शहर की सुरक्षा पर महिलाओं ने उठाए सवाल, कहा-ऐसे माहौल में कैसे सुरक्षित रहेंगी बेटियां
इस्सेवाल के नजदीक हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद से महिलाएं खौफ में हैं और लगातार शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही हैं।
जेएनएन, लुधियाना। गांव इस्सेवाल के नजदीक हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद से महिलाएं खौफ में हैं और लगातार शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रही हैं। उनका कहना है कि शहर में महिलाओं के साथ कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं। दैनिक जागरण की पहल मैं सुरक्षित नहीं हूं के तहत कुछ प्रतिष्ठित महिलाओं ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर अपनी राय दी।
घर में भी करने लगी हूं अनसेफ फील
अग्रनगर की रहने वाली शैली गोयल का कहना है कि जब से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। उस केस के बाद से मैं खुद को घर में भी अनसेफ फील करने लगी हूं कि कब क्या हो जाए। यहां तक कि घर पर काम करने वाले लोगों, ड्राइवर का पता नहीं की वह किस निगाह से देख रहा है और उनकी सोच कैसी है। अब तो अपनी बेटी को भी घर पर अकेले छोड़कर नहीं जा सकती।
क्यों सहमी हैं : सामूहिक दुष्कर्म जैसी घिनौनी घटना के बाद से डर बनना स्वाभाविक है।
अब क्या : अपनी और बेटी की सुरक्षा को लेकर ज्यादा एक्टिव रहती हूं।
अपनी बच्चियों को सुरक्षित माहौल देने की हो रही चिंता
फाउंटेन चौक निवासी शैली अग्रवाल का कहना है कि मेरी दो बच्चियां हैं। अब तो यही चिंता सता रही है कि उन्हें सुरक्षित माहौल कैसे दूंगी? रात-दिन यही सोचते गुजर रहा है। बढ़ती आपराधिक घटनाओं के बाद से दोनों बेटियों की सुरक्षा के लिए ज्यादा गंभीर हो गई हूं। रात के समय पार्टियों में जाने से भी परहेज किया जाएगा।
क्यों सहमी हैं : इस्सेवाल के पास हुई घटना के बाद एक डर सा लगता है कि इस शहर में कभी भी कुछ हो सकता हैं।
अब क्या : लोधी क्लब के पास जाती सड़क और साउथ सिटी से आस-पास गांवों को जाती सड़क से जाने में गुरेज करने लगी हूं।
जब से मेरा पर्स छीनने की हुई कोशिश, तब से बढ़ा खौफ
माता नगर निवासी इशनीत शर्मा ने बताया कि घर पंजाब माता नगर में है। कनाल ब्रिज से जवद्दी रोड होते हुए पंजाब माता नगर की तरफ आने वाली सड़क पर मैं अपने आपको बिल्कुल सुरक्षित महसूस नहीं करती। उस जगह पर सिक्योरिटी नाम की कोई चीज नहीं है।
क्यों सहमी हैं : दो साल पहले इसी सड़क पर शाम के समय मुझसे से दो बाइकर्स ने पर्स छीनने की कोशिश की थी। तब से डरी हुई हूं।
अब क्या : मैं उस रास्ते को छोड़ अन्य रास्ते से जाती हूं।
अंधेरे के दौरान ही लगता है डर
सराभा नगर एच ब्लॉक शम्मी का कहना है कि अब तो अंधेरा होने के साथ ही मुझे डर लगता है कि मैं सुरक्षित नहीं हूं। अभी दो दिन पहले ही मैं शाम को सराभा नगर के एक पार्लर पर गई। गाड़ी मैंने पार्लर के सामने वाली गली में पार्क की थी। पार्लर से निकली तो गली में अंधेरा दिखा क्योंकि वहां कोई लाइट नहीं थी। इसलिए मैं पार्लर वालों की मदद से पार्किंग तक आई।
क्यों सहमी हैं : सामूहिक दुष्कर्म जैसी घटना के बाद शहर में कभी भी कुछ होने की आशंका बनी रहती है।
अब क्या : रात के समय अकेले बाहर निकलने से गुरेज करती हूं।