Move to Jagran APP

कर्तव्यपरायाण: सुबह उठते ही करें कर्तव्य का निर्धारण

कर्तव्यपरायणता कार्य के प्रति समर्पण तथा ईश्वर की उपासना का सर्वोत्तम स्वरूप है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 07:30 AM (IST)
कर्तव्यपरायाण: सुबह उठते ही करें कर्तव्य का निर्धारण
कर्तव्यपरायाण: सुबह उठते ही करें कर्तव्य का निर्धारण

लुधियाना : कर्तव्यपरायणता कार्य के प्रति समर्पण तथा ईश्वर की उपासना का सर्वोत्तम स्वरूप है। मनुष्य जीवन की स्थिरता एवं प्रगति का अस्तित्व की आधारशिला उसकी कर्तव्यपरायणता है। यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ दें और निर्धारित कर्तव्यों की उपेक्षा करें तो फिर ऐसा गतिरोध हो जाएगा कि प्रगति और उपलब्धियों की बात तो दूर मनुष्य की तरह जीवन व्यतीत करना भी संभव नहीं हो पाएगा। जीवन के हर विभूति कर्तव्यपरायणता पर निर्भर है। एक मनुष्य का जन्म ही कर्मों के अधीन होता है। कर्तव्यपरायणता का क्षेत्र बहुत व्यापक है। मनुष्य के जीवन के साथ तो विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों की लंबी श्रृंखला जुड़ी है। शरीर, मन, आत्मा, परिवार, समाज, राष्ट्र के प्रति अनेकों कर्तव्यों के पालन का उत्तरदायित्व मनुष्य पर रहता है। उन सब को समझना, अपनाना तथा निर्वाह करना कर्तव्यपरायणता के अंर्तगत आता है। मनुष्य जागने के समय से लेकर सोने के समय तक कर्तव्य साधना में लगा रहता है। इसलिए जो भी हो कर्तव्यपरायणता का लेखा-जोखा नित्य लिया जाना चाहिए. सुबह नींद खुलते ही यह विचार करना चाहिए कि एक परिपूर्ण जीवन है। हमें इस अवधि में सुनिश्चित कर्तव्य पूरे करने हैं। सारे दिन के कर्तव्य का निर्धारण प्रात काल ही करके उठना चाहिए। इससे काम का समय संकल्प-विकल्प में व्यर्थ नष्ट नहीं होता। रात्रि में सोने से पहले स्वयं से जवाब तलब किया जाना चाहिए कि जो कर्तव्य निर्धारित किए थे उन्हें पूरा किया जा सका या नहीं। यदि कहीं कुछ भूल हुई हो तो उसके लिए प्रायश्चित की भी व्यवस्था बनाई जाए। जो कर्तव्य पूरे किए जा सकें, उनके लिए प्रसन्नता अनुभव अवश्य करें क्योंकि जरूरी नहीं कि हम जो चाहते हैं वह हमें हमेशा मिले, लेकिन न मिलने पर उसके लिए कार्यरत रहना हमारा कर्तव्य है।

loksabha election banner

अपने कर्तव्य पूर्ति के निष्ठा भाव के प्रति अटल बिहारी बाजपेयी की यह पंक्तियां सफल सिद्ध होती हैं:-

क्या हार में, क्या जीत में

किचित नहीं भयभीत मैं

कर्तव्य पथ पर जो भी मिला

यह भी सही, वह भी सही

वरदान नहीं मांगूगा हो कुछ पर हार नहीं मानूंगा कर्तव्यपरायणता का सजीव उदाहरण तो वर्तमान समय में स्पष्ट रूप से प्रस्तुत हुआ है। इस आसमयिक आपदा (कोरोना संकट) के समय में अपने कर्तव्य के प्रति सजग निरंतर कार्य कर रहे भगवान के रूप में कहलाते चिकित्सक को तो सब ने जाना है। पुलिस के अदम्य साहस और सजगता से इस स्थिति में तो सराहनीय रही है। मुंह पर केवल कपड़ा बांधे बिना किसी परवाह के अपने काम में लगे कर्तव्य के प्रति सजग सफाई कर्मचारियों को भी कैसे भुला सकते हैं। ऐसे ही समाज के अन्य कई छोटे-बड़े हितकारी कर्मवीरों ने अपने सर्वस्व समर्पित भाव तथा लगनशीलता से कर्तव्यपरायणता में लीन हैं। यह तो समय गवाह है कि महत्वपूर्ण कार्य सदा उन्हीं के द्वारा संपन्न होते जो केवल कर्तव्य पालन को प्राण से भी अधिक प्यार करते हैं। इसके विपरीत गैर जिम्मेदार, लापरवाह और अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने वाला अपने और संबंधित व्यक्तियों का केवल अहित ही करते हैं। इसलिए कर्तव्यपरायणता का गुण किसी मनुष्य के केवल अपने जीवन, व्यक्तित्व के लिए ही नहीं अपितु उसके परिवार, समाज तथा देश के लिए भी सदा हितकारी सिद्ध होता है।

- परविदर कौर, गुरु नानक पब्लिक स्कूल सराभा नगर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.