Move to Jagran APP

नाटक मंचन: कॉमेडी के जरिए कलाकारों ने दिखाई जीवन की वास्तविक सच्चाई

हमेशा मेरी तरह मेरे में न जीयो अपने में जीयो। इन्हीं पंक्तियों के साथ पर्दा गिर जाता है।

By Edited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 05:30 AM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 05:30 AM (IST)
नाटक मंचन: कॉमेडी के जरिए कलाकारों ने दिखाई जीवन की वास्तविक सच्चाई
नाटक मंचन: कॉमेडी के जरिए कलाकारों ने दिखाई जीवन की वास्तविक सच्चाई
जासं, लुधियाना : हमेशा मेरी तरह मेरे में न जीयो, अपने में जीयो। इन्हीं पंक्तियों के साथ पर्दा गिर जाता है। जीवन की एक वास्तविक सच्चाई को हल्की कॉमेडी के जरिए कलाकारों ने नाटक में बखूबी दर्शाया। लुधियाना सांस्कृतिक समागम (एलएसएस) की तरफ से गुरु नानक देव भवन में करवाए गए 'वेलकम ¨जदगी' नाटक में यह देखने को मिला। दो घंटे पांच मिनट के इस नाटक में हर कलाकार ने दर्शकों को अपने साथ बांधे रखा। नाटक केवल यही संदेश देता दिखा कि मर-मर के ¨जदगी मत जीएं और यह संदेश नाटक में एक यमराज ने इंसान को दिया। संजय झा के लिखे नाटक वेलकम ¨जदगी में नौ पात्र रखे। मुख्य पात्र में स्टेशन मास्टर (सुधीर पांडे) मध्यम वर्गीय परिवार से रहे और अपना सारा जीवन तनाव में यह सोच बीता देते हैं कि न परिवार के सपने पूरे किए और न बेटी की शादी और न ही बेटे को सेटल किया। रिटायरमेंट के दिन यही सोच घर आते हैं और परिवार से गुस्से में बोलते हैं। तनाव में यही शब्द बार-बार कहते हैं 'उठा ले, उठा ले मुझे भगवान।' स्टेशन मास्टर के इन शब्दों से पत्नी इंदू (शीला), बेटा, बेटी भी परेशान हैं। नाटक के बीच अन्य किरदार निभा रहे नरेंद्र और हितेश भी हल्की-फुल्की कॉमेडी से भरपूर डायलॉग पेश करते हैं। एक दिन यमराज (राज) आते हैं जो केवल स्टेशन मास्टर को ही दिखते हैं। जब यमराज उनसे कहते हैं कि मैं उन्हें लेने आया हूं तो वह उनसे परिवार का हर काम पूरा करने के लिए तीस दिन की मोहलत मांगते हैं। इस बीच बेटी की शादी हो जाती है। तय समय के बाद जब यमराज दोबारा आते हें तो स्टेशन मास्टर और समय मांगता है। कहते हैं बेटे की शादी कर पोते-पोती का मुंह देख लूं, घर बना लूं। यमराज कहते हैं ऐसा नहीं हो सकता। फिर स्टेशन मास्टर कहते हैं मुझे परिवार को हर सुख देने हैं। फिर यमराज कहते हैं कि मैं तुम्हें सबक सिखाने आया था। आगे से यह शब्द उठा ले, उठा ले मुझे कभी मत बोलना वर्ना मैं अपने साथ ले जाउंगा। स्टेशन मास्टर को इसी सीख व शब्द हमेशा मेरी तरह मेरे में न जीयो, अपने में जीयो के साथ नाटक खत्म हो जाता है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.