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कैंसर, शुगर, गठिया रोगियों को जीवनदान दे रही यह ग्रास, ऐसे तैयार होता है जूस

रह्मदीप सिंह सिद्धू कैंसर पीडि़तों के लिए मसीहा बने हैं। वह रोजाना कैंसर, शुगर, गठिया और लीवर की बीमारी से पीड़ित 200 से अधिक मरीजों को व्हीट ग्रास का जूस नि:शुल्क मुहैया कराते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 01:03 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 09:40 AM (IST)
कैंसर, शुगर, गठिया रोगियों को जीवनदान दे रही यह ग्रास, ऐसे तैयार होता है जूस
कैंसर, शुगर, गठिया रोगियों को जीवनदान दे रही यह ग्रास, ऐसे तैयार होता है जूस

जगराओं [बिंदु उप्पल]। व्हीट ग्रास का जूस बांट गुरूसर सुधार के समाज सेवक ब्रह्मदीप सिंह सिद्धू कैंसर पीडि़तों के लिए मसीहा बने हैं। वह रोजाना कैंसर, शुगर, गठिया और लीवर की बीमारी से पीड़ित 200 से अधिक मरीजों को व्हीट ग्रास का जूस नि:शुल्क मुहैया कराते हैं। सिद्धू एक महीने में इस पर लगभग 30 हजार रुपये इस पर खर्च करते हैं। छह माह पूर्व से ही उन्होंने यह सेवा शुरू की है।

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बहन को हुआ कैंसर तो जागी नई सोच

सिद्धू को छह महीने पहले 44 वर्षीय बहन राजदीप कौर को कैंसर की अंतिम स्टेज होने का पता चला। उन्हें किसी ने सलाह दी कि बहन की जान बचानी है तो उसे व्हीट ग्रास जूस दें। बकौल सिद्धू, किसी ने मुझे व्हीट ग्रास की शुरूआत करने वाली दविंदर कौर खुराना के बारे में बताया। इस पर मैंने दविंदर कौर से व्हीट ग्रास तैयार करने की विधि सीखी। सिद्धू ने बताया कि मैंने छह महीने पहले बहन को व्हीट ग्रास का जूस बनाकर देना शुरू किया था। साथ ही दस अन्य मरीजों को भी जूस देता था, ताकि वे भी ठीक हो जाएं। अन्य दस मरीज ठीक हो गए तो उन्होंने मुझे सहयोग करना शुरू कर दिया है।

यह है व्हीट ग्रास जूस

सिद्धू बताते हैं कि व्हीट ग्रास तैयार करने के लिए मध्य प्रदेश से आर्गेनिक गेहूं लाना पड़ता है। यह आजकल लुधियाना के व्यापारियों से मिल जाता है। व्हीट ग्रास के लिए पंजाब का गेहूं ठीक नहीं है, क्योंकि इसमें बहुत केमिकल होते हैं। गेहूं को पहले दस घंटे पानी में भिगोकर रखना पड़ता है। फिर भीगे गेहूं को 50 घंटे बांधकर रखना पड़ता है, ताकि अंकुरित हो जाए। फिर मिट्टी की दो इंच की सतह बना लेते हैं। सतह पर अंकुरित गेहूं बिछा देते हैं। उस पर पानी डालने के बाद हल्की मिट्टी से पूरे गेहूं को कवर कर देते हैं।

उसको 24 घंटे मलमल के कपड़े से ढककर रखते हैं। फिर उस पर पानी छिड़कते हैं और कपड़ा उठा देते हैं। फिर जब अंकुरित गेहूं की फसल 4 से 7 इंच तक हो जाती है, तो उसका जूस तैयार करते हैं। इस फसल को सोटे (लाठी) से पीटकर उसका रस निकाल कर उसको मलमल के कपड़े से छानकर मरीज को कांच के गिलास में डालकर पीने के लिए देना है। इसमें बिल्कुल पानी नहीं मिलाना है। रोजाना एक मरीज को सुबह खाली पेट 50 एमएल देना है। सिद्धू रोजाना सुबह पांच बजे से 7 बजे तक और शाम को पांच बजे से सात बजे तक व्हीट ग्रास का जूस पिलाते हैं।

अन्य लोग भी कर रहे मदद

बिल्डिंग मैटीरियल स्टोर संचालक और किसान ब्रह्मदीप सिंह उनके काम में वे लोग भी मदद करते हैं, जोकि लगातार तीन महीने जूस पीकर ठीक हो गए हैं। उनसे लोग हर रविवार को व्हीट ग्रास का जूस बनाना सीखने आते हैं। उनके सिखाए लोग राजोआना के गुरुद्वारा साहिब और रायकोट के क्लब में मरीजों को जूस पिलाते हैं। इनके सहयोगियों में गुरमीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, रमेश कुमार घुमान, निकू, सुखविंदर सिंह और गुरजीत सिंह आदि शामिल हैं।

परिवार देता है पूरा सहयोग

सिद्धू बताते हैं कि हम दो भाई-बहन हैं। बहन कैंसर पीडि़त है। समाजसेवा के इस कार्य में पिता बलबीर सिंह, मां जसविंदर कौर, पत्नी बलदीप कौर, दोनों बच्चे और मेरे यहां काम करने वाले कर्मंचारी पूर्ण सहयोग देते हैं।

कौन से तत्व व्हीट ग्रास को बनाते हैं कारगर

मेडीवेज हॉस्पिटल, लुधियाना के आंकोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. सतीश जैन का कहना है कि व्हीट ग्रास में मानव शरीर के खून की तरह वे सारे तत्व होते हैं, इसलिए इसको ग्रीन ब्लड भी कहा जाता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, क्लोरोफिल की मात्रा 70 प्रतिशत होती है। इसमें एंटी कैंसर तत्व भी होते हैं। इससे यह कैंसर कोशिकाओं को बढऩे से रोकने में सक्षम है।

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