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करंट लगने से झुलसे कर्मचारी को सीएमसी रेफर करने की मांग, सहकर्मियों का कंपनी व पॉवरकॉम के खिलाफ प्रदर्शन

जीवन नगर में 11 हजार वोल्ट की चपेट में आकर झुलसे कर्मचारी का 30 घंटे बाद भी उपचार शुरू नहीं हुआ। इससे भड़के सहकर्मियों ने पहले कंपनी और पाॅवरकॉम के खिलाफ प्रदर्शन किया।

By Sat PaulEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 03:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 03:33 PM (IST)
करंट लगने से झुलसे कर्मचारी को सीएमसी रेफर करने की मांग, सहकर्मियों का कंपनी व पॉवरकॉम के खिलाफ प्रदर्शन
करंट लगने से झुलसे कर्मचारी को सीएमसी रेफर करने की मांग, सहकर्मियों का कंपनी व पॉवरकॉम के खिलाफ प्रदर्शन

लुधियाना, जेएनएन। जीवन नगर में 11 हजार वोल्ट की चपेट में आकर झुलसे कर्मचारी का 30 घंटे बाद भी उपचार शुरू नहीं हुआ। इससे भड़के सहकर्मियों ने पहले कंपनी और पाॅवरकॉम के खिलाफ प्रदर्शन किया। जीवन नगर चौकी में मामले की शिकायत भी दर्ज कराई है। अंत में सहकर्मियों ने फिरोजपुर रोड स्थित मेडिवेज अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया। ये लाेग घायल पंकज को किसी अच्छे अस्पताल में रेफर करने की मांग कर रहे थे।

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टेलिप्रफार्मेंस कंपनी के कर्मचारी संदीप ने बताया कि हादसे के बाद पंकज को तीन अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। मगर इलाज एक भी अस्पताल में नहीं हुआ। वीरवार शाम छह बजे उसे मेडिवेज अस्पताल में रेफर कर दिया गया। वहां वीरवार से किसी डॉक्‍टर ने आकर उसे चेक भी नहीं किया। उसे केवल ग्लूकोज लगा कर रखा हुआ है। जिसके चलते दोपहर 3 बजे उनकी यूनियन के सभी सदस्यों ने अस्पताल के बाहर धरना लगा दिया। उनकी मांग है कि पंकज को सीएमसी अस्पताल में रेफर किया जाए।

इससे पहले शुक्रवार सुबह कर्मचारियों ने फोकल प्वाइंट स्थित पॉवरकॉम कार्यालय के बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि पंकज का इलाज अच्छे अस्पताल में हो। उसकी पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए। परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए। इसके बाद जीवन नगर चौकी में पॉवरकॉम तथा टेलिप्रफार्मेंस कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। ताकि आरोपितों के खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई की जाए।

इस अवसर पर प्रधान बलिहार सिंह समेत परमिंदर सिंह तथा रमन ने कहा कि वो लोग अपने साथी काे इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। अब उन्हें नौकरी से निकाले जाने का भी खतरा है। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान उन्हें कोई छुट्टी नहीं दी गई है। वो लोग 9 हजार रुपये महीना वेतन पर काम करते हैं। काम करने के दौरान उन्हें मास्क व दस्ताने तक नहीं दिए जाते। अपनी जान पर खेल कर वो रात दिन काम कर रहे हैं।

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