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Carcass Disposal Plant: लुधियाना में कैबिनेट मंत्री आशु व मेयर संधू को ग्रामीणों ने काले झंडे दिखा लौटाया, जानें कारण

मेयर का कहना है कि मंत्री काफिले में नहीं थे उन्हें बाद में आना था। ग्रामीणों के विरोध के कारण मंत्री को फोन कर वहां न आने के लिए कह दिया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री काफिले में थे लेकिन वह गाड़ी से बाहर नहीं निकले।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 08:33 AM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 08:33 AM (IST)
Carcass Disposal Plant: लुधियाना में कैबिनेट मंत्री आशु व मेयर संधू को ग्रामीणों ने काले झंडे दिखा लौटाया, जानें कारण
ग्रामीणों ने प्लांट से 500 मीटर पहले रोका गाडिय़ों का काफिला। (जागरण)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Carcass Disposal Plant: नूरपुर वेट के पास गांव रसूलपुर में नगर निगम का माडर्न कारकस डिस्पोजल प्लांट (हड्डोरोड़ी) तैयार हो गया है। मंगलवार को प्लांट का उद्घाटन कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु और मेयर को करना था। प्लांट से 500 मीटर पहले ही ग्रामीणों ने काले झंडे दिखाकर मंत्री का काफिला रोक लिया। मेयर बलकार सिंह संधू व नगर निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं सुनी। विरोध को देख मंत्री सहित सभी अधिकारियों को बिना उद्घाटन किए लौटना पड़ा।

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हालांकि मेयर का कहना है कि मंत्री काफिले में नहीं थे उन्हें बाद में आना था। ग्रामीणों के विरोध के कारण मंत्री को फोन कर वहां न आने के लिए कह दिया गया था। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री काफिले में थे लेकिन वह गाड़ी से बाहर नहीं निकले। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद सतलुज के किनारे खुले में बनी हड्डारोड़ी को बंद कर नगर निगम ने 18 करोड़ रुपये से रसूलपुर गांव के पास माडर्न कारकस डिस्पोजल प्लांट तैयार किया है। ग्रामीण शुरू से ही इसका विरोध कर रहे थे।

हाई कोर्ट में भी इस बारे में याचिका दायर की गई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद ग्रामीणों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी याचिका दायर की है जो अभी विचाराधीन है। प्लांट तैयार हुए एक महीने का समय बीत चुका है।

समझाते रहे मेयर, ग्रामीणों ने एक नहीं सुनी

मेयर बलकार सिंह संधू ने ग्रामीणों को समझाया कि प्लांट में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। आसपास के लोगों को इसका कोई नुकसान नहीं होगा। इसके बाद लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी और मेयर वहां से निकल गए।

प्लांट शुरू होने पर तीन घंटे में उठाना होगा मृत पशु का शव

निगम कमिश्नर का कहना है कि प्लांट बनने के बाद शहर में कहीं भी पशु की मौत होने पर उसे तीन घंटे में उठाना जरूरी होगा। यह प्लांट पांच एकड़ में बनाया गया है। इसकी क्षमता रोजाना 150 पशुओं के शव की है। इसमें 50 बड़ी और 100 छोटी मशीनें लगी हैं।

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ग्रामीण क्यों कर रहे विरोध

गांव रसूलपुर के पूर्व सरपंच बलबीर ङ्क्षसह का कहना है कि नगर निगम ने यह जगह मुर्गी फार्म शुरू करने के लिए करीब 25 साल पहले ली थी। जब निगम ने यहां कारकस डिस्पोजल प्लांट बनाना शुरू किया तभी से इसका विरोध किया जा रहा है। यह प्लांट गांव से 100 मीटर से भी कम दूरी पर है। गांव में बदबू आएगी। यह बेट एरिया है। प्लांट चलाने वाली कंपनी पानी को जमीन के अंदर छोड़ेगी इससे पानी खराब हो जाएगा। मृत जानवरों को लाने के लिए ट्रक आएंगे और गांव की सड़कें टूट जाएंगी। एनजीटी में अभी इस मामले में केस चल रहा है। उसके बावजूद निगम इसे शुरू करने जा रहा है। मेयर के साथ मंत्री भी आए थे लेकिन वह बाहर नहीं निकले।

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किसान आंदोलन की आड़ में ग्रामीण विरोध जता रहेः मेयर

हम उद्घाटन करने से पहले प्लांट में जा रहे थे। मंत्री आशु को बाद में आना था। किसान आंदोलन की आड़ में ग्रामीण विरोध जता रहे हैं। उन्हें कहा गया है कि प्लांट में आकर देख लें कि वहां पर किसी तरह की व्यवस्था है। अगर वे अपना कोई विशेषज्ञ लाकर जांच करवाना चाहते हैं तो करवा लें। इस तरह विरोध करना सही नहीं है। विरोध को देखते हुए हमने मंत्री को फोन करके वापस जाने को कह दिया था।

बलकार सिंह संधू, मेयर लुधियाना


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