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Hariyali Teej 2021: पंजाब में हरियाली तीज की धूम, महिलाओं ने सोलो डांस व तंबाेला खेल किया सेलिब्रेशन; देखें तस्वीराें में उल्लास

Hariyali Teej 2021 क्लब की गुनीता बिंद्रा ने तीज की सभी को बधाई दी। कई तरह के टाइटल्स इस मौके पर निकाले गए और सरप्राइज गिफ्टस दिए गए। दरअसल कोविड के कारण लंबे समय बाद ऐसी सेलिब्रेशन हुई जिसके चलते मेंबर्स उत्साहित दिखीं।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 12:39 PM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 03:04 PM (IST)
Hariyali Teej 2021: पंजाब में हरियाली तीज की धूम, महिलाओं ने सोलो डांस व तंबाेला खेल किया सेलिब्रेशन; देखें तस्वीराें में उल्लास
रायकोट में आयोजित तीज त्योहार में परंपराओं के साथ भाग लेती महिलों और युवतियां। (जागरण)

लुधियाना, [आनलाइन डेस्क]। Hariyali Teej 2021: पंजाब में मंगलवार काे हरियाली जीत की धूम रही। महिलाओं ने विशेष तरीके से इस त्याेहार काे मनाया। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। लुधियाना में फ्री बर्डस क्लब की तरफ से फिरोजपुर रोड स्थित एक होटल में तीज सेलिब्रेशन की गई। इसमें पंजाबी और वेस्टर्न दोनों तरह का पहरावा दिखा। कार्यक्रम की शुरुआत में तंबोला खेला गया। इसके बाद सेलिब्रेशन शुरू हुई। पहले पंजाबी गीतों पर सोलो डांस चला और उसके बाद रैंप वाक राउंड चला।

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क्लब की गुनीता बिंद्रा ने तीज की सभी को बधाई दी। कई तरह के टाइटल्स इस मौके पर निकाले गए और सरप्राइज गिफ्टस दिए गए। दरअसल, कोविड के कारण लंबे समय बाद ऐसी सेलिब्रेशन हुई, जिसके चलते मेंबर्स उत्साहित दिखीं। हरियाली तीज हर वर्ष सावन शुक्ल तृतीया तिथि को मनाई जाती है।

पति की लंबी आयु और उत्तम संतान के लिए व्रत रखती हैं महिलाएं

पति की लंबी आयु और उत्तम संतान के लिए हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए माता पार्वती, भगवान शिव और गणपति की पूजा करती हैं। इस वर्ष की हरियाली तीज शिव योग और रवि योग में है। सावन शुक्ल तृतीया तिथि या हरियाली तीज व्रत का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। आइए जानते हैं इसके महत्व के बारे में।

हरियाली तीज का महत्व

ज्योतिष के मुताबिक शिव पुराण में हरियाली तीज की कथा का वर्णन मिलता है, जो माता पार्वती के कई वर्षों के कठोर तप और उसकी सफलता का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती अपने आराध्य भगवान शिव को अपने जीवनसाथी के रुप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने अपने तप से महादेव को प्रसन्न करने का निश्चय किया। मां पार्वती ने 108 जन्मों तक कठोर तप किया, तब जाकर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उनको मनोकामना पूर्ति का आशीष दिया। फिर भगवान शिव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे।


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