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Punjab Agricultural University में प्रदर्शनी, 35 हजार पुरानी जंगली गेहूं देखकर स्टूडेंट्स हैरान

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट आॅफ प्लांट ब्रीडिंग व जेनेटिक्स के व्हीट सेक्शन की ओर से व्हीट एवोल्यूशन और रेवोल्यूशन पर प्रदर्शनी आयोजित की गई।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 10:21 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 12:47 PM (IST)
Punjab Agricultural University में प्रदर्शनी, 35 हजार पुरानी जंगली गेहूं देखकर स्टूडेंट्स हैरान
Punjab Agricultural University में प्रदर्शनी, 35 हजार पुरानी जंगली गेहूं देखकर स्टूडेंट्स हैरान

जेएनएन, लुधियाना। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स के व्हीट सेक्शन की ओर से व्हीट एवोल्यूशन और रेवोल्यूशन एग्जीबिशन आयोजित की गई। इस एग्जीबिशन में गेहूं के इतिहास को बताया गया। जिसमें सबसे अधिक ध्यान खींचा जंगली गेहूं ने। जो कि करीब 30 से 35 हजार साल पुरानी थी। स्पेलटोआइडिस व मोनोकोकस नाम की इस जंगली गेहूं के बारे में जानने को लेकर बायोटेक्नोलाजी व प्लांट ब्रीडिंग के स्टूडेंट्स काफी उत्सुक दिखे। स्पेलटोआइडिस को गेहूं की ग्रेंड मदर भी कहा जाता है।

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रिसर्च फेलो डाॅ. गुरइकबाल सिंह ने बताया कि स्पेलटोआइडिस व मोनोकोकस का प्राकृतिक तौर पर क्रास हुआ। इसके बाद इन दोनों जंगली गेहूं के क्रास से डायकोकोयडिस गेहूं बनी। लोगों ने पचास हजार साल पहले जब डायकोकोयडिस को लगाना शुरू किया तो गेहूं की एमरवीर वैरायटी अस्तित्व में आई। जिसे भारत में खापली गेहूं कहते हैं। डायकोकोयडिस का जब फिर प्राकृतिक तौर पर टोसाई से क्रॉस हुआ तो हमें वह गेहूं मिली, जिसे हम ब्रेड व्हील कहते हैं और जिसे रोटी बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

वहीं इस प्रदर्शनी में वर्ष 1905 में आई एनपीए चार, पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज व रिसर्च इंस्टीट्यूट लायलपुर की ओर से वर्ष 1919 में लाई गई लंबी ट्रेडिशनल ब्रेड वेरायटी 8 ए, वर्ष 1933 में पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज व रिसर्च इंस्टीट्यूट लायलपुर की ओर से सी 518 ब्रेड व्हीट वेरायटी, वर्ष 1934 में पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज व रिसर्च इंस्टीट्यूट लायलपुर की ओर से लाई गई सी 591 ट्रेडिशनल व्हीट ब्रेड वेरायटी के अलावा वर्ष 1950 में आई गेहूं की वेरायटी याकुई 50, वर्ष 1960 में आई गाबो 60 और पिछले सौ साल के दौरान बनाई गई गेहूं की नई प्रजाति के सैंपल को भी प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी में हरित क्रांति लाने में गेहूं की वेरायटी के सैंपल भी आकर्षण का केंद्र रहे। जैसे कि वर्ष 1967 में आई कल्याण सोना।

इसके अलावा प्रदर्शनी में गेहूं की ऐसी वैरायटी भी प्रदर्शित की गई थी, जिनकी हाइट 150 सेंटीमीटर तक थी। जबकि मौजूदा समय में 90 से 100 सेंटीमीटर तक हाइट की गेहूं की वेरायटी लगाई जा रही है। व्हीट ब्रीडर डॉ. वीएस सोहू ने ने बताया कि करीब बारह हजार साल पहले खेती शुरू हुई। इससे पहले प्राकृति में जंगली गेहूं थी। जंगली गेहूं का धीरे-धीरे पहले प्राकृतिक तौर पर क्राॅस हुआ, फिर इंसानों ने गेहूं की जंगली वेरायटी से दूसरी वेरायटी तैयार की। जिसका इस्तेमाल हम कर रहे हैं। स्टूडेंट्स किताबों में तो गेहूं के इतिहास के बारे में बहुत कुछ पढ़ते हैं, लेकिन असल में नहीं देख पाते। स्टूडेंट्स को लाइव दिखाने के लिए गेहूं के आरंभ से लेकर अब तक की वेरायटी के सैंपल प्रदर्शित किए गए। इस मौके पर डॉ. पूजा व डॉ. अर्चना शर्मा ने क्लासिक व्हीट वेरायटी के बारे में जानकारी दी।

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