा नहीं चलता। परिवार पालने के लिए साइलो प्लांट में नौकरी कर रहे थे।

अब नौकरी जाने के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बलजीत सिंह ने कहा अमृतसर, भिखीविंड, तरनतारन और आसपास के गांवों से करीब 40 लाख बैग धान की खरीद की जाती थी। कंपनी फसल के अच्छे दाम देती थी। मुलाजिमों के परिवार के इलाज के लिए दवाओं के बिल तक का भुगतान कंपनी करती थी। अब इलाज कराना भी मुश्किल हो गया है।

यह भी पढ़ें-Kisan Andolan: आंदोलन के नाम पर अराजकता की छूट देना राज्य के हितों के साथ खिलवाड़

कंपनी ने मुलाजिमों का करवाया था 15 लाख तक का बीमा

गांव मल्लवाल के सुखदेव सिंह ने कहा हर रोज नौकरी के लिए दूसरे शहरों में जा रहे हैं लेकिन नौकरी नहीं मिल रही। साइलो में भविष्य सुरक्षित लगता था। कंपनी ने मुलाजिमों का 15 लाख तक का बीमा भी करवा रखा था। विवाह समारोह में बकायदा शगुन तक दिया जाता था। अब फिर से काम ढूंढना मुश्किल हो रहा है। गांव प्यारेआणा के प्रदीप कुमार ने कहा घर में दो बच्चे, मां और पत्नी है। घर का गुजारा करने के लिए भाई से पैसे उधार लिए हैं। काम न होने की सूरत में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। जिला प्रशासन के साथ किसानों की बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला, अब उम्मीद टूटती जा रही है।

यह भी पढ़ें-Kisan Andolan: पंजाब में बेरोजगारी बढ़ाएगी किसानों की जिद, धरना खत्म कराने के प्रशासन के प्रयास नाकाम, जानें क्या हाेगा असर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.