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हमारा शहर इंदौर क्यों नहीं : एक साल से कूड़ा निस्तारण ठप, समय पर नहीं बने एसटीपी

कूड़ा प्रबंधन से इंदौर नगर निगम सालाना करीब 20 करोड़ रुपये की कमाई कर रहा है और हम लाखों रुपये खर्च कर भी कूड़ा निस्तारण में फिसड्डी हैं। एक साल से शहर में कूड़े का निस्तारण पूरी तरह ठप है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में नगर निगम लुधियाना के पांच पायदान और नीचे लुढ़कने का यह सबसे बड़ा कारण रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 01:43 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 01:43 AM (IST)
हमारा शहर इंदौर क्यों नहीं : एक साल से कूड़ा निस्तारण ठप, समय पर नहीं बने एसटीपी
हमारा शहर इंदौर क्यों नहीं : एक साल से कूड़ा निस्तारण ठप, समय पर नहीं बने एसटीपी

राजेश भट्ट, लुधियाना : कूड़ा प्रबंधन से इंदौर नगर निगम सालाना करीब 20 करोड़ रुपये की कमाई कर रहा है और हम लाखों रुपये खर्च कर भी कूड़ा निस्तारण में फिसड्डी हैं। एक साल से शहर में कूड़े का निस्तारण पूरी तरह ठप है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में नगर निगम लुधियाना के पांच पायदान और नीचे लुढ़कने का यह सबसे बड़ा कारण रहा।

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इंदौर जिन पांच कारणों से हर साल देश में में पहले नंबर पर आ रहा है उनमें हम पीछे रहे हैं। पिछले साल देश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों में लुधियाना 34वें स्थान पर था लेकिन इस बार 39वें नंबर पर पहुंच गया।

नगर निगम अगर सही से कूड़े का निस्तारण करता तो सर्विस लेवल प्रोग्रेस में अच्छे नंबर लेकर रैंकिंग में सुधार ला सकता था। इसके अलावा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट समय पर बनते और काम करते तो ओडीएफ टू प्लस स्टेटस के साथ 200 अंकों की बढ़ोतरी होती। 1. कूड़ा प्रबंधन में इंदौर के मुकाबले लुधियाना कोसों दूर

इंदौर : कूड़ा निस्तारण को लेकर बहुत काम हुआ। गीला, सूखा, ई वेस्ट, मेडिकल वेस्ट व प्लास्टिक कचरे को अलग-अलग किया गया। यह काम सोर्स लेवल पर ही होता है।

लुधियाना : शहर में कूड़ा निस्तारण फरवरी से बंद है। गीले कूड़े से खाद बनाने का प्लांट लगाया गया लेकिन गीला व सूखा कूड़ा अलग ही नहीं हो रहा है। कंपोस्ट प्लांट बंद है। आरडीएफ प्लांट एक साल से बंद है। 2. इंदौर में सफाई जन आंदोलन, लुधियाना में सड़क किनारे डंप

इंदौर : लोगों को जागरूक किया और स्वच्छता मुहिम का हिस्सा बनाया। स्वयंसेवी संगठनों को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया।

लुधियाना : कूड़ा सड़कों के किनारे और खाली प्लाटों में पड़ा रहता है। सेकेंडरी डंपों पर कूड़ा बिखरा रहता है। लोगों को जागरूक नहीं कर पाए। 3. सूखे कूड़े को रिसाइकिल कर प्रयोग :

इंदौर : कूड़ा निस्तारण के लिए फोर आर सिस्टम को अपनाया है। इससे रियूज, रिसाइकिल, रिड्यूज और रिफ्यूज पर फोकस किया गया।

लुधियाना: नगर निगम प्लास्टिक के लिफाफों पर पाबंदी नहीं लगा पाया। मुहिम शुरू की लेकिन राजनीतिक दबाव में बंद कर दी। 4. बुड्ढा दरिया में गिर रहा सीवरेज व इंडस्ट्री का पानी

इंदौर : सीवरेज का पानी नदियों में गिरने से रोका गया। इस पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग किया गया।

लुधियाना : अब भी सीवरेज का पानी बुड्ढा दरिया में गिराया जा रहा है। इंडस्ट्री व डेयरियों का पानी भी दरिया में जा रहा है। शहर को इस तरह मिले अंक

मद का नाम कुल अंक प्राप्त अंक

सर्विस लेवल प्रोग्रेस 2400 1725.98

पब्लिक वायस 1800 1203.84

सर्टिफिकेशन स्कोर 1800 300

कुल 6000 3229.81 दोनों शहरों में अंतर देखिए और समझिए, हम कहां हैं?

इंदौर :

रोजना गीला कूड़ा : 700 टन : इससे खाद व गैस बनती है। इससे सालाना सात करोड़ की आय।

रोजाना सूखा कूड़ा: 470 टन, नगर निगम को इससे दो करोड़ की आय।

सीएंडी वेस्ट : 25 लाख कमाए।

एसटीपी : स्लज से खाद बनाकर दो करोड़ रुपये कमाए।

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लुधियाना :

रोजाना गीला कूड़ा : 500 टन : खाद का प्लांट बना है लेकिन बंद है। कोई आय नहीं होती।

रोजाना सूखा कूड़ा : 600 टन, निगम को आय शून्य।

सीएंडी वेस्ट : प्लांट ही नहीं है।

एसटीपी : स्लज से निगम को कोई आय नहीं हो रही।

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यहां करना होगा सुधार

- सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध

- कूड़ा लिफ्टिंग में सुधार

- कूड़े का सही तरीके से निस्तारण

- कूड़ा कलेक्टरों को दो खाने वाले रेहड़े देने होंगे

- स्टेटिक कंपेक्टर का काम पूरा करना होगा

- मैकेनिकल स्वीपिग शुरू करवानी होगी

- सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट जल्द बनवाना होगा


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