Ludhiana City Center Verdict: CM कैप्टन अमरिंदर और उनके बेटे समेत सभी आरोपित बरी
Ludhiana City Center मामले में अदालत ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया है। यह मामला सितंबर 2006 में सामने आया था।
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। बहुचर्चित सिटी सेंटर घोटाला मामले में लंबी सुनवाई के बाद जिला अदालत ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया है। मुख्यमंत्री के अलावा उनके बेटे रणइंदर सिंह, दामाद रमिंदर सिंह और अन्य 29 इस मामले में आरोपित थे। सुनवाई के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि अदालत ने हमारी दलीलों को मान लिया है। हमारे खिलाफ झूठे आरोप लगाकर केस दर्ज किया गया था। वहीं कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जश्न का माहौल है। कार्यकर्ताओं ने कोर्ट परिसर के बाहर लड्डू बांटकर अदालत के फैसले का स्वागत किया। यह मामला सितंबर 2006 में सामने आया था।
आरोपितों के खिलाफ नहीं मिले सुबूतः जज
फैसला सुनाते वक्त जज ने कहा की किसी भी आरोपित के खिलाफ क्रिमिनल केस के सुबूत नहीं मिले हैं। इसलिए केस से सभी की बरी किया किया जाता है। इसी के साथ अदालत ने मामले को बंद करवाने के लिए विजिलेंस ब्यूरो की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री बुधवार दोपहर करीब 2.56 बजे अदालत परिसर में पहुंचे। इस दौरान उनके साथ कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु भी थे। उनके आते ही कांग्रेसी नेताओं ने घेर लिया। पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल की अगुवाई में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच में उन्हें कोर्ट के अंदर ले जाया गया।
सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
मुख्यमंत्री की पेशी के मद्देनजर जिला अदालत परिसर व आसपास के क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। मिनी सचिवालय के मेन गेट से लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी गई। जिसके चलते कोर्ट और डीसी ऑफिस आने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अदालत ले जाते पुलिसकर्मी।
मंगलवार को हुई थी बहस पूरी
अदालत में सरकारी व आरोपित पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद सेशन कोर्ट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिटी सेंटर मामले में नामजद अन्य आरोपितों को 27 नवंबर को बाद दोपहर अदालत में पेश होने के निर्देश दिए थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के आने से पहले लुधियाना कोर्ट परिसर में तैनात पुलिसकर्मी।
सत्ता परिवर्तन के बाद हुआ था मामला दर्ज
पंजाब की राजनीति में तूफान लाने वाले 1144 करोड़ रुपये के कथित सिटी सेंटर घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार की बात 13 साल पहले सितंबर 2006 में तब सामने आई थी, जब कैप्टन की सरकार थी। उसके बाद मामले की जांच शुरू हुई 2007 में सत्ता परिवर्तन के बाद मामला दर्ज किया गया। इसमें कैप्टन का नाम भी शामिल था। पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में 23 मार्च 2007 को कैप्टन व अन्य के खिलाफ सिटी सेंटर घोटाले में मामला दर्ज हुआ था। एफआइआर तत्कालीन एसएसपी विजिलेंस कंवलजीत सिंह ने ही दर्ज करवाई थी। दिसंबर 2007 में 130 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई थी। इस मामले में 36 आरोपितों में से चार की मृत्यु हो चुकी है। अन्य 32 के खिलाफ कैप्टन की सरकार बनने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने लुधियाना की अदालत में अगस्त 2017 में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। केस दर्ज होने के बाद 12 साल बीत चुके हैं और लुधियाना का सबसे बड़ा सिटी सेंटर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। अदालत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बुधवार को तलब किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत इस घोटाले में फैसला सुना सकती है।
क्या है सिटी सेंटर प्रोजेक्ट
सिटी सेंटर प्रोजेक्ट की योजना साल 1979 में बनाई गई थी। इसके लिए शहीद भगत सिंह नगर के 475 एकड़ स्कीम में 26.44 एकड़ जगह सिटी सेंटर के लिए आरक्षित रखी गई थी। सालों लटकने के बाद 2005 में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया था। यहां पर मल्टी प्लेक्स, मॉडर्न शॉङ्क्षपग मॉल, सुपर मार्केट, ऑफिस, ट्रेड सेंटर, फूड प्लाजा, सिटी म्यूजियम, रीक्रिएशन सेंटर, आइटी सेंटर, हेल्थ सेंटर, बैंक, रिवॉङ्क्षल्वग रेस्टोंरेंट, एससीओ (शॉप कम ऑफिस) तैयार होने थे। इस साइट का कुल एरिया 10 लाख 70 हजार 553 वर्ग फुट है। यहां पार्किंग समेत 26 लाख 89 हजार 604 वर्ग फुट एरिया में निर्माण होना था। 2300 कारों के लिए कार पार्किंग का निर्माण किया जाना था। इसकी ऊंचाई 100 फुट तक रखी गई थी।
नवजोत सिद्धू ने भी खोला था मोर्चा
खासबात यह है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मोर्चा खोला था। तब सिद्धू भाजपा के सांसद थे और उन्होंने अविनाश राय खन्ना व अन्य के साथ कैप्टन समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ बकायदा थाना सराभा नगर में एफआइआर दर्ज करने के लिए शिकायत दी थी। यह अलग बात है कि तब पुलिस ने सुनवाई नहीं की थी। इसका जिक्र विजिलेंस ने अपनी एफआइआर में भी किया था, लेकिन अब स्थिति उलटी हो गई है। अब सिद्धू कांग्रेस के ही विधायक हैं।
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चेयरमैन गरचा ने छोड़ दी थी ट्रस्ट की कुर्सी
सिटी सेंटर प्रोजेक्ट को लेकर विवाद तब शुरू हुआ था जब तत्कालीन ट्रस्ट चेयरमैन अशोक सिंह गरचा ने कांग्रेस नेता पर इस प्रोजेक्ट से ऑल इंडिया कांग्रेस को 100 करोड़ रुपये देने की बात कही थी। इसके बाद गरचा ने इस प्रोजक्ट को 2003 में सस्पेंड कर दिया था। 30 जून 2003 को बकायदा इसके लिए उन्होंने तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री को पत्र भी लिखा था। उन्होंने तब के ट्रस्टी सूबा हरभजन सिंह के जरिए तत्कालीन पंजाब के कांग्रेस प्रधान एचएस हंसपाल को भी जानकारी दी थी। बाद में गरचा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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